सिवान: चंदा देवी द्वारा लकड़ी के दरवाजे की सुरक्षा में लगे धातु के बड़े से ताले को खोलने पर पांच भारी भरकम पुरुष बाहर इंतज़ार कर रहे हैं, जैसे ही दरवाजा खुलता है, भूरे रंग के नाइट सूट में 17-वर्षीय लड़की बाहर आती हैं. पुरुष कांस्टेबलों को यकीन नहीं होता. उनमें से एक ने कहा, “मैंने उसे सोशल मीडिया पर देखा है”.
सिवान में स्थानीय सनसनी बनी लड़की को महिला कांस्टेबलों ने तीन अन्य नाबालिगों के साथ बाहर निकाला. उन्हें एक पुलिस वैन में ले जाया गया जो उन्हें एक बचाव गृह में ले जाने के लिए इंतज़ार कर रही थी.
17-वर्षीय लड़की के डांस परफॉर्मेंस ने सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज़ बटोरे और वे अब तक सिवान में सबसे अधिक मांग वालीं नाबालिग डांसर हैं और सबसे अधिक पैसे कमाने वालीं भी.
फिर भी, नियॉन लाइट्स, तालियों की गड़गड़ाहट और सेक्विन वाले कपड़ों की इस चमक-धमक के पीछे एक गंभीर सच्चाई छिपी है: लड़की ‘मालिक की’ है.
उसकी ‘मालिक’ चंदा देवी महिला कांस्टेबल को कमरे की चाबियां नहीं सौंपना चाहती थी. डर था कि लड़की भाग सकती है, इसलिए देवी ने उन्हें बेशकीमती संपत्ति की तरह कैद कर लिया था. पिछले महीने देवी की एक स्टार डांसर के रात के अंधेरे में भाग जाने के बाद यह डर और बढ़ गया. तब से, वह ‘टैलेंट’ को गंदे, बिना खिड़की वाले कमरों में कैद कर रही है.
यह जादू 21 और 22 नवंबर की रात को टूटा, जब स्थानीय पुलिस, एनजीओ मिशन मुक्ति फाउंडेशन, मुंबई स्थित रेस्क्यू फाउंडेशन और कोलकाता स्थित रेस्क्यू एंड रिलीफ फाउंडेशन के सदस्यों के साथ देवी के किराए के मकान में घुस गई. देवी ने स्वीकार किया कि वह कम उम्र की ऑर्केस्ट्रा डांसरों को अपने घर में रखती थी.
अजनबियों के लिए आधी रात की छापेमारी बिहार के गंदे कार्यों की एक झलक थी — गरीबी, छल और जबरदस्ती से प्रेरित तस्करी का एक गठजोड़. ये नाबालिग लड़कियां, जो ज़्यादातर बंगाल, झारखंड और नेपाल से आती हैं, शादियों, जन्मदिनों और यहां तक कि श्राद्ध (हिंदू चंद्र कैलेंडर में पूर्वजों के सम्मान के लिए 15 दिनों की अवधि) के दौरान उत्तेजक नृत्य करने के लिए बिहार लाई जाती हैं.
एनजीओ स्वयंसेवकों और स्थानीय पुलिस के साथ सिवान के उन हिस्सों में गए जहां इस तरह के ऑर्केस्ट्रा परफॉर्मेंस आयोजित किए जाते हैं और जहां ‘टैलेंट’ को रखा जाता है, दिप्रिंट ने पाया कि इन नाबालिग लड़कियों को कमरों में बंद करके रखा जाता है, उनके मालिक बाहर पहरा देते हैं और किसी खतरे की स्थिति में उन्हें पिछले दरवाज़े से भागने के लिए मजबूर करते हैं.
मिशन मुक्ति फाउंडेशन के निदेशक वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा, “इन नाबालिग लड़कियों से अश्लील डांस करवाया जाता है और ज़्यादातर मामलों में, वे नशे में धुत पुरुषों द्वारा सामूहिक बलात्कार, उत्पीड़न की शिकार भी होती हैं. वे ज़्यादातर गरीब परिवारों से होती हैं और तस्करों के जाल में आसानी से फंस जाती हैं जो उन्हें वित्तीय स्थिरता और प्रसिद्धि का लालच देते हैं.”
उदाहरण के लिए शुक्रवार की सुबह बचाई गई 17-वर्षीय लड़की को तीन साल पहले पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से सिवान लाया गया था. उनसे एक कॉन्ट्रेंक्ट साइन करवाया गया था, जिसमें कहा गया था कि अगर वह भागने की कोशिश करेगी, तो उनके परिवार को चंदा देवी को 80,000 रुपये देने होंगे.
इसमें यह भी कहा गया था कि नाबालिग लड़की ‘म्यूजिक ऑर्केस्ट्रा’ के लिए डांसर की तरह काम करेगी और हर परफॉर्मेंस के लिए उन्हें 2,000 रुपये दिए जाएंगे. एक खंड में लिखा था, “अगर मैं बिना किसी कारण के डांस के लिए उपलब्ध नहीं होती और अगर मैं किसी दूसरी ऑर्केस्ट्रा पार्टी में जाती हूं, तो मुझे मालिक को 80,000 रुपये देने होंगे.”
