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Sunday, 22 September, 2024
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शहरी उत्सर्जन में कटौती के लिए आकड़ों की चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता: विशेषज्ञ

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नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) हरित गैस उत्सर्जन को कम करने और लचीले शहरी वातावरण के निर्माण में भारतीय शहर एक केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं, यदि आंकड़ों का संग्रह और “परिदृश्य मॉडलिंग” को मजबूत किया जाए। यह बात शहरी उत्सर्जन और शमन योजनाओं पर कार्य करने वाले विशेषज्ञों ने कही।

दिल्ली के ‘वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ (डब्ल्यूआरआई) के एक दल ने पाया कि ‘क्लाइमेट एक्शन फॉर अर्बन सस्टेनिबिलिटी’ (सीयूआरबी) ‘टूल’ का उपयोग करके, उत्सर्जन में कटौती करने की सबसे अधिक क्षमता वाले क्षेत्रों की पहचान करके 2050 तक शहरी उत्सर्जन की 77 प्रतिशत समस्या से निपटा जा सकता है।

हालांकि, अध्ययन के लेखकों ने कहा कि चुनौतियां बहुत हैं।

इनमें आंकड़ा-संचालित कवायदों के लिए संस्थानों की सीमित क्षमता शामिल है। हरित गैस उत्सर्जन को कम करने और टिकाऊ, लचीले शहरी वातावरण बनाने के लिए इस पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

डब्ल्यूआरआई ‘इंडिया’ के एसोसिएट डायरेक्टर (जलवायु) और अध्ययन के लेखकों में से एक सारांश बाजपेयी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘आंकड़ों का संग्रह, परिदृश्य मॉडलिंग और क्षमता निर्माण ढांचे को मजबूत करने से शहरों को अधिक महत्वाकांक्षी और प्राप्त करने योग्य जलवायु लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी, जिससे वे भारत के समग्र हरित गैस उत्सर्जन में कमी के प्रयासों के प्रमुख कारक के रूप में स्थापित हो सकेंगे।’’

परिदृश्य मॉडलिंग भविष्य की संभावनाओं की एक श्रृंखला की खोज की अनुमति देता है, जबकि क्षमता निर्माण ढांचे का लक्ष्य सीयूआरबी जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीकी बुनियादी ढांचे में सुधार करना है।

भाषा

अमित प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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