चंडीगढ़: सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल को ‘तनखैया’ (धार्मिक कदाचार का दोषी पापी) घोषित किया.
जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अकाल तख्त भवन की प्राचीर से पांच तख्तों (सिखों के अधिकार क्षेत्र) के जत्थेदारों की संयुक्त बैठक के बाद यह फैसला सुनाया.
अन्य चार जत्थेदारों की मौजूदगी में फ़ैसला पढ़ते हुए सिंह ने कहा कि अकाल तख्त ने बादल को ऐसे फ़ैसले लेने के लिए दोषी पाया है, जिससे “सिख समुदाय की छवि को भारी नुकसान पहुंचा, शिरोमणि अकाली दल की स्थिति ख़राब हुई और सिख हितों को नुकसान पहुँचा”.
उन्होंने कहा कि ये फ़ैसले बादल ने उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख के तौर पर लिए थे. बादल 2007 से 2017 तक पंजाब के उपमुख्यमंत्री रहे और 2008 से पार्टी के अध्यक्ष हैं.
अकाल तख्त ने बादल से कहा है कि वे गुरु ग्रंथ साहिब, पंज सिंह साहिबान और सिख समुदाय की उपस्थिति में एक विनम्र सिख की तरह अपने पापों का प्रायश्चित करें, अन्यथा वे सिख धर्म के पापी बने रहेंगे. इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बादल ने एक्स पर लिखा कि वे निर्णय को स्वीकार करते हैं और शीघ्र ही अपना तन्खा स्वीकार करने और अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए उपस्थित होंगे.
ਵਾਹਿਗਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖ਼ਾਲਸਾ
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਹਿਮੀਰੀ ਪੀਰੀ ਦੇ ਸਰਵਉੱਚ ਅਸਥਾਨ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਵੱਲੋਂ ਜਾਰੀ ਹੁਕਮ ਨੂੰ ਦਾਸ ਸਿਰ ਨਿਵਾਂ ਕੇ ਪ੍ਰਵਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ।
ਹੁਕਮ ਅਨੁਸਾਰ ਜਲਦੀ ਹੀ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਸਨਮੁੱਖ ਪੇਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਖ਼ਿਮਾ ਜਾਚਨਾ ਕਰਾਂਗਾ ਜੀ। pic.twitter.com/nmE3aWa8tv— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) August 30, 2024
अकाल तख्त का यह कदम बादल द्वारा अकाली दल के महासचिव और पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदर को शिअद का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के एक दिन बाद आया है, जिसे डैमेज कंट्रोल के लिए एक पूर्व-निर्णय के रूप में देखा जा रहा है.
यह अकाली दल नेतृत्व के भीतर गहराते संकट के मद्देनजर भी आया है, जिसमें पार्टी के एक विद्रोही समूह ने मांग की है कि बादल अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें और 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद से अकाली दल के खराब होते चुनावी प्रदर्शन की पूरी जिम्मेदारी लें.
अकाल तख्त की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए, विद्रोही नेता गुरप्रताप सिंह वडाला, जो अकाली दल सुधार लहर के संयोजक हैं, ने एक वीडियो संदेश में कहा कि बादल के पास पार्टी के अध्यक्ष के रूप में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
वडाला ने कहा, “अकाल तख्त ने बादल को सिख समुदाय के हितों को नुकसान पहुंचाने सहित कई मामलों में दोषी ठहराया है. लोगों की नजर में, जिस व्यक्ति को तनखैया घोषित किया जाता है, उसकी स्थिति एक कलंकित व्यक्ति के समान होती है. और ऐसे व्यक्ति को अपनी गलतियों के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और नेता के पद से हट जाना चाहिए.”
अन्य बातों के अलावा, विद्रोही समूह ने 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में तत्कालीन शिअद सरकार (2012-2017) की विफलता के लिए बादल को जिम्मेदार ठहराया.
उस समय सुखबीर बादल उपमुख्यमंत्री थे और उनके पास महत्वपूर्ण गृह विभाग था. विद्रोही समूह ने उसी वर्ष अकाल तख्त के माध्यम से डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को क्षमादान देने के लिए भी बादल को जिम्मेदार ठहराया. यह एक ऐसा फैसला था जिसे बाद में सिख समुदाय से भारी विरोध के बाद वापस ले लिया गया था.
