फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश: पचास-वर्षीय लज्जावती इस बात पर अड़ी हुई हैं कि उनके बेटे को फंसाया गया है.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के भगौतीपुर गांव में दो किशोरियों की मौत के सिलसिले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो लोगों में से एक दीपक के बारे में उन्होंने कहा, “वो बहुत कमज़ोर है, वो ऐसा नहीं कर सकता. वो बहुत डरपोक है और आसानी से डर जाता है.”
मंगलवार को आम के बाग में एक पेड़ से दलित लड़कियों के शव लटके पाए जाने के बाद से गांव सदमे में है.
उनके चार बेटों में से दूसरे नंबर का बेटा दीपक पिछले दो सालों से भैंसार गांव में अपने घर से करीब तीन किलोमीटर दूर भगौतीपुर में किराए की दुकान में सिलाई का काम करता है. लज्जावती ने दिप्रिंट से कहा, “हम चाहते हैं कि असली अपराधी पकड़ा जाए. यह मामला सुलझना चाहिए, इसलिए हम सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.”
इस बीच, दीपक की दुकान से करीब 500 मीटर दूर, मामले में दूसरे संदिग्ध पवन के दो कमरों वाले घर पर भी माहौल गमगीन है. पवन की मां भूरी देवी और दादी श्याम कली बहुत दुखी हैं. देवी बताती हैं कि दीपक के दुकान खोलने के कुछ महीने बाद, पवन ने वहां सिलाई सीखना शुरू कर दिया, ताकि वो “बहुत सारा पैसा कमाने” के लिए दिल्ली जा सके.
देवी कहती हैं कि उनका बेटा शांत स्वभाव का था और गांव में किसी को भी उससे कोई शिकायत नहीं रही, वो शायद ही कभी किसी से बात करता था. उनका मानना है कि उनका बेटा निर्दोष है. “वो केवल काम के लिए अपनी दुकान पर जाता था और सीधे घर वापस आ जाता था.”
पवन का घर उस मंदिर के सामने है, जहां 26 अगस्त को जन्माष्टमी का उत्सव मनाया गया था. रात करीब 9 बजे, बबली (17) और शशि (15) कार्यक्रम में शामिल होने के लिए घर से निकलीं, लेकिन कभी वापस नहीं लौटीं. अगली सुबह, उनके शव आम के बगीचे में मिले.
जबकि यूपी पुलिस का कहना है कि उन्होंने मामले को सुलझा लिया है — दोनों लड़कियों ने पवन और दीपक द्वारा उनसे अपने रिश्ते खत्म करने का फैसला करने के बाद अपनी जान देने का फैसला किया. पुलिस ने कहा, — लज्जावती और भूरी देवी दोनों सीबीआई जांच की मांग कर रही हैं, जैसा कि बबली और शशि के परिवार भी कर रहे हैं.
हालांकि, पुलिस ने शवों के मिलने की जगह से बरामद फोन और सिम कार्ड के जरिए पवन और दीपक को आत्महत्याओं से जोड़ा है, लेकिन लज्जावती और भूरी देवी का कहना है कि उन्हें अपने बेटों के दोनों लड़कियों के साथ रिश्ते के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
लज्जावती का कहना है कि उनके बेटे दीपक की तबीयत खराब थी और उसका दिल भी कमज़ोर था.
उन्होंने आगे कहा कि 26 अगस्त की रात को दीपक पवन के घर पर ही रहा और उस दिन उनसे फोन पर कोई संपर्क नहीं हुआ. अगली सुबह, वो सुबह 7 बजे घर लौटा. कुछ घंटों बाद, बबली और शशि के शव मिलने की खबर पूरे गांव में फैल गई.
लज्जावती ने कहा कि मौतों के बारे में सुनने के बाद, दीपक ने कहा कि वो उस दिन अपनी दुकान नहीं खोलेगा. हालांकि, जब परिवार ने जोर देकर कहा कि अगर उसने कुछ गलत नहीं किया है तो उसे डरने की कोई बात नहीं है, तो वो अपनी दुकान पर चला गया. दोपहर करीब 2 बजे पुलिस ने दीपक को पूछताछ के लिए उठा लिया. एक स्थानीय रिक्शा चालक ने उसके परिवार को बताया कि पुलिस उसे ले गई है.
