नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य में सालों से पड़े कचरे और अशोधित जलमल का प्रबंधन नहीं कर पाने पर पंजाब पर पर्यावरण मुआवजे के रूप में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनजीटी के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर अपील पर केंद्र और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को नोटिस जारी किया।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी पेश हुए।
एनजीटी ने 25 जुलाई के अपने आदेश में पंजाब को उसके मुख्य सचिव के माध्यम से एक महीने के भीतर सीपीसीबी के पास पर्यावरण मुआवजे के रूप में 10,261,908,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया था।
एनजीटी ने कहा था, ‘‘पंजाब राज्य को इस उम्मीद और विश्वास के साथ अवसर देने के लिए बार-बार आदेश जारी किए गए हैं कि वह पर्यावरण कानूनों के प्रावधानों और विशेष रूप से जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 का अनुपालन करने के लिए गंभीर, पर्याप्त और तत्काल कदम उठाएगा, लेकिन हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि पंजाब राज्य इस तरह के अनुपालन या अनुपालन के किसी भी वास्तविक इरादे को दिखाने में बुरी तरह विफल रहा है।’’
भाषा वैभव नरेश
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