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Wednesday, 18 December, 2024
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अयोध्या सांसद की सीट या अडाणी मुद्दे पर मतभेद? क्या अखिलेश बना रहे हैं कांग्रेस से दूरियां

समाजवादी पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ न बोलने और उससे दूरी बनाने का फैसला किया है. सपा नेता भी अडाणी मुद्दे पर लगातार विरोध से नाराज़ दिखाई देते हैं.

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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद को लोकसभा में आगे की बेंच से हटाए जाने और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की चुप्पी से नाराज़ हैं. यही वजह है कि पार्टी ने लगातार दूसरे दिन गुरुवार को गौतम अडाणी रिश्वत मामले को लेकर संसद परिसर में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के विरोध प्रदर्शन से खुद को दूर रखा.

पिछले संसद सत्र में, सपा के पास आगे की लाइन में दो सीटें थीं, जहां अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन (इंडिया) के अन्य नेताओं के साथ बैठते थे, लेकिन नई व्यवस्था के तहत, अवधेश प्रसाद अब दूसरी पंक्ति में बैठेंगे. अखिलेश इस बात से नाराज़ हैं कि कांग्रेस ने इस बारे में कुछ नहीं किया. नया सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ है.

हालांकि, स्पीकर अलग-अलग पार्टियों की ताकत के हिसाब से सीटें आवंटित करते हैं, लेकिन विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी की बात विपक्ष की बेंच पर सुनी जाती है, लेकिन कांग्रेस ने दिप्रिंट को बताया कि बैठने की व्यवस्था सरकार ने ही तय की थी और वह स्थिति को ठीक नहीं कर पाई.

समाजवादी पार्टी के सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, “बुधवार को जब अखिलेश जी संसद में आए तो उन्होंने अन्य सांसदों के साथ पीछे बैठने का फैसला किया आगे की पंक्ति में नहीं, जहां विपक्ष के नेता बैठते हैं. बाद में जब कुछ पत्रकारों ने उनसे इसके पीछे का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, ‘धन्यवाद कांग्रेस’. उन्होंने बैठने की व्यवस्था में बदलाव के पीछे कांग्रेस की भूमिका की ओर इशारा किया.”

उन्होंने कहा, “आगे की दो पंक्तियों में कुल सात सीटें हैं, जिन पर पहले इंडिया ब्लॉक के नेता बैठते थे. हमारे पास दो सीटें थीं. अब कांग्रेस के पास चार सीटें हैं, जिसके अलावा हमारे पास एक सीट बची है. दूसरी ओर, अखिलेश जी अयोध्या के सांसद के साथ बैठना चाहते थे, क्योंकि वे पिछले सत्र में भी वही बैठे थे. उन्होंने कांग्रेस से भी इस बारे में पूछा.”

सांसद ने आगे कहा कि पार्टी के लिए अयोध्या में जीत “ट्रॉफी जीतने के समान” थी, जिसे वह हमेशा संसदीय बहसों के दौरान दिखाना चाहती है. उन्होंने कहा कि अखिलेश ने अपने भाषणों में कई बार अयोध्या के सांसद का नाम भी लिया. “वह (सिंह) नहीं चाहते थे कि वह (प्रसाद) पीछे की सीट पर बैठें.”

नतीजतन, सपा ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से सीख लेते हुए अडाणी मामले पर संसद में कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन से खुद को अलग कर लिया.

जहां टीएमसी ने कहा था कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल से जुड़े मुद्दे उठाने की ज़रूरत है, वहीं सपा ने भी इसी तरह की दलीलें दी हैं और कहा है कि उसे संसद में संभल हिंसा पर चर्चा करनी चाहिए. हालांकि, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बीच गहरी दरार पैदा होती नज़र आ रही है.

हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद कई सहयोगी उसे कमतर आंक रहे हैं.


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‘सपा को समझना होगा’

गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए सपा की डिंपल यादव ने सीट व्यवस्था के मुद्दे को स्वीकार किया, लेकिन इसे ज्यादा तूल नहीं दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी ने स्पीकर को इस बारे में सूचित कर दिया है. उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि यह मुद्दा सुलझ जाएगा. चिंता की कोई बात नहीं है.”

