scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेशआप जय श्रीराम का नारा गले लगाकर बोलो न कि दबाकर: नुसरत जहां

आप जय श्रीराम का नारा गले लगाकर बोलो न कि दबाकर: नुसरत जहां

बंगाल की 'सुलगती राजनीति' से लेकर जय श्री राम के नारे और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर बंगाल से चुनकर आईं नुसरत और मिमी ने दिए तमाम सवालों के जवाब.

Text Size:

नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल से चुनकर आईं दो युवा महिला सासंदों ने अपनी नेता ममता बनर्जी का बचाव किया. टीएमसी की सांसद मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां ने ‘जय श्रीराम’ के नारे के मामले में हो रहे ममता बनर्जी के घेराव के सवाल के जवाब में अपनी नेता का पक्ष रखा. इस दौरान नुसरत ने कहा कि ‘जय श्रीराम’ या किसी भी धार्मिक नारे से कोई आपत्ति नहीं है, बस इन नारों का इस्तेमाल भावनाओं को भड़काने के लिए न किया जाए.

दिप्रिंट के कार्यक्रम ऑफ़ द कफ़ में नुसरत ने कहा, ‘आप जय श्रीराम का नारा गले लगाकर बोलो न कि दबाकर.’ नुसरत ने ये भी पूछा कि भागवान के नाम का इस्तेमाल लोगों की भावनाओं को भड़काने के बजाय प्यार फैलाने के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल कर सकते?

इसी बातचीत में नुसरत ने एक अपील करते हुए कहा, ‘मंदिर बाद में बना लेना, मस्जिद बाद में बना लेना. पहले जो लोगों के टूटे हुए दिल हैं, उनको बना लो.’

दूसरे पार्टी के पसंदीदा नेता और सांप्रदायिक वोट

दूसरे पार्टी के सबसे पसंदीदा नेता के सवाल पर मिमी तो बच निकलीं और नुसरत ने भी किसी एक नेता का नाम नहीं लिया. हालांकि, पसंदीदा नेता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि संसद में कई ऐसे नेता हैं जो प्रभावशाली हैं. उदाहरण देते हुए उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल और हाल ही में दिए गए उनके भाषणा का उदाहरण दिया. वहीं, जब नुसरत से पूछा गया कि वोटिंग अक्सर सांप्रदायिक या पहचान के लाइन पर होती है और क्या उन्हें पार्टी का मुस्लिम चेहरा बनाया जा रहा है, इसके जवाब में नुसरत ने कहा, ‘मुझे हिंदुओं के भी काफी वोट मिले हैं.’

वहीं, तीन तलाक के विवादित मुद्दे पर नुसरत ने कहा कि वो बिल महिलाओं के पक्ष में होने का समर्थन करती हैं लेकिन इसके अपराधीकरण का विरोध करती हैं. अपने संसदीय क्षेत्र से जुड़ी प्रथामिकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि वो सबसे पहले इसके ‘सेंसेटिव’ होने का टैग मिटाना चाहती हैं.

मौक़ा मिलने पर क्या भाजपा में शामिल होंगी नुसरत और मिमी

जब दोनों से पूछा गया कि इन दिनों सारी पार्टियों के नेता भाजपा में जा रहे हैं, ऐसे में अगर इन्हें मौका मिलता है तो क्या वह दोनों लोग भी भाजपा में जाएंगी और ऐसी दल-बदल की राजनीति को वो कैसे देखती हैं. इसके जवाब में दोनों सांसदों ने कहा कि पार्टी बदलना नेताओं के निजी पसंद का मसला है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए मुकुल रॉय के बारे में कहा कि संसद में इनकी आपस में मुलाकात होती है लेकिन ये पार्टी अदला-बदली जैसे विषय पर चर्चा नहीं करते.

राजनीति और सेंस ऑफ़ ह्यूमर

दोनों नेताओं ने पार्टी के अलावा बंगाल की राजनीति से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए. बातचीत इससे शुरू हुई कि सेंस ऑफ़ ह्यूमर यानी हास्य का भाव कैसे इंसान को ज़िंदादिल बनाए रखता है और कैसे राजनीति जैसे क्षेत्र में ये बहुत ज़रूरी है. हास्य का भाव दिखाते हुए दोनों ने कहा कि वो राजीनित में कूदी नहीं हैं, बल्कि इसमें कदम रखा है. दरअसल, उनसे पूछा गया था कि अचानक से उन्हें कैसे सिनेमा से राजनीति में कूदने का विचार आया.

अगर 10 लोगों ने ट्रोल किया तो 50 ने समर्थन

बातचीत के दौरान दोनों अभिनेत्रियों ने बताया कि कैसे वो इंटरनेट पर होने वाली ट्रोलिंग का सकारात्मक पक्ष देखती हैं. दरअसल, दोनों ने संसद के पहले दिन की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी जिसकी वजह से दोनों की ट्रोलिंग होने लगी. पहनावे को लेकर हुई इस ट्रोलिंग के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अगर 10 लोगों ने हमें ट्रोल किया तो 50 ने समर्थन.’ वहीं, मिमी ने कहा कि वो अपनी ज़िंदगी को अपने हिसाब से जीना पसंद करती हैं जिसकी वजह से उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कह रहे हैं.

दोनों ही ने इस दावे को भी ख़ारिज किया कि बंगाल किसी भी तरह की हिंसा की आग में जल रहा है और इसी बीच अपनी नेता ममता बनर्जी की तारीफ़ करते हुए ये भी कहा कि वह ज़मीन से जुड़ी नेता हैं, वो एक योद्धा हैं. दरअसल, ममता का बचाव इन नेताओं को इसलिए करना पड़ा क्योंकि एक सवाल में उन्होंने ढोंगी बताया जा रहा था. इस पर मिमी ने कहा, ‘वो ढोंगी नहीं हैं, दरअसल चीज़े जैसी होती हैं वो उन्हें वैसे ही बोल देती हैं.’

एक्टिंग के करिअर और वोटरों के बीच का बैलेंस

जब दोनों से पूछा गया कि अक्सर एक्टिंग से आए लोगों की शिकायत इस बात को लेकर होती है कि वो संसद नहीं आते और जिन्होंने उनको चुना है उनका सही प्रतिनिधित्व नहीं करते. इसके जवाब में मिमी ने कहा, ‘हमें इस बात का एहसास है कि हमें उन लोगों के लिए क्या करना है जिन्होंने हमें इतने भारी मतों से जिताकर संसद भेजा है. हम उन्हें निराश नहीं करेंगे.’

नुसरत ने ग्लैमरस लुक से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि लोगों का और उनका दिली नाता है, वोटरों ने उनका चेहरा देखकर वोट नहीं दिया. दोनों ने ही कहा कि सिनेमा हो या राजनीति वो लोगों की सेवा करने आई हैं और इसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.

share & View comments