नई दिल्ली: भारत की बेटी हिमा दास पांच गोल्ड मेडल जीतने की वजह से ख़बरों में छायी हुई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर तक सारा देश उन्हें बधाई दे रहा है. इसी के साथ इटली के नापोलि में आयोजित समर यूनिवर्सिटी गेम्स में भारत की ही दुती चंद ने भी 100 मीटर रेस में गोल्ड अपने नाम कर जीत का सिलसिला कायम रखा हुआ है.
इन दोनों धावकों मिल रहे ये बधाई के स्वर बेशक जायज़ हैं. पर इसके साथ ही ये हमारे देश की ऐथलैटिक्स के प्रति उदासीनता और कम जानकारी को भी दर्शाता है. इन बधाइयों के शोर के बीच मोहम्मद अनस की आईएएएफ वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2019 में क्वालीफाई करने की खबर भी दब सी गयी है. चेक रिपब्लिक में आयोजित क्लाद्नो एथेलटिक्स मीट में अनस ने 400 मीटर रेस में 45. 21 सेकण्ड्स में पूरी की. इस चैंपियनशिप को क्वालीफाई करने के लिए अधिकतम समय 45.30 सेकण्ड्स निर्धारित था. हिमा दास और दुती चंद अभी तक इस रेस के लिए क्वालीफाई नहीं कर पायीं हैं.
इन तीनों धावकों की शानदार उपलब्धियों के बावजूद इनकी ओलंपिक वाली दिल्ली अभी दूर है. ओलम्पिक या चैंपियनशिप में मैडल लाना तो दूर, अभी इन्हें एशिया में सर्वश्रेष्ठ होने के लिए और पसीना बहाना पड़ेगा. रेस के लिए मेडल से ज्यादा ज़रूरी ये है की दौड़ पूरी करने में कितना समय लिया जा रहा है और इन तीनों ही खिलाड़ियों का समय दूसरे देशों के बाकी धावकों से कितना पीछे है उसपर गौर फरमाएं.
अनस का इस साल का ये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 45.21 सेकण्ड्स के साथ अनस ने नेशनल रिकॉर्ड बनाया है. पर अंतर्राष्ट्रीय सूची में उसका स्थान 35वां है. इस सूची में धावकों की उस रेस के दौरान के सर्वश्रेठ प्रदर्शन को गिना जाता है. इस हिसाब से 34 अन्य खिलाडियों ने अनस से बेहतर प्रदर्शन किया है. वहीं हिमा दास 400 मीटर की श्रेणी में और दुती चंद 100 मीटर की श्रेणी में और भी पीछे हैं. चेक रिपब्लिक में 20 जुलाई को हुई रेस में दास के 52.09 सेकण्ड्स के रिकॉर्ड को इस साल 74 महिला धावकों ने पीछे छोड़ा है.
अनस, जो कि नौसेना में सेलर हैं, ने लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार दर्ज किया है. 2016 में 45.20 सेकण्ड्स के समय के साथ उन्होंने रिओ ओलम्पिक में क्वालीफाई किया. ऐसा करने वाले वे मिल्खा सिंह और के एम बिनू के बाद तीसरे धावक बने. 2017 में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 45.32 सेकण्ड्स का समय लिया. अगले साल के कॉमनवेल्थ खेलों में वो मिल्खा सिंह के बाद 400 मीटर रेस के लिए क्वालीफाई करने वाले दूसरे भारतीय बने. लेकिन मात्र कुछ सेकण्ड्स से वो चौथे स्थान पर रहते हुए ऐतिहासिक कांस्य पदक से चूक गए. लेकिन दोबारा अपना प्रदर्शन सुधारते हुए अगले कुछ महीनों में अपने समय को 45.24 सेकण्ड्स तक लेकर आये और इस साल 45.21 सेकण्ड्स लेकर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया.
वहीं दास अप्रैल 2019 में लगी चोट के बाद से अब तक वापसी नहीं कर पायीं हैं. वर्तमान में उनकी विश्व रैंकिंग 57 है जो कि उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 18 से बहुत पीछे हैं. हाल ही में जीते पांच गोल्ड मेडल में से 4 उन्होंने 200 मीटर में जीते हैं. जबकि वो 400 मीटर श्रेणी में दौड़ना पसंद करती हैं इसमें उन्होंने एक मेडल जीता है. ज्ञात हो कि आईएएएफ ने इन में से तीन रेस को ई और एफ श्रेणी में रखा है जो कि बहुत निचले स्तर की प्रतियोगिताएं हैं. इन रेस में गोल्ड जीतने के बाद भी एक धावक की रैंकिंग में कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ता है.
