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Friday, 13 December, 2024
होमराजनीति‘उन्होंने संविधान को हाईजैक कर लिया’: लोकसभा में राहुल गांधी और कांग्रेस पर राजनाथ सिंह का निशाना

‘उन्होंने संविधान को हाईजैक कर लिया’: लोकसभा में राहुल गांधी और कांग्रेस पर राजनाथ सिंह का निशाना

संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कांग्रेस पर अतीत में कई बार अपने “राजनीतिक हितों” को आगे बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

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नई दिल्ली: संविधान को “हाईजैक” करने और इसे “राजनीतिक हितों” के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि सरकार “संविधान के मूल चरित्र को कभी बदलने नहीं देगी”.

भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लोकसभा में बोलते हुए सिंह ने कहा, “कांग्रेस चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, हम संविधान के मूल चरित्र को कभी बदलने नहीं देंगे. आप इतिहास देख लीजिए. हमने आपातकाल के काले दिनों में भी संविधान के मूल चरित्र को चोट पहुंचाने की हर कोशिश का कड़ा विरोध किया था.”

विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वही पार्टी जिसने अतीत में संविधान का दुरुपयोग किया था, आज जाति के आधार पर जनगणना कराने की बात कर रही है. मंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इस पर “कोई आपत्ति” नहीं है, लेकिन वह जनता को धोखा नहीं देना चाहती, बल्कि सीधे उनसे आंख मिलाना चाहती है.

उन्होंने कहा, “एक ऐसा खाका तैयार करिए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि किस जाति को कितना आरक्षण मिलेगा और आरक्षण का प्रतिशत कितना होगा. हमें संसद में इस पर चर्चा करने में भी कोई आपत्ति नहीं है.”

विपक्ष लोकसभा चुनाव से पहले से ही जाति जनगणना की मांग कर रहा है.

वरिष्ठ भाजपा नेता ने अतीत के कई उदाहरणों को गिनाया, जब पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस नेताओं ने संविधान को बदलने के लिए इसमें कई संशोधन किए.

कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए सिंह ने कहा कि आजकल कई नेता संविधान को अपनी जेब में रखते हैं.

सिंह ने कहा, “उन्होंने बचपन से ही यह सीखा है. उन्होंने अपने परिवारों में पीढ़ियों से संविधान को अपनी जेब में रखा हुआ देखा है. बीजेपी संविधान को सिर माथे पर लगाती है.”

विपक्ष संविधान को बदलने की कोशिश के लिए भाजपा की आलोचना करता रहा है और इस साल के लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान में उसने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था. इस आरोप को नकारते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस ने ही संविधान में सबसे अधिक संशोधन किए हैं. “संविधान को बदलने का प्रयास आलोचकों को चुप कराने के लिए किया गया था.”

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में संविधान को एक खास पार्टी के योगदान के रूप में पेश करने की कोशिश की गई है.

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ सालों में संविधान को एक खास पार्टी के योगदान के रूप में पेश करने की कोशिश की गई है. कई नेताओं के योगदान को जानबूझकर नज़रअंदाज़ किया गया.”

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, वीर सावरकर और भगत सिंह जैसे कई नेताओं के विचारों ने संविधान को मजबूत किया है.

सिंह ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने न केवल संविधान में संशोधन किया, बल्कि “दुर्भावनापूर्ण इरादे से संविधान को धीरे-धीरे बदलने” की भी कोशिश की.

उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने संविधान में 17 संशोधन किए, इंदिरा गांधी ने 28, राजीव गांधी ने 10 और मनमोहन सिंह ने सात संशोधन किए.


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‘संविधान की रक्षा के लिए भाजपा ने बहुत मेहनत की’

भाजपा पर संस्थाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगातार विपक्ष की ओर से लगाया जा रहा है, सिंह ने अपने भाषण में इस आरोप को नकार दिया. उन्होंने कहा, “हमने कभी किसी संस्था की ‘स्वतंत्रता’ और ‘स्वायत्तता’ के साथ खिलवाड़ नहीं किया…संविधान के मूल्य, इसके द्वारा दिखाए गए मार्ग, संविधान के सिद्धांत हर जगह दिखाई देते हैं…हमारे मन, वचन और कर्म में.”

सिंह ने कहा कि कांग्रेस के विपरीत, भाजपा ने कभी भी संविधान को “राजनीतिक हितों की पूर्ति के साधन” के रूप में नहीं देखा, बल्कि “इसे बचाने के लिए बहुत मेहनत की”.

वर्षों तक “संविधान” का अपमान करने के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए सिंह ने आपातकाल का उदाहरण दिया और कहा कि पार्टी को “संविधान पर हमें उपदेश देने” का कोई अधिकार नहीं है.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता की बात की गई है और यह निर्दिष्ट किया गया है कि राज्य का कोई धर्म नहीं होगा, बल्कि वह धर्मनिरपेक्ष होगा. उन्होंने कहा, “यह उन लोगों द्वारा कहा गया था, जिन्हें कांग्रेस के लोगों ने सांप्रदायिक करार दिया था.”

सिंह के भाषण का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाते हुए देखा गया. रक्षा मंत्री ने कांग्रेस नेताओं पर हमेशा “निजी हित” को “संवैधानिक मूल्यों और संस्थागत गरिमा” से ऊपर रखने का आरोप लगाया.

मंत्री ने कहा कि 1950 में, कांग्रेस सरकार की “गलत नीतियों” की प्रेस में आलोचना हो रही थी. “ऐसी स्थिति में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साप्ताहिक प्रकाशन ‘ऑर्गनाइज़र’ और मद्रास से प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘क्रॉसरोड्स’ पर प्रतिबंध लगा दिया. सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने सेंसरशिप के आदेश को खारिज कर दिया और सरकार के फैसले को असंवैधानिक घोषित कर दिया.”

उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करने के बजाय, कांग्रेस ने 1951 में ही संविधान संशोधन करके नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया…उसके पास कोई जनादेश नहीं था.”

मंत्री ने याद दिलाया कि कैसे वरिष्ठ भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने 1994 में विपक्ष के नेता के रूप में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक सत्र में एक आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था और कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति को जोरदार तरीके से सामने रखा था, साथ ही भारत सरकार की सराहना भी की थी.

सिंह ने राहुल गांधी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, “उन्होंने वापसी पर सरकार का विरोध भी किया था. कई नेता विदेश की धरती पर न जाने क्या-क्या कहते हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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