नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जिया उर रहमान बर्क के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि शाही जामा मस्जिद में कोर्ट द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान झड़प शुरू होने से दो दिन पहले राजनीतिक लाभ के लिए बर्क ने ‘भड़काऊ भाषण’ देकर भीड़ को उकसाया. एफआईआर में संभल से समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल के साथ 700-800 अज्ञात लोगों को भी आरोपी बनाया गया है.
एफआईआर के अनुसार, बर्क ने कथित तौर पर 22 नवंबर को ‘भड़काऊ भाषण’ दिया था — स्थानीय अदालत के निर्देश पर शाही जामा मस्जिद में पहला सर्वेक्षण किए जाने के तीन दिन बाद, जिसमें दावा किया गया था कि उस जगह पर कभी मंदिर हुआ करता था.
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि नमाज़ अदा करने के बाद बर्क ने बिना अनुमति के भीड़ इकट्ठा की. इसमें यह भी कहा गया है कि इकबाल ने भीड़ से कहा कि बर्क उनके साथ हैं. “हम आपको कुछ नहीं होने देंगे… अपने एजेंडे पूरे कीजिए” जिससे भीड़ और भी ‘आक्रामक’ हो गई.
अब तक पुलिस ने दो महिलाओं और कई नाबालिगों समेत 25 लोगों को हिरासत में लिया है. सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हिंसा के सिलसिले में सात एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें चार लोगों की जान चली गई है. चारों मृतकों को गोली लगी है. उनके शरीर के अंदर और बाहर दोनों तरफ घाव हैं, जो दर्शाता है कि उन्हें बहुत नज़दीक से गोली मारी गई थी.
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी रिपोर्ट दी थी कि संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कृष्ण बिश्नोई ने कहा कि पुलिस के पास गोली चलाने की अनुमति नहीं थी और “उपद्रवियों” ने गोलियां चलाईं, जिससे लोगों की जान चली गई. हालांकि, स्थानीय निवासियों और मृतकों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया है कि पुलिस की गोलीबारी में लोग मारे गए.
इस बीच, एसपी बिश्नोई ने दिप्रिंट से पुष्टि की कि समाजवादी पार्टी के विधायक जिया उर रहमान बर्क को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और न ही उन्हें नोटिस दिया गया है.
आरोपों से इनकार करते हुए बर्क ने इसे “साजिश” करार दिया. उन्होंने रविवार को मीडिया से कहा, “मैं कल राज्य में भी नहीं था, संभल में तो बिल्कुल नहीं. मैं एक मीटिंग के लिए बेंगलुरु गया था, लेकिन मेरे खिलाफ मामला दर्ज कर दिया गया. यह पुलिस प्रशासन की साजिश है.”
बर्क के खिलाफ दर्ज एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि हालांकि, अधिकारियों ने 24 नवंबर को भीड़ से सर्वेक्षण में बाधा न डालने का आग्रह किया था, लेकिन भीड़ में से कुछ लोगों ने पथराव करना शुरू कर दिया, पुलिस कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ भी की. इसमें यह भी कहा गया है कि भीड़ में से किसी ने सर्कल अधिकारी को मारने के इरादे से उन पर गोली चलाई.
एफआईआर के अनुसार, रविवार सुबह करीब 8:45 बजे स्थिति ने हिंसक रूप ले लिया, जब 800-900 लोगों की भीड़ मस्जिद क्षेत्र के बाहर नारे लगाने के लिए इकट्ठा हुई. पुलिस के एक अधिकारी की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है कि 40-50 लोगों ने पुलिस से हथियार और कारतूस छीनने की कोशिश की और आंसू गैस के गोले के बैग भी लूट लिए.
सोमवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार पर संभल में “दंगा भड़काने” का आरोप लगाया और जानमाल के नुकसान के लिए “जिम्मेदार” पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि ‘गलती करने वाले’ अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
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