अगर बात करें दुती चंद की तो एशियन चैंपियनशिप में उनके 2019 के सर्वश्रेष्ठ 11.26 सेकण्ड्स के रिकॉर्ड को 73 अन्य धावकों ने पीछे छोड़ा है. कज़ाकिस्तान में उन्होंने अब तक का करियर बेस्ट 11.24 सेकण्ड्स का रिकॉर्ड कायम किया परन्तु डोपिंग टेस्ट में डब्ल्यू ए डी ए द्वारा असफल करार दिए जाने के कारण एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने इसे नेशनल रिकॉर्ड मानने से इंकार कर दिया. हालांकि उन्होंने रिओ ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई भी किया था परन्तु पहले ही राउंड में बाहर हो गयीं थीं.
इस साल एशियन चैंपियनशिप में पहले उन्होंने 11.28 सेकडस, फिर 11.26 सेकण्ड्स का रिकॉर्ड बनाया। ऐसा करते हुए उन्होंने 2018 में अपने बनाये 11.29 सेकण्ड्स के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया. हालांकि फाइनल्स में वो 11.44 सेकण्ड्स के साथ पांचवे स्थान पर रहीं.
ओलम्पिक विश्व की सबसे कठिन स्पर्धा है. भले ही भारतीय खिलाडी अपने प्रदर्शन को लेकर सही दिशा में बढ़ रहे हों पर वे अभी भी उतना बेहतर नहीं कर पा रहे हैं जिस से ओलम्पिक खेलों में मेडल मिलने की उम्मीद जग सके.
2020 में होने वाले टोक्यो ओलम्पिक्स में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ़ एथलेटिक्स फेडरेशन (IAAF) ने क्वालीफाई करने के लिए दो चरण निर्धारित किये हैं. या तो खिलाड़ी तय समय से बेहतर प्रदर्शन करें या फिर वे अपनी विश्व रैंकिंग के आधार पर इसमें हिस्सा ले सकते हैं. आईएएएफ इन दोनों चरणों के माध्यम से बराबर संख्या में खिलाड़ियों को लेती है. क्वालीफाई करने के लिए खिलाड़ियों के पास 1 मई 2019 से 29 जून 2020 तक का समय है.
इस बार ओलम्पिक में पुरुषों की 400 मीटर के लिए 44.90 सेकण्ड्स तो वहीं महिलाओं की 100 मीटर के लिए 11.15 सेकण्ड्स का समय निर्धारित है जो कि अनस और दुती दोनों के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से ज्यादा है.
हिमा दास का 400 मीटर में करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 50.79 सेकण्ड्स रहा है जबकि क्वालीफाई करने के लिए 51.35 सेकण्ड्स की जरुरत है. 2018 में उन्होंने इससे बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन 2019 में वो इस मुकाम तक नहीं पहुंच पायी हैं.
ओलम्पिक्स में 400 मीटर के लिए 48 पुरुष व 100 मीटर में 56 महिलाएं ही क्वालीफाई कर सकती हैं. अनस, हिमा और दुती की रैंकिंग क्रमशः 31, 57 और 34 है. ओलम्पिक तक की राह उनके लिए आसान नहीं रहने वाली है.
हिमा और दुती को लेकर चल रही ख़ुशी की लहर उनकी मुश्किलें और बढ़ा सकती है. इससे खिलाड़ियों पर अनावश्यक दबाव भी पड़ सकता है.
यहां ये बताना भी ज़रूरी है कि अगर किसी ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में ओलम्पिक मेडल की उम्मीद की जा सकती है तो वो जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से की जा सकती है. नीरज एक पुरानी चोट से उभर रहे हैं और वापसी की तैयारी में हैं. चोपड़ा की विश्व रैंकिंग फिलहाल 10 है पर उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग 4 रही है. चोट से उबरने के बाद उनसे मेडल की उम्मीदें लगायी जा सकती हैं.
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