दूसरी ओर, कांग्रेस के लोकसभा उपनेता गौरव गोगोई ने दिप्रिंट से कहा, “हमें सीट व्यवस्था के मुद्दे की जानकारी है. यह आखिरी समय में हुआ. हम चाहते थे कि अयोध्या के सांसद आगे की पंक्ति में बैठें, लेकिन यह स्पीकर का फैसला था. सपा को यह समझना होगा. यह सरकार के लोगों ने सीट व्यवस्था बदली है, हमने नहीं.”

दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि सपा के नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ न बोलने और उससे दूरी बनाने का फैसला किया है. सपा नेता इस बात से भी नाराज़ हैं कि कांग्रेस सिर्फ एक मुद्दे यानी अडाणी पर लगातार विरोध कर रही है.

पार्टी प्रमुख अखिलेश के एक करीबी ने दिप्रिंट से कहा, “अडाणी का मुद्दा आम जनता तक नहीं पहुंच रहा है. उनके लिए बेरोज़गारी, महंगाई और हिंदू-मुस्लिम एकता ज्यादा महत्वपूर्ण है, लेकिन कांग्रेस अडाणी मुद्दे को गठबंधन सहयोगियों पर थोप रही है, इसलिए हमने इस तरह के विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने का फैसला किया है.”

अडाणी के विरोध प्रदर्शनों से समाजवादी पार्टी की अनुपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर, वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने जोर देकर कहा कि संभल हिंसा पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और “कुछ और मायने नहीं रखता”.

दिप्रिंट से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली ने कहा, “हमें विरोध प्रदर्शन के बारे में कांग्रेस से एक संदेश मिला था, लेकिन उन्होंने इसमें इस मुद्दे का उल्लेख नहीं किया. हमारे लिए अडाणी से ज्यादा संभल और पेपर लीक मुद्दा ज़रूरी है क्योंकि हम एक क्षेत्रीय पार्टी हैं. हमें पहले अपने मतदाताओं को संतुष्ट करना है. हमारे मतदाता संभल हिंसा, पेपर लीक और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों के बारे में अधिक चिंतित हैं.”

घोसी से पार्टी के सांसद राजीव राय ने दिप्रिंट से कहा, “समाजवादी पार्टी के नेता चाहते हैं कि संभल हिंसा का मुद्दा संसद में उठाया जाए. कांग्रेस को भी यह मुद्दा उठाना चाहिए. हमारी प्राथमिकताएं अलग हैं. हम अपने नेतृत्व के आदेश का पालन करेंगे.”

‘कुंदरकी पर चुप्पी और संभल पर दोहरा मापदंड’

लोकसभा में सीटों का बंटवारा ही ताजा मामला है. समाजवादी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश उपचुनावों के दौरान कांग्रेस की चुप्पी से भी नाराज़ है. हालांकि, उसने चुनावों में सपा को अपना समर्थन दिया था, लेकिन उसके नेता सपा और उसके उम्मीदवारों के समर्थन में रैलियों में नहीं आए.

सपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “जब पुलिस वाले संभल लोकसभा के अंतर्गत आने वाले कुंदरकी में मुस्लिम मतदाताओं को मतदान करने से रोक रहे थे, तब कांग्रेस नेतृत्व चुप था, लेकिन बाद में जब वहां हिंसा हुई, तो वो अचानक सक्रिय हो गए और संभल की ओर भागने की कोशिश की. दोहरा मापदंड क्यों?”

दिप्रिंट से बात करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने कहा, “कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन खत्म नहीं हुआ है. हम इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन कांग्रेस को हमारे मुद्दों को समझना होगा. उन्हें हमारे गठबंधन में सकारात्मक तरीके से भागीदार की भूमिका निभानी चाहिए. हमारे नेतृत्व ने हमेशा उनका समर्थन किया, लेकिन हमें उनकी तरफ से वैसा समर्थन नहीं मिल रहा है.”

दूसरी ओर, कांग्रेस नेतृत्व ने पिछले सत्रों की तरह ही अडाणी मुद्दे को उठाने का फैसला किया है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “यह मुद्दा शीर्ष नेतृत्व के करीब है. हमें अपना समर्थन देना होगा. जो सहयोगी हमारे साथ आ रहे हैं, वह ठीक हैं, लेकिन हम दूसरों को शामिल होने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.”

उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा, साथ ही, अगर सपा संभल में “कांग्रेस की सक्रियता” से नाराज़ है, तो अखिलेश यादव ने संभल जाने की कोशिश क्यों नहीं की? हमारा नेतृत्व हर जगह पहुंचता है, तो सपा नेता क्यों नहीं पहुंच सकते.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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