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Wednesday, 9 July, 2025
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गैर-विनियमित कर्ज पर अंकुश के लिए विधेयक का मसौदा तैयार, कारावास का भी प्रावधान

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नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) केंद्र सरकार ने बिना नियमन वाले कर्ज पर अंकुश लगाने और उल्लंघन करने वालों के लिए मौद्रिक दंड के अलावा 10 साल तक की सजा का प्रावधान करने वाले एक नए विधेयक का प्रस्ताव रखा है।

बीयूएलए (गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध) शीर्षक वाले विधेयक के मसौदे पर हितधारकों को 13 फरवरी, 2025 तक टिप्पणियां देने के लिए कहा गया है।

प्रस्तावित विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक या अन्य नियामकों की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए और किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत नहीं हुए सभी व्यक्तियों या संस्थाओं को सार्वजनिक उधारी कारोबार से प्रतिबंधित करने की संकल्पना रखी गई है।

विधेयक के मसौदे में ‘गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों’ को ऐसे कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते हैं, चाहे वे डिजिटल रूप से किए गए हों या अन्य माध्यमों से।

इसमें रिश्तेदारों को कर्ज को छोड़कर अन्य किसी भी गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और उधारकर्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए एक व्यापक तंत्र बनाने के लिए एक अधिनियम लाने की बात कही गई है।

इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कोई भी ऋणदाता इस कानून का उल्लंघन करते हुए, चाहे डिजिटल रूप से या अन्यथा, ऋण देता है तो उसे कम-से-कम दो साल की कैद की सजा होगी जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा उसपर दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

प्रस्तावित विधेयक में कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन से लेकर 10 साल तक की कैद और जुर्माने का भी प्रावधान रखा गया है।

इस विधेयक के मसौदे के मुताबिक, अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित है या कुल राशि सार्वजनिक हित को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने के लिए पर्याप्त रूप से बड़ी है तो जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी जाएगी।

डिजिटल उधारी पर गठित आरबीआई के कार्यसमूह ने नवंबर, 2021 में पेश अपनी रिपोर्ट में गैर-विनियमित उधारी पर अंकुश लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की बात कही थी।

कार्यसमूह ने बिना नियमन वाले कर्ज पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया कानून लाने जैसे कई उपाय सुझाए थे।

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें भोले-भाले लोगों को धोखाधड़ी वाले ऋण ऐप के जरिये ठगा गया है। कुछ मामलों में जबरन वसूली के तरीके अपनाए जाने से दुखी होकर कई कर्जदारों ने आत्महत्या भी कर ली।

इनके प्रसार पर रोक लगाने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन मंचों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि वे धोखाधड़ी वाले ऋण ऐप के विज्ञापन न दिखाएं।

इसके बाद गूगल ने सितंबर, 2022 और अगस्त, 2023 के बीच अपने प्ले स्टोर से इस तरह के 2,200 से अधिक ऋण ऐप हटा दिए थे।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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