गुरुग्राम: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कांग्रेस पर प्रचंड जीत के साथ नियंत्रण बनाए रखने के एक महीने से अधिक समय बाद, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार देर रात मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में फेरबदल किया, जिसमें उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर द्वारा लाई गई पूरी प्रशासनिक टीम को हटा दिया गया है.
प्रकरण को इस बात का संकेत माना जा रहा है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री की छत्रछाया से बाहर निकल रहे हैं. तबादलों की घोषणा के साथ ही सैनी ने अगले पांच साल के लिए अपनी टीम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
राजनीतिक पर्यवेक्षक महाबीर जागलान ने दिप्रिंट को बताया कि प्रशासनिक हलकों और जनता के बीच यह धारणा रही है कि सैनी पिछले मुख्यमंत्री के प्रशासनिक ढांचे से निर्देशित हैं, जबकि उनके नेतृत्व में हरियाणा में भाजपा की जीत हुई है, लेकिन अब यह धारणा बदल सकती है.
जागलान ने कहा, “अन्य भाजपा मुख्यमंत्रियों की तरह, दिल्ली में पार्टी हाईकमान भी उनकी राजनीतिक निगरानी करता है, लेकिन हरियाणा में उन्हें यह दिखाना होगा कि वे सबसे बड़े ओबीसी नेता हैं, खासकर एक अन्य मुखर ओबीसी नेता राव इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी में.”
उन्होंने कहा, “सैनी जानते हैं कि अगर उन्हें लंबे समय तक मुख्यमंत्री और ओबीसी नेता के रूप में सफल होना है, तो उन्हें प्रशासन में बदलाव लाना होगा और इसकी कमान अपने हाथ में लेनी होगी.”
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हरियाणा सीएमओ में नए चेहरे
1992 बैच के वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी अरुण गुप्ता को मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. वे पूर्व सीएम द्वारा चुने गए 1993 बैच के अधिकारी वी. उमाशंकर की जगह लेंगे, जो अब प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव हैं.
गुप्ता नगर एवं ग्राम नियोजन, शहरी संपदा और उद्योग एवं वाणिज्य विभागों में अतिरिक्त मुख्य सचिव थे. चंडीगढ़ प्रशासन में गृह सचिव के पद पर पिछले कार्यकाल के साथ, उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है.
2005 बैच के आईएएस अधिकारी साकेत कुमार नए अतिरिक्त प्रधान सचिव हैं, जो पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर के करीबी सहयोगी अमित अग्रवाल की जगह लेंगे. कुमार के पास बाल रोग में एमडी की डिग्री है. सीएमओ में नियुक्ति से पहले, वे उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक और राज्य में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के महानिदेशक थे. वे हरियाणा सरकार के मेडिकल एजुकेशन एवं अनुसंधान विभाग के सचिव भी थे.
कुमार हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त भी रह चुके हैं. इस साल फरवरी में उन्होंने चंडीगढ़ में छठे एलेट्स नेशनल एनर्जी समिट में बात की थी, जहां उन्होंने अक्षय और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर चर्चा की थी.
उनके पूर्ववर्ती अग्रवाल को विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त और सचिव तथा हरियाणा पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त किया गया है. उन्हें खट्टर का करीबी माना जाता था. वे लंबे समय तक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक भी रहे हैं.
खट्टर के कार्यकाल के बाद से मुख्यमंत्री की अतिरिक्त प्रधान सचिव रहीं आशिमा बराड़ (2004 बैच) को भी सीएमओ से हटा दिया गया है. उन्हें भी खट्टर का विश्वासपात्र माना जाता था. वे और उनके पति मंदीप सिंह बराड़ — चंडीगढ़ में गृह सचिव के रूप में तैनात 2005 बैच के आईएएस अधिकारी — दोनों ने अलग-अलग समय पर खट्टर के कार्यालय में काम किया है.
उन्हें सेवा (सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण और अंत्योदय) विभाग का महानिदेशक नियुक्त किया गया है.
2011 बैच के आईएएस अधिकारी यशपाल, जो पहले शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक पद पर थे, उन्हें मुख्यमंत्री का उप-प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर मुख्य प्रधान सचिव बने रहेंगे. हालांकि, खुल्लर को खट्टर का करीबी माना जाता था, लेकिन वे नई नियुक्तियों में अपवाद बने हुए हैं.
जब सीएम सैनी ने इस साल मार्च में खट्टर की जगह ली, तो वे सीएमओ में उसी प्रशासनिक टीम के साथ बने रहे. बाद में, भाजपा ने उन्हें अक्टूबर में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया, जबकि खट्टर को अभियान से काफी हद तक दूर रखा गया.
सैनी ने सभी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों और एग्जिट पोल को धता बताते हुए चुनावों में शानदार जीत हासिल की और राज्य में तीसरी भाजपा सरकार का नेतृत्व किया.
17 अक्टूबर को राज्य सरकार ने खट्टर के विश्वासपात्र राजेश खुल्लर को कैबिनेट रैंक के साथ सीएमओ में मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया. हालांकि, कुछ ही घंटों में आदेश को रोक दिया गया. 22 अक्टूबर को जारी दूसरे आदेश में खुल्लर को फिर से नियुक्त किया गया, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया.
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