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Friday, 20 September, 2024
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आरटीआई: सेबी का बुच के बारे में जानकारी देने से इनकार

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नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी मांगे जाने पर शुक्रवार को कहा कि हितों के संभावित टकराव के कारण सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के मामलों से खुद को अलग कर लेने के बारे में जानकारी ‘फिलहाल’ उपलब्ध नहीं है और उन्हें जुटाने पर उसे अपने संसाधनों का ‘अपव्यय’ करना होगा।

पारदर्शिता के लिए काम कर रहे कमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) की तरफ से दाखिल एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सेबी ने कहा कि अपने और परिजनों के पास मौजूद वित्तीय परिसंपत्तियों और इक्विटी के बारे में बुच की तरफ से सरकार और सेबी बोर्ड को की गई घोषणाओं की प्रतियां नहीं दी जा सकती हैं।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस ब्योरे को ‘व्यक्तिगत जानकारी’ बताते हुए कहा कि उनके खुलासे से व्यक्तिगत सुरक्षा ‘खतरे में’ पड़ सकती है।

इसके साथ ही सेबी ने उन तारीखों की जानकारी देने से भी इनकार कर दिया जब ये खुलासे किए गए थे।

सेबी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) ने उन घोषणाओं की प्रति देने से इनकार करने के लिए ‘व्यक्तिगत जानकारी’ और ‘सुरक्षा’ को आधार बनाया है।

आरटीआई आवेदन के जवाब में सेबी ने कहा, ‘मांगी गई जानकारी आपसे संबंधित नहीं है और यह व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है। इसके खुलासे का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है। यह व्यक्ति की निजता में अनुचित हस्तक्षेप का कारण बन सकता है और व्यक्ति(यों) के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है। इसलिए, इसे आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जी) और 8(1)(जे) के तहत छूट हासिल है।’

सेबी ने अपने जवाब में कहा, ‘इसके अलावा माधबी पुरी बुच ने अपने कार्यकाल में हितों के संभावित टकराव के कारण जिन मामलों में खुद को अलग कर लिया है, उनके बारे में सूचना आसानी से उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी जुटाने से आरटीआई अधिनियम की धारा 7(9) के अनुसार सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का अपव्यय होगा।’

सेबी ने 11 अगस्त को प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया था कि चेयरपर्सन ने हितों के संभावित टकराव वाले मामलों से खुद को अलग कर लिया है। विज्ञप्ति में कहा गया था कि शेयरधारिता और उनके हस्तांतरण के संदर्भ में सेबी प्रमुख ने समय-समय पर जरूरी खुलासे किए हैं।’

अमेरिकी शोध एवं निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने संदेह जताया था कि अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा शायद इसलिए है क्योंकि बुच के पास समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी थी।

हिंडनबर्ग ने कहा था कि बुच और उनके पति धवल बुच ने एक विदेशी कोष में निवेश किया था, जिसका कथित तौर पर इस्तेमाल विनोद अदाणी कर रहे थे। इसने निजी इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन के साथ धवल के जुड़ाव पर भी सवाल उठाए थे।

इन आरोपो को सेबी ने नकारते हुए कहा था कि अदाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के पिछले आरोपों की सेबी ने विधिवत जांच की है।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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