कोलकाता, 16 दिसंबर (भाषा) आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम की कथित विवादास्पद टिप्पणी को लेकर जारी आलोचना के बीच राज्य में सत्तारूढ़ दल ने सोमवार को उनके बयान की निंदा की और उससे किनारा कर लिया।
शनिवार को हकीम का एक कथित वीडियो सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। इस वीडियो में वह छात्रों से कथित तौर पर यह कहते दिखाई दिए थे, ‘‘पश्चिम बंगाल में हमारी (मुसलमानों की) आबादी 33 फीसदी और देशभर में 17 प्रतिशत है।’’
इस बात की वकालत करते हुए कि अल्पसंख्यकों को ऐसी स्थिति तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए, जहां वे खुद को और अधिक मजबूती से पेश कर सकें और न्याय के लिए उनकी पुकार को स्वीकार किया जाए, हकीम ने कहा था, ‘‘हम संख्यात्मक रूप से अल्पसंख्यक हो सकते हैं, लेकिन अल्लाह की मेहरबानी से हम इतने ताकतवर बन सकते हैं कि हमें इंसाफ के लिए कैंडल लाइट रैली निकालने की जरूरत नहीं होगी। हम उस स्थिति में होंगे, जहां हम सही मायने में सशक्तीकरण के लिहाज से बहुसंख्यक बन जाएंगे।’’
‘पीटीआई-भाषा’ स्वतंत्र रूप से इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं कर सका है।
तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को ‘एक्स’ पर एक बयान जारी कर हकीम की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उससे किनारा कर लिया।
पार्टी ने कहा, ‘‘अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस फिरहाद हकीम द्वारा परसों एक कार्यक्रम में दिए गए बयान की कड़ी निंदा करती है और खुद को दृढ़ता से उससे अलग करती है। ये टिप्पणियां पार्टी के रुख या विचारधारा को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं। शांति, एकता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट बनी हुई है। पश्चिम बंगाल के सामाजिक ताने-बाने को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी टिप्पणी को लेकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
हकीम की टिप्पणी से पश्चिम बंगाल में सियासी तूफान खड़ा हो गया। विपक्षी दलों, खासकर भारतीय जनता (भाजपा) ने हकीम पर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘यह बयान न केवल विभाजनकारी है, बल्कि बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की ओर भी इशारा करता है। यह सांप्रदायिक नफरत का खुला आह्वान है।’
तृणमूल कांग्रेस से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने हकीम की टिप्पणी पर नाखुशी जाहिर की, जो ऐसे समय में आई है, जब पार्टी भाजपा की हिंदुत्व राजनीति का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी सहयोगियों से अनौपचारिक रूप से बात करते हुए हकीम ने कथित तौर पर कहा कि उनकी टिप्पणियों का गलत मतलब निकाला गया।
सूत्रों के अनुसार, हकीम ने पार्टी नेताओं से कथित तौर पर कहा कि उन्होंने संख्यात्मक रूप से बहुमत होने के बारे में नहीं बोला, बल्कि वह अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन का जिक्र कर रहे थे और उनसे अधिक सशक्त बनने के लिए शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह कर रहे थे।
सूत्रों ने कहा, हकीम ने कथित तौर पर कहा कि उनका मतलब केवल यह था कि अगर अल्पसंख्यक कड़ी मेहनत करें और अल्लाह का करम हो तो वे तरक्की कर सकते हैं और समाज में सम्मान हासिल कर सकते हैं।
हकीम की सफाई के बावजूद इस विवादास्पद टिप्पणी ने तृणमूल के भीतर हलचल पैदा कर दी है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस टिप्पणी ने पार्टी के सामने चुनौतियां बढ़ा दी हैं, खासकर ऐसे समय में जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी सभी समुदायों के साथ जुड़कर खुद को समावेशी शासन की नेता के रूप में पेश करने के प्रयास में जुटी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि ममता के हालिया प्रयासों, जैसे कि दीघा में जगन्नाथ मंदिर के निर्माण की देखरेख, का उद्देश्य भाजपा के हिंदुत्व का मुकाबला करना था।
तृणमूल के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया, ‘‘हकीम की टिप्पणियों ने पार्टी के संदेश को जटिल बना दिया है।’’
रविवार को एक कार्यक्रम के इतर हकीम ने कहा था, ‘‘मैं एक कट्टर धर्मनिरपेक्ष और देशभक्त भारतीय हूं। कोई भी मेरे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और देश के प्रति मेरे प्रेम पर सवाल नहीं उठा सकता।’’
हालांकि, जब सोमवार को पत्रकारों ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, ‘‘मुझे इस मामले में कुछ नहीं कहना है।’’
भाषा पारुल धीरज
धीरज
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