नई दिल्ली: वैली ऑफ वर्ड्स (VoW) लिटरेरी फेस्टिवल अपने आठवें संस्करण में राजनीति और सैन्य रणनीति से लेकर साहित्य और संस्कृति तक के विषयों पर चर्चाओं और कार्यक्रमों की एक शानदार सीरीज़ पेश करने को लिए उत्साहित है. इस साल इसका आयोजन 16 और 17 नवंबर को किया जाएगा, जिसमें एक ऐसा कार्यक्रम तैयार किया गया है जिसका उद्देश्य वैचारिक मतभेदों से परे संवाद करना और वैश्विक और राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस को और आगे बढ़ाना है.
VoW अपने समुदाय के दो प्रिय सदस्यों — जसकिरन चोपड़ा और धीरेंद्र शर्मा को श्रद्धांजलि देगा, जिनका पिछले साल निधन हो गया था. श्रद्धांजलि में आमंत्रित कवियों द्वारा चोपड़ा के संग्रह से छंदों का पाठ करते हुए उनकी साहित्यिक विरासत का जश्न मनाया जाएगा. धीरेंद्र शर्मा, एक बुद्धिजीवी और पर्यावरणविद्, ने VoW के पारिस्थितिकी सत्रों में योगदान दिया. राजेंद्र डोभाल द्वारा आयोजित एक सत्र में उनकी स्मृति को सम्मानित किया जाएगा, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और चिकित्सा के भविष्य के लिए इसके निहितार्थों को भी छूता है, जो शुद्ध, अनुप्रयुक्त और सामाजिक विज्ञानों के बीच की खाई को पाटता है.
इस महोत्सव में एक आवर्ती विशेषता सैन्य इतिहास और रणनीति की खोज है, जो एक साहित्यिक आयोजन के लिए अप्रत्याशित लग सकता है, लेकिन समकालीन राष्ट्रीय सुरक्षा को समझने के लिए महत्वपूर्ण है. भारत में जारी रक्षा बहसों को देखते हुए VoW ने सैन्य इतिहास और रणनीति (MHS) पर एक समर्पित वर्टिकल बनाया है, जिसकी अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल पी.जे.एस. पन्नू करेंगे. भारत के रक्षा बजट और रणनीतिक विकल्पों पर एक सत्र तकनीकी प्रगति और मानव संसाधन विकास के बीच संतुलन का विश्लेषण करेगा, जिसमें सेना की तीनों शाखाओं से अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी.
प्रदर्शनियां भी VoW का एक अभिन्न अंग हैं, जो सांस्कृतिक अनुभव को बढ़ाएंगी. इस फेस्ट में उत्तराखंड के संग्रहालयों पर एक प्रदर्शनी दिखाई जाएगी, जिसे अंजलि भरतरी क्यूरेट करेंगी, साथ ही हेस्को से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (SHG) के प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन भी किया जाएगा. इति लेख में किताबों का एक संग्रह होगा, जबकि इति स्मृति में VoW यादगार वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. इसके अलावा, एक प्रदर्शनी में उत्तराखंड और ट्राइब्स इंडिया के बेहतरीन उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को रेखांकित करेगा.
हिंदी साहित्य के प्रति उत्साही लोगों के लिए VoW 2024 एक आकर्षक अनुभव का वादा करता है. महोत्सव में तीन पुरस्कार विजेता हिंदी पुस्तकों के लेखक — डॉ सुरेश पंत, सुभाष नीरव और उदय प्रकाश — के साथ-साथ अन्य प्रमुख हिंदी लेखक भी शामिल होंगे. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, ममता किरण और अंजुम शर्मा भी सत्रों में अपना योगदान देंगी. चर्चाओं के अलावा, हिंदी, अंग्रेज़ी और उर्दू कविता पर आधारित एक मुशायरा और एक कविता श्रद्धांजलि सत्र भी होगा.
इस महोत्सव में पांच हिंदी किताबों का विमोचन और अंजुम शर्मा द्वारा क्यूरेट किया गया सदानीरा का एक विशेष संस्करण भी शामिल होगा, जिसमें विभिन्न विधाओं की शॉर्टलिस्ट की गई पुस्तकों की समीक्षा शामिल है.
