भुवनेश्वर, 13 सितंबर (भाषा) ओडिशा सरकार ने पुरी समुद्र तट पर शराब परोसने के लिए झोपड़ियां (शैक) स्थापित करने का अपना निर्णय शुक्रवार को वापस ले लिया है।
पुरी शंकराचार्य और विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया था।
आबकारी विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि पुरी नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में या किसी सामाजिक-धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व के स्थल के पांच किलोमीटर के दायरे में समुद्र तट पर बनी झोपड़ियों (शैक) को शराब का लाइसेंस नहीं दिया जाएगा।
तीस अगस्त को घोषित राज्य की नयी आबकारी नीति में पर्यटकों के मनोरंजन और राजस्व को बढ़ाने के लिए समुद्र, नदियों, झीलों और बांधों के पास स्थापित झोपड़ियां को शराब परोसने की अनुमति दी गई थी।
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब ओडिशा पर्यटन विकास निगम (ओटीडीसी) ने समुद्र तट पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पुरी से कोणार्क तक समुद्र तट पर शराब परोसने वाली झोपड़ियां स्थापित करने के लिए बोलियां आमंत्रित की।
इस कदम का विरोध करते हुए पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि जगन्नाथ धाम को मनोरंजन के बजाय आध्यात्मिक गतिविधियों और धार्मिक गतिविधियों का स्थान बना रहना चाहिए।
उन्होंने तर्क दिया कि शराब परोसने से पुरी की आध्यात्मिक पवित्रता कम होगी और जगन्नाथ संस्कृति कलंकित होगी।
शंकराचार्य ने 11 सितंबर को संवाददाताओं से कहा, ‘जगन्नाथ धाम आध्यात्मिक और आत्मदर्शन का स्थान है, मनोरंजन का नहीं। पुरी समुद्र तट भजन, कीर्तन और धार्मिक प्रवचनों के लिए समर्पित स्थान होना चाहिए, इसे आनंद प्राप्ति के लिए गंतव्य के रूप में नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए।’
इस फैसले के विरोध में लोगों ने मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी को संबोधित एक ज्ञापन पुरी के जिलाधिकारी को सौंपा था।
भाषा योगेश पवनेश
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