नई दिल्ली: यह महज़ शुरुआत है, लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा के पहले संसद सत्र ने कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेताओं को उनके और उनके भाई राहुल गांधी के बीच तुलना करने पर मजबूर कर दिया है. राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और 2004 से निचले सदन के सदस्य हैं.
कांग्रेस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रियंका शीतकालीन सत्र के दौरान हर दिन सबसे पहले संसद पहुंचने वालों में शामिल थीं.
एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “पहले ही हफ्ते में यह खबर फैल गई कि वह सुबह 9:30 बजे संसद पहुंच जाती हैं. इसके बाद, सभी कांग्रेस सांसद अगले ही दिन से समय पर आने लगे.”
कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, “वह समय की पाबंद हैं. सिर्फ उनसे मिलने के लिए कई सांसद जल्दी आने लगे. एक नेता के रूप में वह सहयोगियों के लिए सुलभ हैं. संसद में उनकी मौजूदगी, राहुल गांधी के साथ मिलकर, पार्टी के लिए बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला है.”
पार्टी के नेताओं ने बताया कि प्रियंका राजनीति में संदेश देने की कला को अच्छी तरह समझती हैं. अपने शपथ ग्रहण के दिन प्रियंका ने पारंपरिक केरल कसावु साड़ी पहनकर संसद में प्रवेश किया, जिसने कई लोगों को उनकी दादी इंदिरा गांधी की याद दिला दी, जिन्होंने एक बार ऐसी ही साड़ी पहनी थी.
इसके बाद प्रियंका अपने बैग के चयन को लेकर चर्चा में रहीं—एक बैग पर ‘फिलिस्तीन’ और फिलिस्तीनी एकजुटता के प्रतीक अंकित थे, जबकि दूसरे बैग पर लिखा था: “बांग्लादेश के हिंदुओं और ईसाइयों के साथ खड़े हो.”
प्रियंका की टीम के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “ये विशेष रूप से संसद के लिए बनाए गए बैग थे, क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष विपक्षी सांसदों को बोलने का मौका नहीं दे रहे थे.”
इसके अलावा, कांग्रेस के कई नेता प्रियंका के भाषण कौशल से भी प्रभावित हैं, जो उन्होंने संसद और बाहर दोनों जगह दिखाए.
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने दिप्रिंट को बताया, “उन्होंने बहुत शांत और संयमित लहजे में अपना भाषण दिया. उन्होंने तुरंत सोचा और व्यवधानों का जवाब दिया. उन्होंने पीड़ितों को मानवीय रूप देकर उनकी तुलना अपने बच्चों से की. उनके आपसी संबंध स्थापित करने की कुशलता बेहद अच्छी है.”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “प्रियंका एक करिश्माई व्यक्तित्व हैं.” मसूद ने यह भी दावा किया कि उनके पहले भाषण का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास कोई जवाब नहीं था और उन्होंने कुछ भाजपा सांसदों को उनके भाषण की प्रशंसा करते सुना.
एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने बताया, “अपने पहले भाषण में उन्होंने तीन मुलाकातों का जिक्र किया: उन्नाव रेप पीड़िता के परिवार से, आगरा में पुलिस हिरासत में मारे गए दलित सफाईकर्मी अरुण वाल्मीकि की विधवा से, और संभल में हिंसा-प्रभावित परिवारों से. यह हाशिए पर मौजूद समुदायों तक पहुंच बनाने की कोशिश थी, जो उन्होंने संसद में की.”
प्रियंका की प्रशंसा फिलहाल पार्टी की सीमाओं से परे भी होती नजर आ रही है.
सपा सांसद राजीव राय (घोसी) ने दिप्रिंट को बताया, “उनका पहला भाषण प्रभावशाली था.”
आज़ाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आज़ाद (नगीना) ने कहा कि वह प्रियंका को अपनी बड़ी बहन मानते हैं, खासकर तब से जब उन्होंने मार्च 2019 में पुलिस हिरासत के बाद अस्पताल में उनसे मुलाकात की थी. उन्होंने बताया, “संसद में पहली बार जब उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा, ‘दीदी को भूल गए हो।’ मैंने कहा, ‘बड़ी बहन को कोई कैसे भूल सकता है.’”
प्रियंका के पहले सत्र ने उनके और राहुल गांधी के व्यक्तित्व के बीच तुलना को भी जन्म दिया.
एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने कहा, “राहुल जी और प्रियंका जी के व्यक्तित्व में बहुत फर्क है. प्रियंका के पास बेहतर आपसी संबंध कौशल हैं. वह हमेशा किसी के परिवार, बच्चों और राजनीति से इतर चीजों के बारे में पूछती हैं. वह दूसरों के भाषणों की सराहना करती हैं और प्रभाव छोड़ने का तरीका जानती हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर आप राहुल गांधी को देखें तो वह कम बोलते हैं. वह आमतौर पर वरिष्ठ सांसदों से घिरे रहते हैं, और ज्यादातर वही 4-5 चेहरे होते हैं. जूनियर्स को उनसे ज्यादा बातचीत का मौका नहीं मिलता. वह भी बातचीत शुरू करने की पहल नहीं करते.”
डीयू में एसोसिएट प्रोफेसर और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में सेंटर फॉर मल्टीलेवल फेडरलिज्म (सीएमएफ) के उपाध्यक्ष तनवीर एजाज ने कहा कि भाई-बहन की तुलना करना अभी जल्दबाजी होगी.
“उन्होंने अभी शुरुआत की है, इसलिए किसी वरिष्ठ सांसद से उनकी तुलना करना अनुचित है. लेकिन वह बयान देने की कोशिश कर रही हैं. उनकी प्रस्तुति और मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट है, जैसे फिलिस्तीन और बांग्लादेश. वह जो कर रही हैं, उसमें पूरी तरह स्पष्ट हैं.”
लखनऊ स्थित गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के राजनीतिक विज्ञान विभाग की सहायक प्रोफेसर शिल्प शिखा सिंह ने कहा, “प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में अपनी क्षमता दिखाई है. उनके मीडिया में दिए गए बयान भी बहुत सोच-समझकर दिए गए थे. अगर कांग्रेस उन्हें भाजपा पर हमले के लिए अधिक इस्तेमाल करती है, तो यह पार्टी के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि कई भाजपा नेताओं ने उनके भाषण पर उस तरह कठोर प्रतिक्रिया नहीं दी, जैसा वे राहुल पर करते हैं.”
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