VoW इस वर्ष अपना प्रकाशन — VoWels भी शुरू कर रहा है, जिसमें लेखकों के इंटरव्यू, शॉर्टलिस्ट की गई किताबों की समीक्षा और विभिन्न महोत्सव वर्टिकल के क्यूरेटर द्वारा लेख शामिल होंगे. बोर्ड के सदस्य किशोर मेनन द्वारा डिज़ाइन किया गया, VoWels उनकी सौंदर्य संबंधी संवेदनशीलता को दर्शाएगा, जो महोत्सव की गतिविधियों पर एक व्यापक नज़रिया पेश करेगा, जिसमें मातृभाषा दिवस जैसे अंतर्राष्ट्रीय समारोहों से लेकर ज्ञान वर्टिकल के भीतर गहन अन्वेषण शामिल हैं.
REC, ONGC, नेस्ले और उत्तराखंड सरकार जैसे प्रायोजकों से मजबूत समर्थन के साथ, महोत्सव की पहुंच लगातार बढ़ रही है.
दिप्रिंट, गढ़वाल पोस्ट और रेडियो ज़िंदगी जैसे भागीदारों से मीडिया कवरेज ने VoW की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे यह देहरादून, इंदौर, पुणे, चेन्नई और नई दिल्ली जैसे शहरों में एक प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम बन गया है.
इस साल एक उल्लेखनीय सत्र उत्तराखंड के उच्च क्षेत्रों में जनसांख्यिकी पर प्रवास के प्रभाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थों पर केंद्रित होगा. डॉ. कुलदीप दत्ता द्वारा क्यूरेट किए गए इस सत्र में ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों, विशेष रूप से सीमावर्ती गांवों में स्थायी प्रवास की बढ़ती प्रवृत्ति और भारत के सुरक्षा परिदृश्य पर इसके संभावित प्रभावों का पता लगाया जाएगा. पूर्व मुख्य सचिव इंदु पांडे और अन्य विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ, इसमें प्रशासनिक, राजनीतिक, सामाजिक और रक्षा दृष्टिकोणों पर चर्चा होगी.
पोएट्री @नाइंटी नामक विशेष रूप से अनूठा सत्र ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल के जीवन और साहित्यिक योगदान के लिए आयोजित किया जाएगा, जो लेखन और सामाजिक जुड़ाव के लिए गहरे जुनून वाले एक अनुभवी हैं. सैन्य और इंजीनियरिंग में अपनी पृष्ठभूमि के बावजूद, बहल अपने काव्य कार्यों के लिए जाने जाते हैं, जिसमें सर्वे ऑफ इंडिया, सुभाष चंद्र बोस और भगवद गीता पर किताबें शामिल हैं. सत्र में बहल और विद्वान राम विनय सिंह और मनोज ध्यानी के बीच चर्चा होगी, जो उनकी कविताओं के गहरे अर्थों पर चर्चा करेंगे.
अंत में भविष्य के शहरों पर एक विचारोत्तेजक सत्र भारत में शहरीकरण द्वारा उत्पन्न चुनौतियों और अवसरों का पता लगाएगा. शहरी नियोजन विशेषज्ञ आशीष की अध्यक्षता में, चर्चा शहरों के भविष्य पर केंद्रित होगी — बुनियादी ढांचे, स्थिरता और नियोजन के संदर्भ में उन्हें क्या चाहिए. इस सत्र में दून विश्वविद्यालय के अखिलेश और अविनाश जैसे विशेषज्ञ शामिल होंगे और पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ विकास को संतुलित करने की चुनौतियों को संबोधित करेंगे.
इस उत्सव में भारत में तुर्की के राजदूत, फिरात सुनेल के साथ एक चर्चा भी होगी, जो अपने उपन्यास द लाइटहाउस फैमिली में सांस्कृतिक संबंध और जनसंख्या विनिमय के स्थायी प्रभाव के विषयों पर बात करेंगे. यह सत्र देहरादून के विभाजन परिवारों के साथ प्रतिध्वनित होगा, जो इतिहास और पहचान पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रदान करेगा.
VoW 2024 का उद्देश्य साहित्यिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक अनुभवों का एक आकर्षक मिश्रण पेश करना है और सभी के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण मंच बना रहना है.
(दिप्रिंट वैली ऑफ वर्ड्स लिटरेरी फेस्टिवल का डिजिटल मीडिया पार्टनर है)