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Thursday, 21 November, 2024
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BHU गैंगरेप मामला: 2023 में विरोध प्रदर्शन के दौरान ‘शैक्षणिक माहौल बिगाड़ने’ के आरोप में 14 छात्र निलंबित

छात्र नेताओं का कहना है कि जांच समिति उनके खिलाफ पक्षपाती है और कैंपस में सक्रिय संगठनों के सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा है.

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लखनऊ: बनारस हिंदू विश्विद्यालय के (आईआईटी) की एक छात्रा के साथ कथित गैंगरेप के मामले में बीएचयू में छात्रों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन के करीब एक साल बाद, संस्थान ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अनुशासनहीनता और “विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल” को बिगाड़ने के आरोप में 14 छात्रों को निलंबित कर दिया है.

निलंबित छात्र विभिन्न छात्र संगठनों से हैं. सात भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीएसएम) के सदस्य हैं, तीन अखिल भारतीय छात्र संघ (आइसा), एक-एक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और दिशा छात्र संगठन से हैं और दो भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) के पदाधिकारी हैं.

15 से 30 दिनों तक के निलंबन की सिफारिश अनुशासनात्मक कार्रवाई पर स्थायी समिति द्वारा बीएचयू के कुलपति को की गई थी. निलंबन के अलावा, समिति ने यह भी सिफारिश की कि हॉस्टल और लाइब्रेरी का एक्सेस तथा एचआरए जैसी कुछ सुविधाओं को वापस ले लिया जाए.

इसने निलंबन अवधि के बाद अनिवार्य सामुदायिक सेवा और परामर्श सत्र की भी सिफारिश की.

एनएसयूआई के दो नेताओं — राजीव नयन, एनएसयूआई बीएचयू के अध्यक्ष और महासचिव सुमन आनंद — को 15 दिनों के लिए निलंबित किया गया. हालांकि समिति ने पाया कि दो छात्र समूहों के बीच हाथापाई में उनकी संलिप्तता स्थापित नहीं हुई है, लेकिन वह दोनों विरोध स्थल पर मौजूद थे.

आईआईटी-बीएचयू की छात्रा के कथित सामूहिक बलात्कार के बाद पिछले नवंबर में सैकड़ों छात्रों ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें कई महीनों से फरार चल रहे आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की गई थी.

26 सितंबर को जारी निलंबन आदेश में कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान “दुर्व्यवहार/अनुशासनहीनता” को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.

आदेश में कहा गया है, “वह न केवल आदतन अपराधी हैं, बल्कि उनके शब्द और कार्य भी विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षकों के प्रति शत्रुतापूर्ण, अभिमानी और असम्मानजनक हैं. चूंकि, बीएचयू के मुख्य द्वार पर धरना और उसके बाद छात्रों के दो समूहों के बीच हाथापाई ने न केवल घटनास्थल पर असुरक्षा की भावना पैदा की, जिससे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल खराब हुआ, बल्कि इससे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की छवि भी धूमिल हुई.”

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह से संपर्क किया. उनके जवाब का इंतज़ार किया जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हुई इस घटना ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जहां महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की खबरें बढ़ रही हैं.

मामले में भाजपा आईटी सेल के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से दो, कुणाल पाण्डेय और आनंद चौहान, इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद इस साल अगस्त में ज़मानत पर रिहा हो गए, जबकि तीसरा, सक्षम पटेल अभी भी जेल में है.

प्रकरण ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तीखे तेवर दिखाए, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोपियों को बचाने और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया.

दो आरोपियों को ज़मानत मिलने के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि दोषियों को बचाने के लिए मामले को कमजोर किया जा रहा है.


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विरोध प्रदर्शन रहा हिंसक

कैंपस में विरोध प्रदर्शन उस समय राजनीतिक हो गया जब बीएसएम, आइसा और एबीवीपी के सदस्यों ने एक-दूसरे हमलों के आरोप लगाए, जिसके कारण बीएचयू के मुख्य द्वार पर हिंसा हुई, जहां छात्र कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

एबीवीपी की महिला विंग की सदस्य मेधा मुखोपाध्याय ने 18 छात्र नेताओं और अन्य छात्र संगठनों के सदस्यों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि उनके साथ मारपीट की गई थी.

इस साल फरवरी में चीफ प्रॉक्टर ने अनुशासनात्मक कार्रवाई पर स्थायी समिति को पत्र लिखकर मुखोपाध्याय की शिकायत पर दर्ज एफआईआर के बारे में जानकारी दी और अनुरोध किया कि वह इसमें शामिल छात्रों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करे.

जब सितंबर 2023 में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, तो पुलिस ने कहा था कि कुछ छात्रों ने उन पर पत्थर फेंके और विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया, जिसका बीएचयू प्रशासन ने खंडन किया है.

छात्रों ने कहा कि वह कैंपस में यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को गंभीरता से न लेने के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे.

निलंबित छात्रों में से एक, बीएसएम की आकांक्षा आज़ाद ने दिप्रिंट को बताया कि बयान देने के लिए बुलाए गए छात्रों ने समिति को बताया कि यह बीएसएम, आइसा और कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के सदस्यों के प्रति पक्षपातपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि कैंपस में सक्रिय एकमात्र संगठन बीएसएम, आइसा और एनएसयूआई को निशाना बनाया जा रहा है.

आकांक्षा ने दिप्रिंट से कहा, “हमने कहा कि वह हमारे प्रति पक्षपाती हैं, क्योंकि जिन छात्रों पर हमला हुआ था, उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था. हमें बताया गया कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज से हमारी पहचान की है. उस झड़प में गुंडे और बदमाश शामिल थे.”

उन्होंने कहा, “हमने उनसे कहा कि उन्होंने हमारी तरफ से 15-20 लोगों को देखा, लेकिन उनकी तरफ से नहीं. उन्होंने हमसे उनके नाम मांगे और कहा कि उन्हें भी बुलाया जाएगा. हालांकि, उन्होंने (पुलिस) उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.”

निलंबित एनएसयूआई नेताओं ने पिछले साल हुई झड़प में शामिल होने से इनकार किया.

एनएसयूआई नेता राजीव नयन ने कहा कि संगठन की बीएचयू इकाई के दो सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है, जबकि समिति ने खुद अपने नोटिस में कहा है कि झड़प में उनकी संलिप्तता स्थापित नहीं हुई है.

उन्होंने कहा, “हम झड़प में शामिल नहीं थे और प्रशासन खुद भी यही मानता है. फिर भी, हमें बिना कोई विवरण दिए या कदाचार को परिभाषित किए कदाचार में लिप्त देखा गया है.”

पिछले साल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने निलंबित छात्रों में से दो — बीएसएम अध्यक्ष कुमारी आकांक्षा और बीएसएम संयुक्त सचिव सिद्धि तिवारी के घर पर छापा भी मारा था — जिसे उसने “(प्रतिबंधित) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के कैडरों/ओवर-ग्राउंड कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई” का हिस्सा बताया था.

आकांक्षा को “प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के उत्तरी क्षेत्र ब्यूरो (एनआरबी) के पुनरुद्धार” के संबंध में उत्तर प्रदेश भर के कई कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एक मामले में एनआईए जांच में शामिल होने के लिए भी नोटिस मिला है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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