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Tuesday, 8 October, 2024
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ओलंपिक में मिली हार के बाद, हरियाणा के जुलाना से पहला चुनाव जीतीं विनेश फोगाट

विनेश फोगाट ने भाजपा के योगेश बैरागी, इनेलो के सुरेन्द्र लाठर और जेजेपी के अमरजीत ढांडा को हराकर कांग्रेस के लिए जुलाना विधानसभा सीट जीती.

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नई दिल्ली: ओलंपिक पदक मिलते-मिलते चूकने के बाद पहली बार चुनावी मुकाबले में उतरीं पहलवान विनेश फोगाट हरियाणा के जुलाना विधानसभा क्षेत्र से अपना पहला चुनाव जीत गई हैं. उन्होंने बीजेपी के योगेश बैरागी, इनेलो के सुरेंद्र लाठर और जेजेपी के अमरजीत ढांडा को हराया है.

30 वर्षीय पहलवान विनेश फोगाट ने चुनावी मैदान में तब कदम रखा जब उन्हें पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मैच से पहले 50 किलोग्राम महिला कुश्ती स्पर्धा से इसलिए बाहर कर दिया गया था क्योंकि उनका वजह निर्धारित सीमा से 100 ग्राम ज्यादा हो गया था. वह उन पहलवानों में शामिल थीं जिन्होंने पिछले साल तत्कालीन भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह – जिन पर कई महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था – के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था.

जुलाना विधानसभा क्षेत्र, जहां से विनेश मैदान में हैं, में कांग्रेस 2005 से जीत नहीं पाई थी। पहले तो ऐसा लगा कि विनेश के मुख्य प्रतिद्वंद्वी जेजेपी ढांडा हैं।

हालांकि, केंद्र के अब वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों और 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा के साथ गठबंधन करने के फैसले पर दुष्यंत चौटाला की अगुवाई वाली जेजेपी के रुख ने ढांडा को कमजोर स्थिति में पहुंचा दिया है.

जुलाना में आप की कविता दलाल भी मैदान में थीं, जो वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट (डब्ल्यूडब्ल्यूई) के साथ परफॉर्म करने वाली पहली भारतीय महिला हैं और इनेलो के लाठर जो पहले भाजपा में थे. जुलाना से भाजपा उम्मीदवार बैरागी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता हैं.

अनुमान के अनुसार, जुलाना में लगभग 1.87 लाख मतदाता हैं, और जाट सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है, जो कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक है, उसके बाद ओबीसी हैं, जिनकी संख्या 30 प्रतिशत है.

विनेश: सभी मुश्किलों के खिलाफ लड़ रहीं

विनेश फोगाट का बचपन मुश्किलों भरा रहा, जब वह नौ साल की थीं, तब उनके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी मां ने उन्हें और बहन प्रियंका को पाला, उसके बाद उनके चाचा महावीर फोगाट ने उन्हें अपने साथ रख लिया और अपनी चार बेटियों – गीता, बबीता, रितु और संगीता के साथ उनका पालन-पोषण किया.

इस साल की शुरुआत में, विनेश ने ओलंपिक के फ़ाइनल (महिला कुश्ती के 50 किलोग्राम वर्ग में) में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया. पदक से चूकने के बावजूद, उन्होंने चार बार की विश्व चैंपियन यूई सुसाकी को हराकर क्वार्टर फ़ाइनल के लिए क्वॉलीफाई किया.

पेरिस ओलंपिक में अपने शानदार प्रदर्शन से पहले, विनेश ने राष्ट्रमंडल खेलों (2014, 2018 और 2022) में तीन बार स्वर्ण पदक जीता, 2018 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता और कई अन्य टूर्नामेंटों में अपनी योग्यता साबित की.

हालांकि, राजनीति में उनके प्रवेश के साथ ही परिवार के भीतर दरारें पड़नी शुरू हो गईं, जब उनके चाचा महावीर ने सुझाव दिया कि उन्हें अगले ओलंपिक में भाग लेना चाहिए था, और चचेरी बहन बबीता ने घोषणा की कि वह जुलाना में विनेश के खिलाफ प्रचार करने के लिए तैयार हैं.

जुलाना विधानसभा सीट

जुलाना विधानसभा सीट पारंपरिक रूप से इनेलो का गढ़ रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में इसके संस्थापक स्वर्गीय देवी लाल का प्रभाव था. 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने यह सीट जीती थी; इसके बाद मतदाताओं ने 2009 और 2014 में इनेलो के परमिंदर सिंह ढुल को अपना विधायक चुना. 2019 में, जुलाना सीट पर इनेलो से निकली जेजेपी के अमरजीत ढांडा का कब्ज़ा रहा.

जुलाना में विनेश को कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रही भाजपा ने उन पर व्यक्तिगत हमले करके जनता की राय के खिलाफ जाने से बचने की कोशिश की.

अपनी ओर से, विनेश ने अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए अपने आपको जुलाना की बहू के रूप में पेश करने की कोशिश की क्योंकि उनके पति और साथी पहलवान सोमवीर राठी जुलाना के खेड़ा बख्ता गांव से हैं.

जुलाना में लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार सतीश त्यागी ने दिप्रिंट से कहा, “लड़ाई भाजपा, कांग्रेस और इनेलो के बीच थी, क्योंकि लाठर का यहां मजबूत वोट बैंक है. ब्राह्मण मतदाताओं को भाजपा की ओर जाना था, लेकिन (भूपिंदर सिंह) हुड्डा फैक्टर और पार्टी के पक्ष में लहर के कारण वे कांग्रेस की ओर चले गए. अधिकांश जाटों ने विनेश फोगाट को वोट दिया; उन्होंने युवाओं और महिलाओं के बीच भी अपनी पकड़ बनाई.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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