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Monday, 21 October, 2024
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सिंहस्थ से पहले हरिद्वार की तर्ज पर उज्जैन में भी बनेंगे स्थायी आश्रम : मुख्यमंत्री मोहन यादव

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार उज्जैन में भी साधु-संतों के स्थायी आश्रम बनवाने के प्रयास किए जाएंगे. उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से योजना को आकार दिया जाएगा.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि उज्जैन में हरिद्वार के तर्ज पर साधु-संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर आदि को स्थायी आश्रम बनाने की अनुमति दी जाएगी.

हर 12 वर्षों में एक बार होने वाले सिहंस्थ का आयोजन वर्ष राज्य में 2028 में किया जाएगा. साधु-संतों को उज्जैन में आने, ठहरने, कथा, भागवत इत्यादि अन्य आयोजन के लिए पर्याप्त रूप से भूमि की आवश्यकता पड़ती है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा साधु-संतों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई हैं.

उन्होंने कहा कि निजी होटल्स में साधु-संतों और श्रद्धालुओं को इस प्रकार के आयोजनों के लिए चुनौतियां आती हैं.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को मेला कार्यालय, उज्जैन के ऑडिटोरियम में सिंहस्थ के संबंध में पत्रकारों से संवाद कर रहे थे.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार उज्जैन में भी साधु-संतों के स्थायी आश्रम बनवाने के प्रयास किए जाएंगे. उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से योजना को आकार दिया जाएगा.

सिंहस्थ के दृष्टिगत सड़क, बिजली, पेयजल, जल-निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थायी अधोसंरचना का निर्माण भी होगा, जिससे अस्थायी निर्माण से होने वाली समस्याएं निर्मित न हों.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए सभी जन-प्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्य-योजना तैयार की गई है. सुगम यातायात के दृष्टिगत फोर-लेन, सिक्स-लेन और ब्रिज जैसे स्थायी अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे. सभी मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ साधु-संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से होंगे. समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर को ही आश्रम निर्माण के लिए अनुमति इस प्रकार दी जाएगी कि एक हेक्टेयर के भूखंड पर 25 प्रतिशत पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा. शेष 75 प्रतिशत भूखंड खुला रहेगा, जिसमें पार्किंग आदि व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त खुला स्थान रहे. आवासीय और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी.

इस दौरान सांसद अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ. विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता, आईजी संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा सहित मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे.

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