नई दिल्ली: कन्नूर जेल के अंदर वर्ष 2004 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ता की हत्या के जुर्म में शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नौ कार्यकर्ताओं को उम्रकैद की सजा सुनाई गई. शायद यह देश की जेल के अंदर पहली राजनीतिक हत्या थी. 6 अप्रैल 2004 को जेल में कैद आरएसएस-भाजपा से संबद्ध कैदियों के एक समूह ने के.पी. रवींद्रन पर लोहे की छड़ों से हमला किया था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरएल बीजू ने 48 वर्षीय शंकरन मास्टर, 38 वर्षीय विजेश, 48 वर्षीय प्रकाशन और 40 वर्षीय काव्येश पर हत्या, दंगा और अन्य मामलों में दोषी पाए जाने पर 50000-50000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
रवींद्रन भी उसी जेल में बंद थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. थालास्सेरी अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने नौ दोषियों को सजा सुनाई, जिनमें पवित्रन, फाल्गुनन, के.पी. रेघु, सनल प्रसाद, पी.के. दिनेश, के.ससी, अनिल कुमार, सुनी और अशोकन शामिल हैं.
न्यायालय ने प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
रवींद्रन पर क्रूर हमले के आरोप में कन्नूर जेल में बंद सभी 31 आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं को आरोपी बताया गया था, लेकिन मामले में केवल नौ को दोषी ठहराया गया है.
बता दें कि भाजपा केरल में अपनी जमीन तलाश रही है. इस बार वह वहां बीजेपी अपना वोट शेयर बढ़ाने में सफल भी हुई है. कई बार दोनों तरफ के संगठन के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है. दोनों तरफ के कार्यकर्ता मारे गये हैं. सत्तारूढ़ माकपा का हमेशा आरोप रहा है कि मारे गये कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा उसके कार्यकर्ता शामिल रहे हैं.