दिप्रिंट कुछ जॉर्गन को समझाने का प्रयास कर रहा है, जिससे आप आसानी से बजट को समझ सकते हैं.
राजकोषीय घाटा : किसी देश में सरकार कर जैसे स्रोतों के माध्यम से राजस्व कमाती है. साथ ही सरकार खर्च भी करती है. जब सरकार का कुल व्यय अपने कुल राजस्व से अधिक हो जाता है, तो सरकार को बाजार से अतिरिक्त राशि को उधार लेना पड़ता है. यह राशि जो सरकार उधार लेती है वह राजकोषीय घाटे के बराबर होती है. आसान भाषा में सरकार की कुल कमाई और खर्च के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है.
बहुत अधिक राजकोषीय घाटा ब्याज दरों को बढ़ाता है और अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव डाल सकता है.
राजकोषीय विस्तार: ऐसा हो सकता है कि सरकार वित्तीय घाटे के अपने लक्षित स्तरों से आगे जाने का फैसला करे और आर्थिक मंदी की स्थिति में उदाहरण के लिए उधार ले इसे राजकोषीय विस्तार कहेंगे.
सरकारी ऋण-से-जीडीपी अनुपात: जैसा कि सरकार अपने वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए हर साल उधार लेती है, जिससे ऋण हो जाता है. देश के सकल घरेलू उत्पाद में इस ऋण के स्तर का अनुपात, यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था के आकार के सापेक्ष कुल कितना उधार लिया गया है, यह जीडीपी अनुपात का कर्ज है.
फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट : फिस्कल रेस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट 2003 में लागू हुआ. यह राजकोषीय घाटे को कम करने के वास्ते सरकार के लिए लक्ष्य तय करता है.
पब्लिक सेक्टर बॉरोइंग रिक्वायरमेंट (PSBR) : यह केंद्र सरकार और इसके सार्वजनिक उपक्रमों जैसी संस्थाओं द्वारा किए गए सभी उधारों का एक उपाय है। पीएसबीआर में राज्य सरकारों, उनकी संस्थाओं और यहां तक कि स्थानीय सरकारों के उधार भी शामिल हो सकते हैं.
राजस्व व्यय : यह व्यय एक आवर्ती प्रकृत है कर्मचारी के वेतन, उधार ली गई पूंजी पर ब्याज भुगतान आदि चीजों पर किया जाता है।विभिन्न सरकारी विभागों और सेवाओं पर खर्च, ऋण पर ब्याज की अदायगी और सब्सिडियों पर होने वाले व्यय को राजस्व व्यय कहते है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर : यह कभी-कभार होने वाला खर्च है, जो बिल्डिंग, इक्विपमेंट खरीद या हाइवे कंस्ट्रक्शन जैसे कैपिटल इनवेस्टमेंट पर खर्च किया जाता है.
राजस्व घाटा : राजस्व घाटा तब होता है जब किसी सरकार की वास्तविक शुद्ध आय उसकी अनुमानित शुद्ध आय से कम होती है. सरकार की राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय के बीच के अंतर को राजस्व घाटा कहते हैं.
करंट अकाउंट डेफिसिट : करंट अकाउंट बैलेंस ऑफ पेमेंट के उन घटकों में से एक है जो अनिवार्य रूप से किसी विशेष अवधि के लिए दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ देश के आर्थिक लेनदेन को संक्षेप में प्रस्तुत करता है. चालू खाते में खरीदी गई / बेची गई वस्तुएं, प्रदान की गई सेवाएं, आय प्राप्तियां, संपत्ति के स्वामित्व से आय और विप्रेषण जैसे एकतरफा स्थानान्तरण शामिल हैं. चालू खाता घाटा तब होता है जब हमारे द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य हमारे द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक हो जाता है. देश के कुल निर्यात और आयात के बीच के अंतर को चालू खाता घाटा कहा जाता है. ध्यान रहे यहां निर्यात और आयात सिर्फ वस्तुओं से नहीं बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के संदर्भ में लिए जाना चाहिए. यानी किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं के आयात निर्यात के ज़रिए, कितनी विदेशी मुद्रा आती है और कितनी बाहर जाती है, उसके अंतर को चालू खाता घाटा कहते हैं.
प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर: प्रत्यक्ष कर वो कर होता जो व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट आय, संपत्ति या धन पर लगाए जाते हैं. जीएसटी और सीमा शुल्क अप्रत्यक्ष कर हैं जो वस्तुओं और सेवाओं पर दिए जाते हैं। कुछ टैक्स ऐसे होते हैं जो लोगों पर सीधे से नहीं लगाए जाते हैं बल्कि सामानों और सेवाओं के जरिये टैक्स वसूले जाते हैं.