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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'प्रधानमंत्री जी..हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है'

‘प्रधानमंत्री जी..हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है’

अपर्णा ने कहा कि किसी को हक नहीं है कि किसी सिग्नेचर करने वाले को देशद्रोही या फिर एंटी नेशनल कहे. हम अपनी आवाज उठा रहे हैं क्योंकि हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है.

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नई दिल्ली: देशभर दलितों और मुस्लिमों के साथ चल रही मॉब लिंचिंग के खिलाफ 49 चर्चित हस्तियों ने प्रधानमंत्री को खुला खत लिखा है. पीएम को लिखे खुले खत में विभिन्न फील्ड के सेलिब्रिटी ने शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा और फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, अनुराग कश्यप, मणि रत्नम और अपर्णा सेन शामिल हैं. अपर्णा सेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज देश के जैसे हालात हैं उससे मैं चिंतित हूं. उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में जिस तरह से लिंचिंग हो रही है जिस तरह से लोगों को जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया जा रहा है.

अपर्णा सेन ने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों और दलितों के खिलाफ अपराध के मामले देश में तेजी से बढ़े हैं. अपर्णा ने कहा कि किसी को हक नहीं है कि किसी सिग्नेचर करने वाले को देशद्रोही या फिर एंटी नेशनल कहे. हम अपनी आवाज उठा रहे हैं क्योंकि हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना बर्बाद हो रहा है.

अपर्णा ने कहा कि चिट्ठी लिखने वाले लोग कई क्षेत्रों से आते हैं. उन्होंने कहा, ‘अकसर देखने को मिलता है कि गाय को ले जाने वालों की लिचिंग हो जाती है. अगर कोई गैरकानूनी तरीके से गाय ले जा रहा है तो उसकी शिकायत होनी चाहिए लेकिन लिंचिंग नहीं होनी चाहिए. मैं हिंदू के के तौर पर कहती हूं कि अगर मुझसे जबरदस्ती ‘अल्ला हू अकबर’ का नारा लगवाया जाए तो शायद अच्छा न लगे, वैसे ही जबरदस्ती ‘जय श्रीराम क्यों कहलवाना’.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खत में सेलिब्रिटी ने श्रीराम के नारे के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए लिखा है कि देश में अल्पसंख्यकों और दलितों के साथ हर दिन लिंचिंग की खबरे आ रही हैं. पश्चिम बंगाल की जानीमानी अभिनेत्री अपर्णा सेन, लेखक और इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने खत में यह भी लिखा है कि सरकार की आलोचना का अर्थ देश की आलोचना करना बिल्कुल नहीं है.

चिट्ठी में लिखा गया, ‘आदरणीय प्रधानमंत्री… मुस्लिम, दलित और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लिंचिंग तत्काल प्रभाव से बंद होनी चाहिए. नैशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े देख हम हैरान हैं. एनसीआरबी के डेटा के अनुसार, दलितों के साथ 2016 में 840 हिंसक घटनाएं हुईं. इन अपराध में शामिल लोगों को दोषी करार देने के आंकड़े में भी कमी आई है.

पत्र में आगे लिखा गया है कि जनवरी 1 ,2009 और 29 अक्टूबर 2018 तक 254 धर्म पर आधारित अपराध रिपोर्ट किए गए हैं जिसमें 91 लोग मारे गए हैं जबकि 579 लोगों के घायल होने की सूचना है. सिटिजन रिलिजियस हेट क्राइम वाच की गणना के अनुसार मुस्लिम जो भारतीय जनसंख्या का 14 फीसदी हैं के 62 फीसदी मामलों में पीड़ित थे. जबकि क्रिश्चियन 23 जुलाई 2019 की जनसंख्या के अनुसार 2 फीसदी हैं इसका शिकार हुए हैं. खत में आगे लिखा हैकि 90 फीसदी ऐसे मामले मई 2014 के बाद हुए हैं. तब जब आपकी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता में आई.

सेलिब्रिटी ने पीएम से खत में कहा है लिंचिंग रोकने के लिए आपकी निंदा करना काफी नहीं है ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कानून की मांग की है. पत्र में इनलोगों ने, ‘लिंचिंग जैसे अपराध को गैर-जमानती घोषित किया जाने की मांग की है.’

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