नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 15 वर्षों तक शान से राज करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शनिवार 20 जुलाई को दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में आखिरी सांस ली. दिल की मरीज़ रही शीला भले ही हमारे बीच आज नहीं हैं लेकिन उनके राजनीतिक सफर और दिल्ली को जिस तरह से विकास के शिखर पर पहुंचाया उसके लिए वह हमेशा याद की जाती रहीं हैं और रहेंगी.
उत्तर प्रदेश की बहू और पंजाब की बेटी रही शीला दिल्ली पढ़ने आईं और यहीं की होकर रह गईं. शीला दीक्षित का जन्म पंजाब के कपूरथला में 31 मार्च 1938 को हुआ. ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाली शीला की शिक्षा से लेकर राजनीति की जमीन पूरी तरह से दिल्ली को बनाया. दिल्ली जीसस एंड मैरी स्कूल से स्कूलिंग और दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज तक का सफर तय किया और फिर दिल्ली की 15 वर्षों तक सीएम रहीं. उन्होंने दिल्ली के विकास की नई कहानी लिखी.
2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें आप पार्टी से हार का मुंह देखना पड़ा. अपनी हार से अचंभित शीला ने हार को स्वीकार किया. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह एकबार फिर चुनावी मैदान में उतरीं लेकिन इस बार उन्हें भाजपा के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी से हारीं. जीत के बाद जब मनोज तिवारी उनसे आशिर्वाद लेने उनके घर पहुंचे तो उन्होंने सिर पर हाथ रखकर ढे़र सारा आशीष भी दिया.
शीला जिससे भी मिलती बहुत घुलमिल कर मिलती थीं. एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की पुत्री और दिल्ली कांग्रेस की नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी से तल्लीनता से बातचीत करतीं नजर आईं.
व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपने शौक पूरे कर लिया करती थीं. पढ़ने की शौकीन शीला दीक्षित पढ़ने का मौका कभी नहीं छोड़ती थीं.
खुश मिजाज शीला दीक्षित का यह अंदाज बहुत ही निराला था. यह फोटो हमारे फोटोग्राफर प्रवीण जैन ने अपने अनमोल खजाने से ढूंढ निकाली है.
शीला दीक्षित कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में
शीला जितनी राहुल गांधी की प्रिय हैं उतनी ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी प्रिय और करीबी मानी जाती थीं.
शीला जितनी राजनीति में सक्रिय थीं उससे कहीं अधिक वह गायन और पढ़ने की भी शौकीन थी, पंजाबी गायक दलेर मेहंदी के साथ उनकी यह फोटो उनकी जिंदादिली की निशानी है.