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श्रीनगर, चार नवंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नवनिर्वाचित विधानसभा को सोमवार को आश्वासन दिया कि उमर अब्दुल्ला सरकर राज्य का दर्जा और प्रदेश को मिली विभिन्न संवैधानिक गारंटी को बहाल करने की हर संभव कोशिश करेगी।
विधानसभा में अपने पहले अभिभाषण में उपराज्यपाल ने कहा कि राज्य के दर्जे एवं संवैधानिक गारंटी की बहाली लोगों द्वारा लोकतांत्रिक संस्थानों में व्यक्त किये गये विश्वास का ‘‘उचित प्रतिफल’’ होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को ‘साकार करने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है।
राज्य के दर्जे की बहाली की मांग की पृष्ठभूमि में उपराज्यपाल ने कहा कि यह आकांक्षा प्रबल बनी हुई है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कई मौकों पर इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता चुके हैं।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरसन के साथ जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों–जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में बांट दिया गया था।
सिन्हा ने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर के मंत्रिपरिषद ने हाल में राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करने का आह्वान करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव निर्वाचित प्रतिनिधियों की सामूहिक इच्छा को दर्शाता है और पूर्ण लोकतांत्रिक शासन की बहाली के लिए लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करता है।’’
उन्होंने अपने पारंपरिक भाषण में कहा, ‘‘मेरी सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा और प्रदेश को मिली संवैधानिक गारंटी को बहाल करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में व्यक्त किये गये विश्वास का उचित प्रतिफल होगा।’’
उपराज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के एजेंडा को सामने रखा जाता है। इस अभिभाषण को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलती है।
सभी दलों को संदेश देते हुए उन्होंने सभी पक्षों से एक टीम के रूप में मिलकर काम करने एवं ‘लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने में मेरी सरकार को ’ सहयोग देने की अपील की ।
सिन्हा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भारी मतदान लोगों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अटूट आस्था को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद पहली बार हुआ यह चुनाव, ‘राजनीतिक अनिश्चितता’ के दौर के बाद लोकतांत्रिक शासन बहाल करने में ‘एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर’ है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के सम्मान के साथ पुनर्वास का प्रयास करेगी और उसके लिए सुरक्षित माहौल तैयार किया जायेगा।
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘ कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के लिए ‘ट्रांजिट’आवास परियोजनाओं के काम में तेजी लाई जाएगी ताकि उन्हें निर्दिष्ट स्थानों पर उपयुक्त आवास उपलब्ध कराया जा सके।’’
नवनिर्वाचित सदस्यों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ हम एक दशक से भी अधिक समय में पहली बार लोकतांत्रिक चुनाव के सफल और शांतिपूर्ण आयोजन के बाद यहां एकत्र हुए हैं।’’
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र की अटूट भावना, हमारी संस्थाओं की ताकत और इस क्षेत्र के लोगों का इस विधानसभा के माध्यम से अपने लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व में विश्वास का प्रमाण है। इस प्रतिष्ठित सदन की बहाली देखना सौभाग्य की बात है, जो एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है।’’
सिन्हा ने कहा कि विधानसभा चुनाव के सबसे उत्साहजनक पहलुओं में एक उच्च मतदान प्रतिशत रहा, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में लोगों की अटूट आस्था को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ विशेषकर जिन क्षेत्रों में पारंपरिक रूप से अलगाववादी भावनाओं के प्रति अल्पसंख्यकों के मुखर रूप से सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण होने के कारण मतदान में पूरी हिस्सेदारी नहीं होती थी, वहां उच्च मतदान प्रतिशत यह दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अब भी चुनावी भागीदारी को अपनी चिंताओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने के साधन के रूप में देखते हैं। चुनावी प्रक्रिया का सफलतापूर्वक पूरा होना जम्मू-कश्मीर के इतिहास में एक युग का प्रतीक है।’’
सिन्हा ने कहा कि वह लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने तथा लोगों को उनके योग्य शासन और भविष्य प्रदान करने के लिए सभी के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं।
उपराज्यपाल ने कहा कि सरकार लोगों को और अधिक राजनीतिक सशक्तीकरण प्रदान करने तथा रोजगार, सतत विकास, सामाजिक समावेशन और जीवन की समग्र गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था के विस्तार हेतु अनुकूल वातावरण बनाने के लिए किए गए वादों को लागू करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हर वर्ग और हर क्षेत्र के साथ समान व्यवहार किया जाएगा तथा समावेशी और संतुलित विकास सुनिश्चित करने के लिए उनका विकास किया जाएगा, ‘‘जो मेरी सरकार की एक गंभीर और पवित्र प्रतिबद्धता होगी।’’
भाषा राजकुमार माधव
माधव
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