बदायूं, 18 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की विशेष एमपी-एमएलए अदालत द्वारा बिल्सी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हरीश शाक्य और उनके साथियों के खिलाफ सामूहिक बलात्कार और धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के आठ दिन गुजरने के बाद भी मुकदमा पंजीकृत नहीं होने पर असंतोष जताते हुए एक बार फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता ने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में आरोप लगाया कि उसके परिवार के सदस्य अब भी विधायक के दबाव का सामना कर रहे हैं। उसने दावा किया कि सिविल लाइंस थाने के इंस्पेक्टर मनोज सिंह ने कथित तौर पर उनसे संपर्क किया और प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए थाने आने को कहा।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है कि कानून के अनुसार अदालत के आदेश के बाद पहले रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए और उसके बाद मेडिकल जांच करवाई जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने पुलिस जांच की निष्पक्षता को लेकर भी चिंता जताई और बताया कि इंस्पेक्टर मनोज सिंह पिछली घटना के दौरान कथित तौर पर दुर्व्यवहार में शामिल थे, जब विधायक के साथियों ने उसके परिवार के खिलाफ झूठे मामले दर्ज कराए थे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए पीड़ित परिवार ने अनुरोध किया है कि उसके बयानों की पुलिस रिकॉर्डिंग को वीडियो साक्ष्य के साथ दर्ज किया जाए।
उसने कहा कि शिकायत दर्ज करने के बावजूद पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, नतीजतन परिवार को न्याय के लिए फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
भाषा
सं सलीम पारुल
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