नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने बुधवार को कहा कि भारत को 2030 तक 30 करोड़ टन इस्पात उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के लिए और 12 करोड़ टन इस्पात विनिर्माण क्षमता स्थापित करनी होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए 120 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।
इस्पात मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यदि इस्पात की मांग में वृद्धि जारी रही और क्षमता में वृद्धि नहीं हुई तो भारत भी इस्पात का शुद्ध आयातक बन सकता है।
पौंड्रिक ने यहां उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा कि भारत की इस्पात क्षमता 18 करोड़ टन तक पहुंच गई है और इसे 30 करोड़ टन तक पहुंचाने के लिए 12 करोड़ टन की और जरूरत है।
उन्होंने कहा, “हमें लगभग 12 करोड़ टन अतिरिक्त क्षमता की आवश्यकता होगी, जिसका अर्थ है लगभग 120 अरब डॉलर का निवेश, जो भारतीय मुद्रा में 10 लाख करोड़ रुपये बैठता है। और अगर वह निवेश आना है, तो हमारे उद्योग को उस तरह की लाभप्रदता प्राप्त करनी होगी कि हम वह निवेश करने में सक्षम हों।”
सचिव ने आगाह करते हुए कहा कि यदि ऐसा नहीं होगा, तथा क्षमता वृद्धि के बावजूद मांग में वृद्धि जारी रहेगी, तो संभवतः 2030 तक भारत शुद्ध इस्पात आयातक बन जाएगा।
जहां तक इस्पात की मांग का सवाल है, कोई समस्या नहीं है। वर्ष की पहली छमाही में इस्पात की मांग में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 100 किलोग्राम की ओर बढ़ रही है।
भाषा अनुराग अजय
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