नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) सर्दियों के मौसम की मांग बढ़ने से देश के प्रमुख बाजारों में शुक्रवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ जबकि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखी गई।
मांग कमजोर होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन एवं डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर निर्यात मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज दोपहर साढ़े तीन बजे लगभग दो प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। शिकॉगो एक्सचेंज बीती रात सुधार के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां घट बढ़ जारी है।
बाजार सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में गुजरात में भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने बिनौला सीड के दाम में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है जो एक अच्छा कदम है। सीसीआई द्वारा दाम बढ़ाने से किसानों को दाम अच्छे मिलेंगे और कपास उत्पादक राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसानों को फायदा होगा।
इसके अलावा सबसे सस्ता होने के कारण लिवाली बढ़ने से बिनौला तेल के दाम मजबूत बंद हुए। जाड़े में जमने के गुण की वजह से और नमकीन बनाने वाली कंपनियों के द्वारा पाम, पामोलीन के मंहगा होने के कारण उसकी जगह बिनौला का उपयोग अधिक करने से भी बिनौला तेल में मजबूती रही।
सूत्रों ने कहा कि ऊंचे भाव के कारण सोयाबीन डीओसी की निर्यात मांग नहीं आने से सोयाबीन किसान दु:खी हैं। तेल मिलें डीओसी की कमजोर मांग होने से प्रसंस्करण से परहेज कर रही हैं। डीओसी का भाव नहीं सुधरने तक सोयाबीन तिलहन में कोई हलचल नहीं दिखेगी। ऐसी स्थिति में सोयाबीन तिलहन पूर्व-स्तर पर बने रहे। जबकि सोयाबीन तेल काफी नीचे चल रहा था और अब कुछ मांग निकलने से सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार है।
उन्होंने कहा कि सभी तेलों की मांग में सुधार होने के बीच जाड़े की मांग निकलने के कारण सरसों तेल-तिलहन के दाम भी मजबूती दर्शाते बंद हुए।
मलेशिया एक्सचेंज में लगभग दो प्रतिशत की गिरावट रहने के बीच सीपीओ और पामोलीन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।
मूंगफली किसान अपनी ऊपज लागत से लगभग 10 प्रतिशत नीचे दाम पर बेचने को मजबूर हैं क्योंकि बाजार में मूंगफली की आवक अधिक है और ऊपज खप नहीं रही है जिसकी वजह सोयाबीन रिफाइंड और बिनौला का दाम अपेक्षाकृत कमजोर रहना है। बिनौला खल का दाम सुधरने से मूंगफली में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि तमाम परिचर्चाओं में खाद्यतेल समीक्षकों को मलेशिया के बारे में तो चर्चा करते सुना जा सकता है पर उन्हें कभी देश में बिनौला खल के दाम टूटने के बारे में भी चर्चा करना चाहिये कि किस वजह से कपास फसल आने के समय ही बिनौला खल के दाम टूटने लग जाते हैं।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,450-6,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,825-6,150 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,130-2,430 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,255-2,355 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,255-2,380 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,850-3,950 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश प्रेम
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