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‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कुछ चोटों का ज़िक्र नहीं’
इस बीच, बबली और शशि के घर पर राजनेता अक्सर उनके परिवारों से मिलने आ रहे हैं.
बबली के पिता रामवीर और शशि के पिता मुन्ना उर्फ महेंद्र ने फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत के नेतृत्व में भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ मामले पर चर्चा की. रामवीर ने सांसद से अनुरोध किया कि अगर पुलिस, जो ‘सही रास्ते’ पर है, मामले को नहीं सुलझा पाती है, तो इसे सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए.
परिवारों का कहना है कि राजपूत ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी मांग पर विचार किया जाएगा.
फर्रुखाबाद के सांसद ने दिप्रिंट से कहा कि भाजपा सरकार “अन्याय का सामना करने वाले हर व्यक्ति के लिए न्याय सुनिश्चित करती है”.
उन्होंने आगे कहा, “वो अपराधियों को जेल भेजते हैं, कड़ी सजा देते हैं और बाद में उनके खिलाफ बुलडोजर भी चलाते हैं.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उनका मतलब यह है कि इस मामले में संदिग्धों के घर भी गिराए जाएंगे, राजपूत ने कहा, “दोषी साबित होने के बाद अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
रामवीर ने कहा कि वो पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट हैं, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से आश्वस्त नहीं हैं. उन्होंने फांसी की थ्योरी को खारिज कर दिया और उनका मानना है कि युवकों ने उनकी बेटी की हत्या की है.
उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता, ऐसा नहीं है कि हमने लड़कियों को आत्महत्या करते देखा.”
दोनों लड़कियों के पिता का कहना है कि शवों पर चोट के निशान थे, जिनका पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उल्लेख नहीं किया गया था. हालांकि, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी दीपक कटारिया ने इस दावे का खंडन किया है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “जब हमें शव मिले, तो उन पर चोट के कोई निशान नहीं थे. पोस्टमॉर्टम में कोई चोट नहीं पाई गई.”
पुलिस जांच में पता चला कि दीपक और पवन ने लड़कियों को फोन करके दीपक की दुकान के पास मिलने के लिए कहा था. वो करीब दो घंटे तक वहां रहे. रामवीर ने पूछा, “अगर वो उन्हें मिलने के लिए बुला सकते थे, तो वे उन्हें छोड़ने भी आ सकते थे. उन्होंने लड़कियों को अकेला क्यों छोड़ा?”
रामवीर का कहना है कि वो दीपक और पवन को कई सालों से जानते हैं और पवन उनका दूर का भतीजा है. पवन अक्सर उनके घर आता था और घटना से एक हफ्ते पहले भी उसके घर आया था. हालांकि, रामवीर का कहना है कि उन्हें कभी शक नहीं हुआ कि पवन और शशि के बीच रिश्ता है. उनका दावा है कि पुलिस जांच के दौरान उसे बताया गया कि पवन ने तीन महीने पहले शशि को एक सिम कार्ड दिया था और लड़कियों ने उसी समय से दोनों संदिग्धों से फोन पर बात करना शुरू कर दिया था.
शशि और बबली कपड़े सिलने के लिए दीपक की दुकान पर जाती थीं. उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता था कि वे (दीपक और पवन) ऐसा कुछ करेंगे.”
रामवीर का यह भी दावा है कि दोनों युवक उसकी बेटी और शशि को परेशान करते थे.
‘मामला बंद हो गया है’
फर्रुखाबाद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) आलोक प्रियदर्शी ने शुक्रवार रात दिप्रिंट को बताया कि दीपक और पवन लड़कियों पर उनसे बात करने का दबाव बनाते थे. उन्होंने कहा कि दोनों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है और जल्द ही परिवारों के बयान दर्ज किए जाएंगे, जिसके बाद चार्जशीट दाखिल की जाएगी.
बबली के पिता द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर संदेह जताए जाने पर एसपी ने कहा कि दोबारा पोस्टमार्टम कराने का कोई प्रावधान नहीं है. शवों का अंतिम संस्कार वैसे भी परिवारों ने कर दिया है.
उन्होंने कहा, “हमारी तरफ से मामला अब बंद हो गया है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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