… कुशान सरकार …
नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन मैचों की टेस्ट श्रृंखला में 0-3 की करारी शिकस्त के दौरान दिग्गज बल्लेबाजों के प्रदर्शन ने सबसे ज्यादा निराश किया और इन बड़े बल्लेबाजों पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि इन खिलाड़ियों ने रणजी और दलीप ट्रॉफी जैसे बड़े घरेलू आयोजनों में भाग लेना लगभग छोड़ दिया है। मौजूद दौर के खिलाड़ियों को घरेलू आयोजनों से दूर रहने की छूट कार्यभार प्रबंधन को देखते हुए मिलती है लेकिन अतीत में ऐसी स्थिति नहीं थी। अगर हम साल 2007 की बात करें तो जनवरी में भारतीय टीम का दक्षिण अफ्रीका का लंबा दौरा खत्म हुआ था। टीम को इसके तुरंत बाद वनडे विश्व कप की तैयारियों के लिए वेस्टइंडीज के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला में भाग लेना था। भारत ने 21, 24, 27 और 31 जनवरी को नागपुर, चेन्नई, कटक और वडोदरा में चार वनडे मैच खेले। इसके बाद एक फरवरी को टीम के चार अनुभवी सदस्य सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, अजीत अगरकर और सौरव गांगुली वडोदरा से मुंबई के लिए रवाना हो गये क्योंकि यह चारों दो से छह फरवरी तक खेले जाने वाले रणजी ट्रॉफी फाइनल में भाग लेना चाहते थे। इस मुकाबले में तेंदुलकर ने शतक जड़ा तो वहीं गांगुली ने 90 रन बनाये और जहीर ने भी कुछ अहम विकेट चटकाये। रणजी फाइनल के 48 घंटे के अंदर तेंदुलकर, गांगुली और जहीर को श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रृंखला खेलनी थी और तब ‘कार्यभार प्रबंधन’ चर्चा का विषय नहीं था। जसप्रीत बुमराह का मामला अपवाद हो सकता है जिनके चोटिल होने की संभावना अधिक होती है लेकिन उनके पास किसी भी परिस्थिति में बेहतरीन गेंदबाजी करने का असाधारण कौशल है। विराट कोहली, रोहित शर्मा, रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जड़ेजा जैसे खिलाड़ियों के दलीप ट्रॉफी से बाहर रहने पर सवाल उठ रहा है। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज देवांग गांधी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वर्ष 2000 में अप्रैल के दूसरे सप्ताह की भीषण गर्मी में तेंदुलकर ने मुंबई के लिए तमिलनाडु के खिलाफ रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल खेला और पहली पारी में लगभग 500 रनों का पीछा करते हुए दोहरा शतक बनाया।’’ साल 2017 से 2021 के बीच राष्ट्रीय चयनकर्ता रहे इस पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ वह इस मैच के तीन दिन के बाद हैदराबाद टीम के खिलाफ रणजी फाइनल खेल रहे थे। हैदराबाद की टीम में मोहम्मद अजहरुद्दीन और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी थे। तेंदुलकर ने इस मैच में एक अर्धशतक और एक शतक बनाया। तेंदुलकर ने मार्च के आखिर में वनडे श्रृंखला में भाग लेने के बाद अप्रैल में दो सप्ताह के अंतराल में रणजी सेमीफाइनल और फाइनल खेला।’’ दूसरी ओर कोहली ने अपना पिछला रणजी ट्रॉफी मैच 2013 में उत्तर प्रदेश के खिलाफ गाजियाबाद में खेला था। इस मैच में वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, ईशांत शर्मा, सुरेश रैना, मोहम्मद कैफ और भुवनेश्वर कुमार भी शामिल थे। यह शायद आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच था जिसमें राष्ट्रीय टीम के इतने सारे खिलाड़ी एक साथ खेल रहे थे। रोहित ने मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी में अपना पिछला मैच साल 2015 में खेला था। उसके बाद दोनों ने एक-एक प्रथम श्रेणी मैच खेले। कोहली ने श्रीलंका दौरे (2017) से पहले भारत ए के लिए और रोहित ने दक्षिण अफ्रीका (2019) के खिलाफ घरेलू श्रृंखला से पहले भारत ए के लिए एक मैच खेला है। इस मुकाबले के बाद रोहित ने टेस्ट में पारी का आगाज करना शुरू किया। तेंदुलकर ने अपने करियर में 200 टेस्ट सहित 310 प्रथम श्रेणी मैच खेले। मास्टर ब्लास्टर ने व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के बावजूद 24 वर्षों में अभ्यास मैच सहित 110 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। इसकी तुलना में कोहली ने 32 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और रोहित ने 2006 के बाद से प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 18 वर्षों में 61 मैचों के साथ कुछ बेहतर प्रदर्शन किया है। रोहित और कोहली को हालांकि दो महीने तक आईपीएल के व्यस्त कार्यक्रम से गुजरना पड़ता है। रोहित ने करियर में 448 टी20 मैच खेले हैं जबकि कोहली ने 399 मैच खेले है। गांधी ने कहा, ‘‘जाहिर तौर पर कार्यभार प्रबंधन और आराम दोनों महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ बल्लेबाजों को हालांकि जब यह पता है कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ लय में नहीं है तो उन्हें घरेलू क्रिकेट में वापसी करनी चाहिये थी। मेरा मानना है इन खिलाड़ियों को दलीप ट्रॉफी के मैच खेलने चाहिये थे।’’ चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद का विचार हालांकि गांधी से काफी अलग है। उनका मानना है कि मौजूदा दौर में जितनी क्रिकेट खेली जा रही है, उसे देखते हुए दो अलग-अलग युगों की तुलना करना अनुचित है। प्रसाद ने कहा, ‘‘यह कपिल पाजी (देव) और सनी सर (सुनील गावस्कर) के दिनों के विपरीत है, क्रिकेट की मात्रा तेजी से बढ़ी है। यहां खिलाड़ियों को काफी कुछ झोंकना होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि बीसीसीआई ईरानी कप के मैच को सही समय पर कराकर शेष भारत की टीम से बड़े खिलाड़ियों को खेलने के लिए कह सकता है।’’ प्रसाद ने यह भी महसूस किया कि कार्यभार को प्रबंधित करने के लिए ‘रोटेशन (मैचों के बीच में खिलाड़ियों को विश्राम देना)’ नीति होनी चाहिए, जिसे उनके नेतृत्व वाली समिति ने 2017 और 2021 के बीच लागू किया था। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि खिलाड़ियों के लिए ब्रेक सुनिश्चित करने के लिए हमारे द्वारा शुरू की गई ‘रोटेशन’ प्रणाली को क्यों खत्म कर दिया गया है, आपको बांग्लादेश के खिलाफ खेलने के लिए सभी सितारों की जरूरत नहीं थी।’’ भाषा आनन्द सुधीरसुधीर
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