समूह ने आगे आरोप लगाया कि बादल ने विवादास्पद पुलिसकर्मी सुमेध सिंह सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया, जबकि उन पर उग्रवाद के दिनों में निर्दोष सिख युवाओं को प्रताड़ित करने और उनकी हत्या करने के आरोप थे.
इसने बादल को एक अन्य विवादास्पद पुलिस अधिकारी इज़हार आलम की पत्नी फरज़ाना आलम को अकाली सरकार में मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया, जो इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
बादल को ‘तनखैया’ घोषित करते हुए अकाल तख्त ने 2015 में पूर्व सीएम प्रकाश बादल की कैबिनेट में शामिल रहे लोगों से लिखित स्पष्टीकरण भी मांगा है, जिसे 15 दिनों के भीतर व्यक्तिगत रूप से प्रस्तुत किया जाना है.
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तनखैया कैसे प्रायश्चित करता है
सरल शब्दों में कहें तो ‘तनखैया’ वह सिख है जिसने रहत मर्यादा (सिख आचार संहिता) का उल्लंघन किया है या ऐसा कुछ किया है जो सिख धर्म के लिए हानिकारक है. यह सदियों पुरानी परंपरा है. अकाल तख्त जत्थेदार, चार सिंह साहिबान (सिख धर्म के चार पवित्र तख्तों के जत्थेदार, अकाल तख्त के अलावा जो सत्ता की सर्वोच्च सीट है) के साथ मिलकर उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद अकेले ही किसी व्यक्ति को ‘तनखैया’ घोषित कर सकते हैं.
अकाल तख्त द्वारा ‘तनखैया’ घोषित किया गया सिख, सिख समुदाय का ‘पापी’ होता है और उसे अकाल तख्त द्वारा तय किए गए प्रायश्चित (तनखा) से गुजरना पड़ता है. सजा स्वीकार करने के लिए, ‘तनखैया’ को अकाल तख्त के सामने पेश होना पड़ता है और माफ़ी मांगनी पड़ती है. तनखा या सज़ा पूरी होने के बाद, ‘तनखैया’ को माफ़ कर दिया जाता है. अगर कोई ‘तनखैया’ इस सज़ा को नहीं भुगतता है, तो उसे सिख समुदाय से बहिष्कृत किए जाने की संभावना होती है.
यह सज़ा धार्मिक, विनम्र प्रकृति की होती है, जैसे स्वर्ण मंदिर के परिसर की सफ़ाई करना, गुरुद्वारे में आने वाले लोगों के जूते पॉलिश करना, लंगर (सामुदायिक रसोई) में इस्तेमाल होने वाले बर्तन धोना या सामुदायिक रसोई में मदद करना.
1 जुलाई को विद्रोही समूह ने अकाल तख्त में बादल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वह “सिख पंथ (समुदाय) का संतोषजनक प्रतिनिधित्व करने में विफल रहे हैं. विद्रोही समूह ने बादल के फैसलों में भागीदार होने के लिए माफ़ी भी मांगी.
विद्रोही समूह में पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींडसा, गुरप्रताप सिंह वडाला, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखरा, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और चरणजीत सिंह बराड़ शामिल हैं. पिछले महीने समूह ने अकाली दल सुधार लहर (अकाली दल सुधार आंदोलन) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य बादल को पार्टी से बाहर करना और पार्टी पर नियंत्रण करना था.
उसी दिन अकाल तख्त ने बादल को तलब किया और पार्टी के असंतुष्ट समूह द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा. 24 जुलाई को बादल अकाल तख्त के समक्ष पेश हुए और सीलबंद लिफाफे में अपना जवाब सौंपा. इस महीने की शुरुआत में बादल के पत्र की सामग्री सार्वजनिक की गई थी.
बादल ने विद्रोही समूह द्वारा उन पर लगाए गए “सभी आरोपों” के लिए अकाल तख्त के समक्ष बिना शर्त माफ़ी मांगी थी.
आरोपों पर सवाल उठाए या खंडन किए बिना बादल ने कहा कि वह अकाल तख्त के समक्ष कोई तर्क या बचाव पेश करने वाले “कोई नहीं” हैं, क्योंकि अकाल तख्त “सर्वोच्च” है और वह एक “विनम्र भक्त” के रूप में क्षमा मांग रहे हैं. बादल ने कहा कि वह इस मामले में अकाल तख्त द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय को स्वीकार करेंगे.
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