एक अलग कॉन्ट्रैक्ट में, तस्करों ने नाबालिग लड़की की पहचान हिंदू से मुस्लिम में बदल दी. उन्होंने लड़की के परिवार या पुलिस के लिए उनका पता लगाना मुश्किल बनाने के लिए एक नकली आधार कार्ड भी बनवाया.
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सिवान में बचाव अभियान
जब एक दर्जन पुलिसकर्मी नीले रंग के टिन के दरवाजे से गुज़रे, तो सफेद बनियान पहने एक व्यक्ति ने वहां किसी भी नाबालिग डांसर की मौजूदगी से इनकार कर दिया. महिला कांस्टेबल ने उसे एक तरफ धकेला और अंदर घुस गए, जबकि पुरुष कांस्टेबलों ने उसका लाइसेंस मांगा.
अंदर एक छोटी लड़की बिस्तर पर लेटी थी और उन्होंने मुंह तक कंबल ढंका हुआ था. उन्होंने अपनी आंखें रगड़ी, माथे से सुनहरे बालों को साफ किया और बुदबुदाया, “मैं 15 साल की हूं.”
महिला कांस्टेबल ने कहा, “डरो मत. कुछ गर्म कपड़े पहनो. कुछ पैक करो और हमारे साथ आओ. हम तुम्हारी मदद करने के लिए यहां आए हैं.”
इसकी शुरुआत एक रेकी से हुई. एक स्वयंसेवक, आनंद ने स्थानीय यूट्यूबर बनकर खुद को नाबालिग डांसर लड़कियों के साथ संचालित ऑर्केस्ट्रा के स्थानों की पुष्टि करने के लिए पेश किया.
ऑपरेशन के दिन 21 नवंबर की रात को, एक सरकारी गेस्ट हाउस में एक बैठक आयोजित की गई थी. बचाव अभियान की रणनीति बनाने के लिए एक दर्जन पुलिस कांस्टेबल, जिनमें से आधी महिलाएं थीं और एनजीओ के स्वयंसेवक एकत्र हुए. काम आसान थी: दरवाज़ा खटखटाओ, अंदर घुसो, लड़कियों को बचाओ और ‘मालिक’ से लाइसेंस मांगो.
रात के अंत तक, लगभग 12 नाबालिगों को बचाया गया और पांच ‘मालिक’ को गिरफ्तार किया गया और उन पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.
सिंह ने कहा, “इन नाबालिगों को बचाव गृह में रखा जाएगा, जहां से उन्हें सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद उनके घर वापस भेज दिया जाएगा. उनके मालिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है.”
‘13 साल की लड़की के लिए पसंद, सहमति क्या है’
21 नवंबर को ऑपरेशन से पहले, इस साल सितंबर में सिंह के एनजीओ ने एक और मशहूर नाबालिग डांसर को बचाया था. यह राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो थे, जिन्होंने सिंह को 1.5 मिलियन इंस्टाग्राम फॉलोअर्स वाली नाबालिग डांसर को बचाने का काम सौंपा था.
उनकी मां, जो खुद भी डांसर है, ने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए 13 साल की लड़की को इस पेशे में धकेला था. लड़की की यूनिक स्टाइल — ऊंची पोनीटेल और बोल्ड रेड लिपस्टिक — ने जल्द ही सभी का मन मोह लिया. वे घर-घर में मशहूर हो गईं, छपरा और देवरिया जैसे आस-पास के शहरों के पुरुष उन्हें देखने के लिए उत्सुक रहते थे. सितंबर में जब टीम ने उनके घर पर छापा मारा, तो 13 साल की लड़की बिस्तर के नीचे छिपी हुई थी.
जब पुलिस ने उन्हें बाहर निकाला, तो उन्होंने कहा कि वे डर गईं थीं और अपनी मर्ज़ी से डांस कर रही थीं. सिंह ने कहा, “लेकिन 13 साल की लड़की के लिए पसंद और सहमति क्या है? वे पूरी तरह से समझ भी नहीं पाती कि वे क्या कर रही हैं.”
पिछले एक महीने से लड़की रेस्क्यू होम में है. ऑर्केस्ट्रा में उनकी जगह शुक्रवार को बचाई गई 17-वर्षीय लड़की ने ले ली थी.
एक बच्चे को गोद में लिए 13-वर्षीय लड़की की मां कहती हैं कि जैसे ही उनकी बेटी रेस्क्यू होम से बाहर आएगी, वे बंगाल चली जाएंगी. “मैं उसे नाचने नहीं दूंगी. वो अब कभी नहीं नाचेगी. हम वापस बंगाल चले जाएंगे.”
लेकिन इस रौनक और शोषण की दुनिया में आना या इसे छोड़ना हमेशा एक विकल्प नहीं होता.
सिवान और आस-पास के इलाकों में घूम रहे एक वीडियो में 13-वर्षीय लड़की को एक स्थानीय यूट्यूबर से यह कहते हुए देखा जा सकता है, “मैं नाच रही हूं क्योंकि यह मेरी मजबूरी है, कोई ऑप्शन नहीं है.”
(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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