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Thursday, 10 October, 2024
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जालंधर में ‘विरासत वृक्षों’ की अवैध कटाई: तथ्यों का पता लगाने के लिए एनजीटी ने समिति गठित की

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नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पंजाब के जालंधर में ‘सिविल सर्जन’ कार्यालय परिसर में पेड़ों की अवैध कटाई के आरोपों की पुष्टि करने और यह पता लगाने के लिए एक समिति का गठन किया है कि राज्य में गैर-वनीय क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई के लिए क्या व्यवस्था है।

हरित पैनल ने उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया जिसमें बताया गया है कि राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने लगभग 100-150 साल पुराने 20 विरासत पेड़ों को पिछले महीने काट दिया था।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने पिछले सप्ताह सुनाए आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी है कि जालंधर में बमुश्किल ही कोई वन क्षेत्र है और ये विरासत पेड़ शहर के फेफड़े थे तथा पीडब्ल्यूडी ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत करके उन पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया।’’

इस पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

पीठ ने कहा कि याचिका में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।

अधिकरण ने कहा, ‘‘आरोपों की गंभीरता को देखते हुए हम एक संयुक्त समिति का गठन कर रहे हैं, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के चंडीगढ़ क्षेत्रीय कार्यालय, मोहाली के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और जालंधर के जिला मजिस्ट्रेट के प्रतिनिधि शामिल हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘समिति घटनास्थल पर जाएगी। आरोपों की सत्यता, पेड़ों को काटने के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों तथा गैर-वनीय क्षेत्रों में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए पंजाब में मौजूद तंत्र का पता लगाएगी और आठ सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’’

मामले में आगे की सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि तय की गई है।

भाषा सिम्मी रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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