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Saturday, 21 December, 2024
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रविचंद्रन अश्विन: ऐसा व्यक्ति जिसने सुरक्षित होकर खेलने में कभी विश्वास नहीं किया

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(कुशान सरकार)

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) रविचंद्रन अश्विन बचपन में अपनी असुरक्षाओं से बहुत लंबे समय तक जूझते रहे और शायद वह फिर से असुरक्षाओं के दलदल में नहीं फंसना चाहते थे।

यही कारण है कि उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से अचानक संन्यास लेना किसी भी उस व्यक्ति के लिए अप्रत्याशित नहीं होगा जिसने उनके सफर का अनुसरण किया है। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवें टेस्ट के बाद सिडनी में भी संन्यास ले सकते थे लेकिन वह सिर्फ टीम के साथ जुड़े रहने के लिए तैयार नहीं थे।

किसी को भी उन्हें यह बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी कि अब खेल से दूर जाने का समय आ गया है। अश्विन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी संक्षिप्त उपस्थिति में दुनिया को बता दिया कि वह जाने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने एक सक्रिय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर के रूप में कई भूमिकाएं निभाईं। शीर्ष स्तर पर 14 साल बिताने के बाद भी अश्विन को किसी एक भूमिका में बांधना बहुत मुश्किल है। उनके 765 अंतरराष्ट्रीय विकेट इस अनुभवी खिलाड़ी को समझने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं जिन्होंने अपनी किताब में बचपन में असुरक्षित महसूस करने की बात स्वीकार की है। उन्होंने धीरे-धीरे उस लड़ाई को जीत लिया और क्रिकेट ने उन्हें एक आश्वस्त व्यक्ति के रूप में ढालने में प्रमुख भूमिका निभाई।

कुछ महीने पहले जब अश्विन की आत्मकथा ‘आई हैव द स्ट्रीट्स’ के पहले हिस्से का विमोचन हुआ था तो उन्होंने ‘पीटीआई’ से कहा था, ‘‘मैं पूरी तरह सुरक्षित रहने की बजाय जीवन में असफल होना पसंद करूंगा। यही मेरा चरित्र है। मुझमें आम असुरक्षाएं नहीं हैं जो लोगों में होती हैं।’’

अश्विन ने कहा, ‘‘अगर आप कैसीनो में जाते हैं, यह सोचकर कि आप कितना पैसा कमाएंगे, तो शायद आप वहां से बिना पैसों के खाली हाथ लौटें। लेकिन जब आप मौज-मस्ती करने और अपने पास मौजूद पैसे गंवाने के इरादे से जाते हैं तो आप हमेशा बहुत अमीर व्यक्ति बनकर लौटते हैं। यह वास्तव में एक बड़ा सीखने का अनुभव था।’’

इसलिए जब उन्होंने अपने साथियों को अपने फैसले के बारे में बताया तो उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि उनके 106 टेस्ट मैच 107 हो सकते हैं या 108। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

अश्विन ने कभी नहीं माना कि एक ऑफ स्पिनर वैध एक्शन के साथ ‘दूसरा’ गेंदबाजी कर सकता है लेकिन उन्होंने अपना खुद की गेंद विकसित की और इसे ‘कैरम बॉल’ नाम दिया गया।

‘कैरम बॉल’ अश्विन के पूरे करियर में उनकी पहचान बन गई लेकिन उनमें दुनिया को यह बताने का साहस था कि उन्होंने चेन्नई में जूनियर शिविर के दौरान श्रीलंकाई गेंदबाज अजंता मेंडिस को देखकर इसे सीखा था।

वर्ष 2011 से लेकर इंग्लैंड के खिलाफ श्रृंखला तक वह घरेलू मैदान पर घातक रहे।

आलोचक पिछले 13 वर्षों के दौरान भारतीय पिचों की प्रकृति के बारे में अंतहीन बात कर सकते हैं लेकिन कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि अश्विन और रविंद्र जडेजा उन परिस्थितियों में टीम की ताकत थे।

किसी को भी अनुकूल परिस्थितियां प्रदान की जा सकती हैं लेकिन खिलाड़ी को यह भी पता होना चाहिए कि कैसे लाभ उठाना है। भारतीय धरती पर 383 विकेट और एशिया में उनके 537 टेस्ट विकेटों में से 433 विकेट इन परिस्थितियों में उनकी महारत का प्रमाण हैं।

उन्होंने इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में कुछ बेहतरीन स्पेल फेंके लेकिन कई बार आंकड़े जितना बताते हैं उससे कहीं ज्यादा छिपाते हैं। कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता कि 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ साउथम्पटन टेस्ट के दौरान पेट के निचले हिस्से में चोट लगने के कारण उन्हें कितना दर्द सहना पड़ा था। इस टेस्ट में भारत हार गया था।

अश्विन की विदेशी सरजमीं पर सबसे बड़ी उपलब्धि निश्चित रूप से 40 से अधिक ओवर तक बल्लेबाजी करना होगी जिसमें हनुमा विहारी पैर की मांसपेशियों की चोट से उतने की परेशान थे लेकिन दोनों ने 2021 में सिडनी टेस्ट में भारत को हार से बचाया।

उस दिन अश्विन ने दर्द के बावजूद खेलते हुए मैच को बचाया जो जीत जैसा लग रहा था।

वह मजबूत मूल्यों वाले व्यक्ति हैं। जूनियर क्रिकेट के दिनों में यह उनके पिता रविचंद्रन ही थे जिन्होंने मैदान के बाहर से उन्हें गेंदबाजी छोर पर बल्लेबाज को रन आउट करने के लिए कहा था जब उन्होंने देखा कि वह अनुचित तरीके से आगे बढ़ रहा है। यहीं से उनकी गेंदबाजी छोर पर रन आउट करने की आदत शुरू हुई। वह नियमों में विश्वास करते थे और उनके अनुसार खेलते थे।

‘क्रिकेट की भावना’ की आड़ में धोखेबाजी उन्हें अस्वीकार्य थी।

वह अपने साथी के लिए खड़े हो सकते हैं जैसे उन्होंने मोहम्मद सिराज के लिए किया था, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में अपशब्दों का सामना करना पड़ा।

लेकिन उन्हें हमेशा पता था कि क्रिकेट जीवन का हिस्सा है, जीवन का दिल नहीं।

चेन्नई के ‘रामकृष्णपुरम फर्स्ट स्ट्रीट’ के इंजीनियर ने परिवार के सदस्य के बीमार पड़ने पर ‘कोविड जैविक-बबल’ छोड़ने में संकोच नहीं किया और जब उनकी मां चित्रा दिल की बीमारी से बचीं तो वह टेस्ट मैच छोड़ने से भी पीछे नहीं हटे।

अश्विन के पास हमेशा प्लान बी रहता था, चाहे वह तमिलनाडु क्रिकेट संघ लीग में क्रिकेट टीम खरीदना हो या ग्लोबल चेस लीग में टीम बनाना हो।

उनके तमिल यूट्यूब चैनल ‘कुट्टी स्टोरीज’ और इंटरव्यू के पूरे भारत में बहुत सारे प्रशंसक हैं। क्रिकेट के असंख्य मुद्दों, खिलाड़ियों और नियमों पर उनके विचार प्रशंसकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।

क्रिकेटर के रूप में रविचंद्रन अश्विन हमेशा एक अलग तरह के व्यक्ति रहेंगे। ‘आई हैव द स्ट्रीट्स’ का अगला भाग भी उतना ही आकर्षक होगा।

भाषा सुधीर पंत

पंत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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