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Wednesday, 11 December, 2024
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मणिपुर हिंसा पर रिपोर्टिंग के लिए दिप्रिंट को मिला अंतर्राष्ट्रीय प्रेस संस्थान से सम्मान

सम्मान के तौर पर पुरस्कार समारोह में 20,000 रुपये की राशि और सम्मान पत्र दिया जाएगा. 2023 में दिप्रिंट के कवरेज का नेतृत्व 5 रिपोर्टर और 2 फोटो जर्नलिस्ट ने किया.

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नई दिल्ली: मणिपुर में पिछले साल मई में हुए जातीय संघर्ष की रिपोर्टिंग के लिए दिप्रिंट को इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) से सम्मान मिला है.

दिप्रिंट के एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता को लिखे पत्र में संस्थान ने कहा कि यह सम्मान जूरी द्वारा “नागरिक संघर्ष के कारण हुई मानवीय त्रासदी के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के लिए मीडिया के सामूहिक प्रयास को मान्यता देने” की कोशिशों का हिस्सा है.

जूरी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर कर रहे हैं. सम्मान के तौर पर पुरस्कार समारोह में 20,000 रुपये की राशि और सम्मान पत्र दिया जाएगा. दिप्रिंट के अलावा, पांच अन्य मीडिया हाउस को भी आईपीआई से सम्मानित किया जाएगा.

हमारे पांच रिपोर्टर — करिश्मा हसनत, अनन्या भारद्वाज, मौसमी दास गुप्ता, श्रेयसी डे और सोनल मथारू (पहले दिप्रिंट के साथ रहीं) — ने फोटो जर्नलिस्ट प्रवीण जैन और सूरज सिंह बिष्ट के साथ मिलकर 2023 के दौरान मणिपुर में होने वाली सभी घटनाओं को कवर किया.

करिश्मा हसनत ने मई 2023 में पहली बार हिंसा भड़कने के समय से ही घटनाओं की खबरें दी, जिसमें पहाड़ी जिले चूड़ाचांदपुर और पड़ोसी घाटी जिले बिष्णुपुर के कुछ हिस्सों में आगज़नी और पथराव की घटनाएं शामिल थीं.

फोटो जर्नलिस्ट प्रवीण जैन और सूरज सिंह बिष्ट ने मई 2023 से हर प्रकरण और उसके बाद पसरे सन्नाटे को तस्वीरों में कैद किया.

पहले कुछ हफ्तों में ही मौसमी दास गुप्ता ने बताया कि कैसे मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष ने राज्य की नौकरशाही के भीतर की खामियों को उजागर किया है. सेवारत और सेवानिवृत्त वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, नॉन-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच विभाजन काफी बढ़ गया, जो राज्य प्रशासन के सभी स्तरों, वरिष्ठ से लेकर मध्यम स्तर और जूनियर अधिकारियों तक में व्याप्त है.

इसी तरह, जुलाई 2023 में अनन्या भारद्वाज के आर्टिकल में दिखाया गया कि कैसे एक “पूरी तरह से विभाजित” पुलिस बल किसी भी सामान्य स्थिति को बहाल करने में विफल रहा. कुछ लोगों ने पुलिस पर अपने ही समुदायों के असामाजिक तत्वों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया.

जुलाई 2023 की एक अन्य रिपोर्ट में सोनल मथारू ने हिंसा के घातक चक्र पर फर्ज़ी खबरों के प्रभाव को कवर किया. उस समय, मैतेई लोगों ने कुकी आदिवासी महिलाओं के खिलाफ प्रतिशोध के हमले किए, जब चूड़ाचांदपुर में एक युवती के शव की तस्वीर वायरल हुई, जिसमें कथित तौर पर कुकी पुरुषों द्वारा मैतेई महिला का बलात्कार और हत्या की गई थी. बाद में पुष्टि हुई कि यह दिल्ली की आयुषी चौधरी का शव है, जिनकी नवंबर 2022 में उनके माता-पिता ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी.

श्रेयसी डे की अक्टूबर 2023 की ग्राउंड रिपोर्ट ने इस बात की मार्मिक तस्वीर पेश की कि किस तरह से नफरत की आग में कुकी-मैतेई के बीच संबंध बिखर रहे हैं. इसमें बताया गया, “मिश्रित विवाह करने वाले जोड़ों द्वारा सामना किया जाने वाला आतंक और परित्याग मणिपुर समाज के नाजुक ताने-बाने को तोड़ने वाली सबसे कम चर्चित भयावह घटनाओं में से हैं.”

मनोवैज्ञानिकों ने कहा कि इसका असर लंबे समय तक महसूस होने की संभावना है क्योंकि ज़मीन पर विभाजन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.

पिछले साल, आईपीआई ने कोविड-19 महामारी के बारे में दिप्रिंट की ऑन-ग्राउंड कवरेज को पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया था.

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