scorecardresearch
Wednesday, 20 November, 2024
होममत-विमतटिक-टॉक भारत में खतरनाक तरीके से रोने वाले 'नए सेलिब्रिटी' पैदा कर रहा

टिक-टॉक भारत में खतरनाक तरीके से रोने वाले ‘नए सेलिब्रिटी’ पैदा कर रहा

इन टिक-टॉक वीडियो में पुरुष स्पष्ट रूप से बॉलीवुड फिल्मों से आहत, बदला लेने वाले 'आशिक’ की भूमिका निभा रहे हैं. और यह खतरनाक है.

Text Size:

इस समय टिक-टॉक नाम का एप देशभर में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इसकी लोकप्रियता का आलम ये है कि भारत में प्रभावी लोगों की सूची में अब न केवल फैशन, लाइफस्टाइल और हास्य व्यंग से जुड़े लोग हैं. बल्कि उन लोगों ने भी अपनी जगह बना ली है जो टिक-टॉक पर रोजाना नए प्रयोग कर रहे हैं. 15 सेकेंड के वीडियो में ये लोग कुछ भी करते हैं, रोने से लेकर चिल्लाने तक.

टिक-टॉक के वीडियो में कई तरह के भारतीय मर्द अपनी मर्दानगी और अहंकार पर गर्व करते हैं. वे खुद को बताते हैं, ‘मर्द को दर्द नहीं होता’. वास्तव में, भारतीय समाज ऐसे पुरुषों पर गुस्सा दिखाता है जो सार्वजनिक रूप से अपनी भावनाओं को रोक सकते हैं या प्रदर्शित कर सकते हैं. लेकिन वीडियो एप टिक-टॉक अब इन धारणाओं को बदल रहा है. या नहीं?

टिक-टॉक पर एक सरसरी निगाह डालने पर पुरुषों के कुछ वीडियो दिखाई देते हैं जो अपनी छाती पीटते हुए दिखाई देते हैं और खोए हुए प्यार के बारे में गाने के लिए रोते हैं. कुछ लोगों को लगता है कि ये वीडियोज एक ऐसे संस्कृति को राहत दे सकेंगे जहां कबीर सिंह जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल हो रहीं है.

पितृसत्तात्मक मानदंडों के विपरीत, ये लोग खुलेआम रोते हुए दिखाई देते हैं. लेकिन, यहां परेशान करने वाले कई कारण हैं. वे ऐसा सिर्फ जमकर नहीं करते हैं, बल्कि आदर्श लैंगिक सीमाओं के भीतर रहते हुए भी करते हैं. इन टिक-टॉक वीडियोज में जो भूमिका वे निभा रहे हैं, वह स्पष्ट रूप से बॉलीवुड फिल्म के आशिकों (प्रेमी) की हैं. जो लोग नियमित रूप से भारत में फिल्में देखते हैं, उनके लिए यह कोई असामान्य बात नहीं है. ‘आशिक’ वह हीरो है (जिसे अक्सर संवेदनशील, फिर भी मर्दाना दिखाते हुए चित्रित किया जाता है) जो प्यार में उलझा हुआ है. ये सलमान खान की ‘तेरे नाम’, ‘हम दिल दे चुके सनम’ और बंगाली फिल्म ‘पोरन जय जोलिया रे’ के देव हैं.

टिक-टॉक पर रोने वाले युवा लोगों ने अपने पागलपन की सीमा के चरम पर पहुंच चुके असफल प्रेमियों की नकल सफलतापूर्वक खूब उतारी है. इन किरदारों को निभाने के अलावा जिस पागलपन से ये आशिक प्रेम का इजहार करते हैं वह इन वीडियोज में कॉमन बात है.

इंस्टाग्राम अकाउंट @crying_tiktok_users ने कई वीडियो डाला है जिसमें पुरुष कैमरे के सामने जोर-जोर से रोते हुए उन महिलाओं के बारे में बॉलीवुडिया डॉयलाग बोलते हैं जिसने उनके दिलों से खेला था.

View this post on Instagram

Meth #tiktokmemes #tiktok #tiktokcringe #crying

A post shared by boys who cry on tik tok ? (@crying_tiktok_users) on

उदाहरण के लिए इस वीडियो को लें. ये उसी इंस्टाग्राम पेज से लिया गया है. इसमें एक आदमी का एक टिक-टॉक वीडियो है. जो कि एक हिंदी फिल्म की लाइन लिप-सिंक कर रहा है. उसकी आंखें लाल हैं. वह हिंसक रूप से अपने अंगों को प्रदर्शित कर उस महिला के बारे में बात करता है जिसने उसे प्यार में धोखा दिया है.

