scorecardresearch
Friday, 15 November, 2024
होमदेशमहाराष्ट्र चुनाव में मतदान का मौका चूक सकते हैं 12 लाख से अधिक श्रमिक : गन्ना कटाई संगठन

महाराष्ट्र चुनाव में मतदान का मौका चूक सकते हैं 12 लाख से अधिक श्रमिक : गन्ना कटाई संगठन

Text Size:

पुणे (महाराष्ट्र), 15 नवंबर (भाषा) मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ के 12 लाख से अधिक गन्ना किसान 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान करने का मौका चूक सकते हैं।

महाराष्ट्र गन्ना कटाई एवं परिवहन संघ के अनुसार, 15 नवंबर से गन्ना पेराई सत्र शुरू होने के साथ ही कटाई करने वाले लाखों श्रमिक विभिन्न जिलों से पहले ही पश्चिमी महाराष्ट्र और कई अन्य राज्यों के गन्ना उत्पादक क्षेत्र की ओर पलायन कर चुके हैं।

संघ ने औरंगाबाद उच्च न्यायालय पीठ से निर्वाचन आयोग को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि मतदाताओं के इस बड़े समूह को अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित न होना पड़ा।

‘वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन’ ने आश्वासन दिया कि 20 नवंबर को श्रमिकों को उनके गृहनगर भेजने की उचित व्यवस्था की जाएगी ताकि वे मतदान कर सकें।

महाराष्ट्र गन्ना कटाई श्रमिक और परिवहन संघ के अध्यक्ष जीवन राठौड़ ने अपनी याचिका में कहा कि मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र और विदर्भ से 12-15 लाख श्रमिक कटाई के मौसम से पहले पश्चिमी महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में गन्ने की खेती वाले क्षेत्रों में चले जाते हैं।

राठौड़ ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘कटाई के मौजूदा सत्र के मद्देनजर गन्ने की कटाई करने वाले बड़ी संख्या में श्रमिक पहले ही अपने घर छोड़ कर काम के लिए दूसरे क्षेत्रों में चले गए हैं और वे अप्रैल या मई 2025 तक वापस नहीं आएंगे।’’

राठौड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए बड़े पैमाने पर लोगों के चले जाने पर चिंता जताई।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आबादी का इतना बड़ा हिस्सा अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करता है तो इससे सहभागी लोकतंत्र का उद्देश्य विफल हो जाता है।’’

एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि छह प्रमुख दलों वाली महाराष्ट्र की खंडित राजनीति में इन प्रवासी श्रमिकों के वोट महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जीत का अंतर कम रहने की संभावना है।

अपनी याचिका में एसोसिएशन ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह आयोग को डाक मतपत्र या परिवहन की सुविधा प्रदान करने जैसी उपयुक्त व्यवस्था करने का निर्देश दे ताकि प्रवासी श्रमिक मतदान करने के लिए अपने मूल स्थानों की यात्रा कर सकें और अपने कार्यस्थलों पर वापस लौट सकें।

उन्होंने अदालत से राज्य के चीनी आयुक्त को महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड, वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन और सभी चीनी मिल के साथ समन्वय करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया ताकि चुनाव के दिन इन श्रमिकों के लिए अवकाश घोषित किया जा सके।

देश के शीर्ष चीनी उत्पादकों में से एक महाराष्ट्र में 200 से अधिक निजी और सहकारी चीनी मिल हैं। पिछले साल राज्य ने करीब 110 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।

याचिकाकर्ता के वकील सुनील राठौड़ ने कहा कि अदालत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए मताधिकार का इस्तेमाल सुनिश्चित करने के मकसद से उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी थी और सुझाव दिया था कि प्रवासी गन्ना श्रमिकों के लिए भी इसी तरह के प्रावधानों पर विचार किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत ने कोई निर्देश नहीं दिया है बल्कि सिर्फ उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, चीनी आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड और वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन को नोटिस जारी किए गए हैं।

वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी. थोम्बरे ने जोर देकर कहा कि श्रमिकों को उनके मताधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों तक परिवहन की उचित व्यवस्था की जाएगी।

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments