जिनेवा/नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) भारत में अपनी एथनॉल आपूर्ति और गैर-खाद्य औद्योगिक तेलों जैसे लिपिड फीडस्टॉक्स (वसा, तेल और ग्रीस) की उपलब्धता का उपयोग करके टिकाऊ विमानन ईंधन का प्रमुख उत्पादक बनने की क्षमता है। वैश्विक एयरलाइंस समूह आईएटीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है।
भारत में कार्बन कटौती के प्रयास किए जा रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विमानन कंपनियों ने पर्यावरण अनुकूल यानी टिकाऊ विमानन ईंधन (एसएएफ) और पारंपरिक एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) के मिश्रण के साथ कुछ उड़ानें संचालित की हैं।
अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) में निदेशक (नेट जीरो ट्रांजिशन) हेमंत मिस्त्री ने कहा कि एसएएफ के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो गया है, लेकिन अभी और काम किया जाना बाकी है।
मिस्त्री ने हाल ही में जिनेवा में पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, “भारत के लिए इस समय कुछ बहुत अच्छे अवसर हैं। इनमें से एक अवसर कृषि अपशिष्ट जैसे एसएएफ कच्चे माल के संदर्भ में है…एसएएफ उत्पादन के लिए क्या करना है, इस बारे में समझ बढ़ रही है। हम यह समझने के लिए कई कंपनियों से बात कर रहे हैं कि हम पेट्रोलियम कंपनियों के साथ कैसे सहयोग कर सकते हैं।”
आईएटीए भारतीय एयरलाइन कंपनियों समेत लगभग 340 एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करता है।
भाषा अनुराग अजय
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