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Tuesday, 24 September, 2024
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डूसू चुनाव : चेतावनी के बावजूद विश्वविद्यालय परिसर की दीवारों पर दिखे पोस्टर, बैनर

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नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव कराने के लिए नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा उम्मीदवारों को मुद्रित सामग्री 24 घंटे के भीतर हटाने की चेतवानी दिए जाने के एक दिन बाद भी पोस्टर और बैनर से विश्वविद्यालय परिसर की दीवारें पटी पड़ी हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी और दक्षिणी परिसरों का मुआयना करने पर पता चला कि न केवल दीवारें चुनाव प्रचार सामग्री से पटी हुई थीं, बल्कि सड़कों पर भी सफेद, लाल और नीले रंग के पर्चे बिखरे हुए थे।

डूसू चुनाव 2024-25 के लिए नियुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सोमवार को सभी उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर, 24 घंटे के भीतर विश्वविद्यालय परिसर में उनके नाम के लगे पोस्टर बैनर को हटाने का निर्देश दिया।

नोटिस में कहा गया कि उम्मीदवारों को केवल हाथ से बने पोस्टर चस्पां करने के लिए निर्दिष्ट ‘‘लोकतंत्र की दीवारों’’ का उपयोग करने की अनुमति है। लेकिन इन नियमों का कार्यान्वयन जमीनी स्तर पर होता नहीं दिख रहा।

विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के आधार पर होते हैं जिनके मुताबिक मुद्रित पोस्टर बैनर लगाना नियमों का उल्लंघन है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी सत्यपाल सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम किसी भी चुनाव के उल्लंघन पर करीब से नजर रखे हुए हैं। कल नोटिस जारी किया गया था और हम उल्लंघनकर्ताओं की पहचान करने की प्रक्रिया में हैं। जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।’’

दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 के तहत भी संपत्ति का विरूपण प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, प्रचार सामग्री चस्पां की जा रही है। एक यातायात कांस्टेबल ने बताया कि रोजाना ऐसे मामलों में 50 से अधिक चालान काटे जा रहे हैं।

एक कांस्टेबल ने कहा, ‘‘एमसीडी के कर्मचारी पोस्टर और बैनर हटा देते हैं, लेकिन रात होते-होते छात्र उन्हें फिर से लगा देते हैं।’’

कांस्टेबल ने यह भी बताया कि प्रचार रैलियों के दौरान कारों के काफिले की वजह से यातायात जाम हो जाता है, जिससे इलाके में प्रबंधन मुश्किल हो जाता है।

डीयू के एक छात्र ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) जैसी पार्टियों की आक्रामक प्रचार रणनीति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी कार्यकर्ता अक्सर पर्चे बांटने के लिए पुस्तकालयों और कक्षाओं में घुस जाते हैं।

छात्र ने कहा, ‘‘बहुत सारा कागज बर्बाद होता है, जो चिंताजनक है। वे हमें अपने उम्मीदवारों के लिए वोट देने के लिए चिट बांटते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे कक्षाओं को बाधित करने के बजाय मौखिक रूप से आसानी से यह बता सकते हैं।’’

एनएसयूआई के एक समर्थक ने कहा कि उम्मीदवार अधिकारियों की नजर से बचने के लिए जानबूझकर पर्चे और बैनर पर अपने नाम गलत लिखते हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावों में नियमों का उल्लंघन कोई नई बात नहीं है। 2017 में, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने डीयू को पोस्टरों से दीवारों को गंदा करने वाले छात्रों को निष्कासित करने और जुर्माना लगाने का आदेश दिया था। इन पिछले हस्तक्षेपों के बावजूद, चुनाव से संबंधित पोस्टरों से दीवारों को गंदा करना और कागज बर्बाद करना हर साल बड़े पैमाने पर होता है।

भाषा धीरज मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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