नई दिल्ली: दिल्ली में डॉक्टरों के साथ कथित तौर पर हुई मारपीट के बाद राजधानी के कई अस्पतालों के डॉक्टर एक बार फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. इसमें मौलाना आजाद, लोकनायक,जीबी पंत समेत दिल्ली के पांच बड़े सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर शामिल हैं. अभी कुछ ही दिन पहले कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई के बाद एम्स समेत देशभर के कई बड़े अस्पताल के डॉक्टरों ने हड़ताल किया था. जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने के लेकर भरोसा दिलाया था. लेकिन डॉक्टरों पर हमले की घटना आए दिन बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद मरीजों को भारी मशक्कत झेलनी पड़ रही है. मरीजों को ओपीडी, इमरजेंसी और ओटी जैसी सुविधाएं मिल नहीं पा रही हैं.
डॉक्टरों की पिटाई
लोकनायक अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने सीसीएमओ को लिखे पत्र के अनुसार लोकनायक अस्पताल में एक बुजुर्ग मरीज को अस्पताल लाया गया था. उनकी हालत बेहद नाजुक थी. डॉक्टरों की कोशिश के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका. रविवार रात करीब 11 बजे इमरजेंसी वार्ड में एक मरीज के परिजनों ने एक रेजिडेंट डॉक्टर की पिटाई कर दी. डॉक्टर के पेट, कंधे और छाती पर चोट आई हैं.
Delhi: Doctors at Maulana Azad Medical College have called a strike after a duty doctor in the emergency ward was assaulted allegedly by patient's relative last night. Striking doctors will soon meet the administration to demand safety at workplace pic.twitter.com/gUUxOuZWG0
— ANI (@ANI) July 8, 2019
ऐसी ही कई घटनाएं दो हफ्ते पहले भी हुई थी. अस्पताल में काम करने का माहौल नहीं बन पाने के कारण हम डॉक्टरों ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. डॉक्टरों की हड़ताल के बाद इमरजेंसी और रूटीन सेवाएं ठप कर दी गई है. डॉक्टरों की इस हड़ताल में मौलाना आजाद, जीबी पंत, गुरु नानक आई सेंटर के रेजिडेंट डाक्टर शामिल हैं.
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मरीज हो रहे परेशान
लोकनायक अस्पताल में इमरजेंसी सेवाएं ठप पड़ने के कारण वहां के मरीजों की काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अलीगढ़ से इलाज कराने आईं 60 साल की नसीरन को वहां के मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने लोकनायक अस्पताल रेफर कर दिया गया है. परिजन बताते हैं, ‘इनके फेफड़े में पानी भर आया है. इन्हें कैंसर हो गया है. लेकिन पिछले तीन दिनों से हम यहां इमरजेंसी वार्ड में परेशान हो रहे हैं. यहां डॉक्टरों ने कोई जांच नहीं की, दवा नहीं दी, अब हड़ताल होने के कारण हम वापस अपने घर जा रहे हैं.’
वहीं, इमरजेंसी वार्ड के बाहर खड़े गार्ड से मरीज व उनके परिजनों की नोकझोक देखी जा सकती है. गार्ड ने बताया कि सभी डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के बाद अब नए मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में भी भर्ती नहीं किया जा रहा है.
‘डाक्टर्स डे’ पर भी गए थे हड़ताल पर
डॉक्टरों पर हो रहे मरीजों के परिजन द्वारा हो रहे हमले बढ़ते जा रहें. बीते 1 जुलाई को जब पूरा देश डॉक्टर्स डे मना रहा था तब दिल्ली के हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर हड़ताल पर थे. खबरों के अनुसार एक मरीज के परिजनों ने अस्पताल के एक डॉक्टर के साथ अभद्र व्यवहार करने के अलावा मारपीट की थी. जिसके बाद 30 जून से हिंदू राव के सभी डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया था. इस हड़ताल को एम्स के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने भी समर्थन किया था. जिसके बाद रेजिडेंट डॉक्टरों की कई संस्थाओं ने भी डॉक्टर्स डे नहीं मनाने का फैसला किया है.
हर्षवर्धन ने डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने का दिया था आश्वासन
इससे पहले बीते 15 जून को मारपीट की घटना के कारण कोलकाता के भी डॉक्टरों हड़ताल पर चले गए थे. जिसके बाद दिल्ली के एम्स समेत देश भर के कई अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. मारपीट की इस घटना के बाद अकेले पश्चिम बंगाल के करीब 300 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया था. डॉक्टरों के इस्तीफे और देशभर में हुए प्रदर्शन के बाद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने मामले में संज्ञान लेते हुए डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध होने का भरोसा दिलाया था.