View this post on Instagram

Why ? #tiktok #tiktokmemes #tiktokcringe #crying

A post shared by boys who cry on tik tok ? (@crying_tiktok_users) on

और यह देखने में और रोचक होता जाता है. इसके अगले टिक टॉक क्लिप में एक स्प्लिट-स्क्रीन है. इसके एक छोर पर एक व्यक्ति अपने टूटे हुए दिल के बारे में रोते हुए अपना दर्द बयां कर रहा है. वहीं उसके चेहरे से खून (या केचप) टपक जाता है. स्क्रीन के दूसरे हिस्से में एक महिला अपने हाथों को मोड़े हुए है और माफी के लिए भीख मांगती दिखाई देती है.

पुरुषों द्वारा टिक-टॉक का इस्तेमाल होना केवल टूटे दिल की वजह से नहीं है. देशभक्ति एक और प्रमुख कारण है. हालांकि, यहां आक्रामकता का स्तर अक्सर दोगुना हो जाता है. इस तरह के वीडियो में उनका ‘बॉर्डर’ और ‘उरी’ जैसी फिल्मों से लिप-सिंक करना है, जहां वे अपने सभी ‘दुश्मन’ को नष्ट करने का वादा करते हैं. एप ने इस साल के शुरू में बालाकोट हवाई हमले के समय ऐसे वीडियो में उछाल देखा था, जब इस तरह के कई वीडियो #BadlaLoIndia जैसे हैशटैग के साथ चल रहे थे.


यह भी पढ़ें: गूगल का बैन, टिक टॉक पर सेलिब्रिटी बनने का सपना अब भूल जाएं


वे लोग नेशनल प्राइड के बारे में वीडियो में निर्दोष प्रतीत होते हैं, लेकिन कैप्शन और बोले गए संवाद उनकी अंतर्निहित हिंसा को स्पष्ट करते हैं. ‘अब हिंदुस्तान चुप नहीं रहेगा. यह नया हिंदुस्तान है. यह हिंदुस्तान को गुस्सा आएगा और हमला भी करेगा.’ अगर कुछ छूट जाता है, तो #badla #indianarmy और #uri जैसे हैशटैग किसी भी भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ते.

नौजवान खुलेआम आंसू बहाकर नफरत का इजहार कर रहे हैं. ‘आपने हमारे सैनिकों के खून से वेलेंटाइन डे मनाया. अब हम आतंकवादियों की राख के साथ महाशिवरात्रि मनाएंगे. अब, तांडव (लौकिक नृत्य) होगा.’

ये वीडियो केवल मर्दानगी की संस्कृति को मजबूत करने का काम करते हैं. इस तरह के अधिकांश वीडियो में, पुरुष इस तथ्य को स्थापित करते हुए रोते हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ है और जैसा कि वे अपने आंखों को बाहर निकालते हैं, वे आम तौर पर बदला लेने के बारे में बात करते हैं या दूसरों को या खुद को चोट पहुंचाते हैं. उन वीडियो में वे देशभक्ति के कारणों से रोते हैं. यह ‘दुश्मन’ है जिसने मातृभूमि के साथ अन्याय किया है और इसलिए इसका बदला लिया जाना चाहिए.

टिक-टॉक के रोते हुए पुरुष अपने आंसुओं का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर अन्याय के अपने अनुभव को प्रमाणित करने के लिए करते हैं, खासकर जब किसी महिला ने उन्हें ठुकरा दिया हो. यहां, एक युवक एक बल्ब से अपना सिर फोड़ लेता  है, और उसी दर्द में अपनी छाती पीटता है.


यह भी पढ़ें: भारत की जो औरतें घूंघट से बाहर नहीं निकलीं, वो टिक टॉक पर तांडव कर रही हैं


जब किसी महिला के साथ मारपीट की जाती है या उसे सड़कों पर बुलाया जाता है, तो अक्सर उससे पूछा जाता है कि उसने ‘नहीं’ क्यों नहीं कहा, लेकिन ऐसी संस्कृति में भी जहां एक आदमी प्यार के ठुकराए जाने पर अपना सिर बल्ब में मारकर फोड़ लेता है, वहीं यह कोई आश्चर्य नहीं है कि एक युवा महिला के रूप में मुझे डर था (और अभी भी) जो पुरुष मुझ पर टिप्पणी करते हैं, उन्हें ‘नहीं’ कहने से कहीं कोई हिंसा न हो जाए. और मैं इस अनुभव में अकेली नहीं हूं.पुरुषों का रोना यह नहीं है वह महिलाओं का सम्मान कर रहे हैं. यह एक नए रूप में स्थापित पुरानी पितृसत्ता है. वे रोते हैं. क्योंकि उनके साथ कथित तौर पर अन्याय हुआ है. वे आंसू के साथ हिंसा छिड़कते हैं.

मैं इस शैली की अपनी पसंदीदा वीडियो में से एक को यहां साझा करूंगी. बैकग्राउंड में आप दिल टूटने के बाद रो रही उस महिला को देखें. हजारों की भीड़ में से मैं कह सकती हूं कि यह ‘मैं’ हूं.

(लेखिका ऑडियो बुक्स प्रोड्यूसर और संपादक हैं. ये उनके निजी विचार हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments