scorecardresearch
Friday, 13 December, 2024
होमराजनीतिशिवसेना (यूबीटी) के बाबरी विध्वंस का जश्न मनाने के बाद SP ने लिया ‘सांप्रदायिक’ MVA से अलग होने का फैसला

शिवसेना (यूबीटी) के बाबरी विध्वंस का जश्न मनाने के बाद SP ने लिया ‘सांप्रदायिक’ MVA से अलग होने का फैसला

इस बीच, विपक्षी महा विकास अघाड़ी के विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया और पूरी चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम के इस्तेमाल पर सवाल उठाए.

Text Size:

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आज़मी ने घोषणा की कि उनकी पार्टी ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) से अलग होने का फैसला किया है.

विधान भवन के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए आज़मी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी हालिया हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने “हिंदुत्व एजेंडा” अपनाया है, यही वजह है कि सपा को गठबंधन में बने रहने पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है.

आज़मी ने कहा, “अगर एमवीए के भीतर एक गठबंधन सहयोगी बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर बधाई भेजने जा रहा है और अगर वे हिंदुत्व एजेंडा अपनाने जा रहे हैं, तो समाजवादी पार्टी को सोचने की ज़रूरत है.”

यह फैसला हाल ही में हुए एक घटनाक्रम के बाद लिया गया है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस की प्रशंसा करने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया.

इसके अलावा, शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में एक संबंधित समाचार पत्र विज्ञापन प्रकाशित किया गया था.

आज़मी ने कहा, “मैं आज अखिलेश यादव से बात करूंगा, लेकिन कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) को भी सोचना चाहिए कि क्या वह इस तरह के सांप्रदायिक गठबंधन के साथ बने रहेंगे.”

इस बार महाराष्ट्र चुनाव में सपा ने दो सीटें जीतीं — मानखुर्द-शिवाजीनगर से आज़मी और भिवंडी ईस्ट से रईस कसम शेख.

हालांकि शेख ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर बाबरी मस्जिद पर उनके विचारों को लेकर सेना (यूबीटी) के प्रति अपनी नाराज़गी व्यक्त की.

शुक्रवार को उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “यह आपको याद दिलाने के लिए है कि शिवसेना यूबीटी पार्टी को पिछले दो चुनावों — लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में धर्मनिरपेक्ष वोटों से भारी समर्थन मिला था. भारत के इतिहास के काले दिन का महिमामंडन अनुचित और अनुचित है. मैं इस तरह के महिमामंडन की कड़ी निंदा करता हूं.”

दिप्रिंट ने शिवसेना (यूबीटी) के कुछ विधायकों से फोन पर बात की, जिनमें से एक ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि अन्य ने फोन नहीं उठाया. जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

मुंबई में शनिवार से शुरू हुए तीन दिवसीय विशेष सत्र में विधायकों को शपथ दिलाने और स्पीकर चुनने का एजेंडा था. हालांकि, केवल सत्तारूढ़ विधायकों ने शपथ ली, जबकि विपक्षी एमवीए ने समारोह का बहिष्कार किया. एमवीए विधायकों ने पूरी चुनाव प्रक्रिया और ईवीएम के इस्तेमाल पर सवाल उठाते हुए शपथ नहीं लेने का फैसला किया.

शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने पत्रकारों से कहा, “विरोध के तौर पर हमने विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद राज्य में जो माहौल होना चाहिए था, वह नहीं है. कहीं भी जश्न नहीं मनाया जा रहा है. तो, सवाल उठता है कि क्या यह जनता का जनादेश है या चुनाव आयोग का या ईवीएम का. हम सभी ने चुनाव जीता है और इसके बावजूद हमें ईवीएम पर संदेह है, इसलिए लोगों और उनके संदेहों का सम्मान करने के लिए हमने शपथ नहीं लेने का फैसला किया है.”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने मीडिया से बात करते हुए ईवीएम प्रक्रिया पर भी संदेह जताया और सोलापुर के मरकडवाड़ी गांव में मॉक पोल करने में अधिकारियों की अनिच्छा पर सवाल उठाया.

वडेट्टीवार ने कहा, “अगर यह लोगों का जनादेश होता, तो अधिकारियों को मरकडवाड़ी के ग्रामीणों की मॉक पोल करने की अनुमति देने की याचिका को अस्वीकार नहीं करना चाहिए था, लेकिन चूंकि, अधिकारी डरे हुए हैं, इसका मतलब है कि वह कहीं न कहीं लोकतंत्र को मारने की कोशिश कर रहे हैं और इसलिए हमने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है.”

हालांकि, अबू आज़मी और रईस शेख ने विधायक के रूप में शपथ ली.

आज़मी ने मीडिया से कहा, “मैंने आवश्यकतानुसार शपथ ली. वैसे भी, सीट बंटवारे की प्रक्रिया के दौरान भी, एमवीए ने हमें बाहर रखा और हम एमवीए का हिस्सा नहीं थे. इसलिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें:


 

share & View comments