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Thursday, 21 November, 2024
होमविज्ञानमंगल पर समुद्र जितना पानी होने की संभावना है, पर इसका यह मतलब नहीं कि मानव बस्ती बनाई जा सकती है

मंगल पर समुद्र जितना पानी होने की संभावना है, पर इसका यह मतलब नहीं कि मानव बस्ती बनाई जा सकती है

पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि 3 अरब साल पहले, मंगल ग्रह पर मौजूद अधिकांश पानी रिसकर ऊपरी सतह में जमा हो गया था, लेकिन यह पानी तक पहुंच पाना काफी मुश्किल है.

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नई दिल्ली: मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि 16 साल पहले हुई थी और इस लाल ग्रह पर पानी के महासागरों के अस्तित्व की परिकल्पना की गई थी, लेकिन उनकी मौजूदगी का संकेत देने वाले सबूतों की पुष्टि अब तक नहीं हुई थी.

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के सहायक प्रोफेसर वाशन राइट के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने नासा के इनसाइट लैंडर (InSight lander) से एकत्र किए गए भूकंपीय डेटा का विश्लेषण किया, और मंगल ग्रह की सतह के नीचे उसे पानी के एक बड़े भंडार होने के सबूत मिले.

सोमवार को जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि पानी का यह भूमिगत भंडार पूरे ग्रह में फैले महासागरों को भरने के लिए पर्याप्त है, जिसकी गहराई एक से दो किलोमीटर के बीच है.

यह उन वैज्ञानिकों के लिए अच्छी खबर है जो मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों की खोज कर रहे हैं, और इस ग्रह पर बड़ी मात्रा में पानी से बेहतर जीवन के संकेत क्या हो सकते हैं?

कई रोवर्स, लैंडर्स और प्रोब्स ने मंगल ग्रह पर नदियों, जलभृतों (एक्विफर्स), नलिकाओं (चैनलों), झील के निक्षेपों (डिपॉज़िट) और डेल्टा (नदी के मुहाने) के होने का संकेत देने वाली संरचनाओं की खोज की है. 31 जुलाई 2008 को, नासा के फीनिक्स लैंडर ने मंगल ग्रह पर वॉटर आइस की उपस्थिति की पुष्टि की, जो मंगल ग्रह पर पानी का पहली बार पाया गया नमूना था.

नए अध्ययन के लिए, पृथ्वी पर उपयोग किए जाने वाले रॉक भौतिकी के गणितीय मॉडल की मदद से टीम ने 2018 में मंगल ग्रह पर भेजे गए इनसाइट द्वारा एकत्र किए गए भूकंपीय डेटा का विश्लेषण किया और निष्कर्ष निकाला कि डेटा फ्रैक्चर्ड आग्नेय चट्टानों की एक गहरी परत में संतृप्त पानी की उपस्थिति की ओर संकेत करता है. गर्म मैग्मा के ठंडा होने और जमने से बनने वाली चट्टानों को आग्नेय चट्टानें कहा जाता है.

दिसंबर 2022 में लैंडर स्लीप मोड में चला गया, लेकिन शोधकर्ता अभी भी लैंडर के डेटा के समृद्ध भंडार का विश्लेषण कर रहे हैं. वे मंगल के अंदरूनी हिस्से की जांच करने में सक्षम थे क्योंकि इनसाइट ने मंगल के भूकंपों का पता लगाने के बाद बहुत सारे भूकंपीय डेटा एकत्र किए थे.

नए पेपर के लेखकों ने उल्लेख किया कि यदि कोई यह मानता है कि मंगल ग्रह की ऊपरी परत या क्रस्ट पूरे ग्रह पर एक समान है, तो इस बात की संभावना है कि क्रस्ट के मध्य भाग में जितने पानी के होने की पहले परिकल्पना की गई थी उससे कहीं ज्यादा पानी है.

मंगल के समुद्र कैसे खत्म हो गए

तीन अरब साल से भी पहले, मंगल पर वायुमंडल खत्म हो गया. यह परिकल्पना है कि इसके बाद इस लाल ग्रह के महासागर खत्म हो गए होंगे. हालांकि, ग्रह पर कुछ पानी बचा हुआ था.

अध्ययन में कहा गया है, “प्राचीन सतही जल खनिजों में समाहित हो गया होगा, बर्फ के रूप में दब गया होगा, गहरे जलभृतों में तरल के रूप में जमा हो गया होगा या अंतरिक्ष में खो गया होगा.” वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ग्रह के वायुमंडल के खत्म होने के बाद मंगल पर जो पानी बचा था, उसका पूरा हिसाब ग्रह के ध्रुवीय बर्फ के आवरणों में मौजूद जमे हुए पानी से नहीं लगाया जा सकता. साथ ही, नए अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि यह पानी अंतरिक्ष में वाष्पीकृत होने के बजाय, अधिकांश पानी नीचे रिसकर मंगल की सतह पर जमा हो गया होगा.

तो, क्या मंगल पर जीवन पनप सकता है?

मानवता अंततः मंगल पर बसना चाहती है. हालांकि, जो लोग इस लाल ग्रह पर मानव बस्ती बनाना चाहते हैं, उन्हें बहुत उत्साहित नहीं होना चाहिए क्योंकि खोजे गए पानी तक पहुंच पाना दो कारणों से काफी हद तक मुश्किल है. सबसे पहले, पानी मंगल की सतह के बीच में चट्टानों की छोटी-छोटी दरारों और छिद्रों में समाया हुआ है. दूसरे, मिड-क्रस्ट ऊपरी सतह से 11.5 से 20 किमी नीचे है. जब पृथ्वी पर इतनी गहराई पर ड्रिलिंग करना चुनौतीपूर्ण है, तो मंगल की तो बात ही छोड़िए, जहां गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का 38 प्रतिशत है.

A cutout of the Martian interior shows that the fractured upper crust is dry, and the mid-crust is water-saturated | James Tuttle Keane and Aaron Rodriquez/Scripps Institution of Oceanography
मंगल ग्रह के अंदरूनी हिस्से का एक कटआउट दिखाता है कि टूटी हुई ऊपरी परत सूखी है, और मध्य परत पानी से संतृप्त है | जेम्स टटल कीन और आरोन रॉड्रिक्ज़/स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ़ ओशनोग्राफी

गुरुत्वाकर्षण जितना कम होगा, खुदाई करना उतना ही मुश्किल होगा. इसका मतलब है कि चट्टानों में समाया पानी भविष्य में मंगल ग्रह की यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को भी जिंदा रख पाने में सक्षम नहीं होगा.

राइट के नेतृत्व में अगस्त 2022 में जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने ऊपरी मंगल ग्रह की परत में पानी की मौजूदगी के बारे में वैज्ञानिकों की उम्मीदों को झुठला दिया था क्योंकि इनसाइट ने पाया था कि ग्रह की ऊपरी सतह से 300 मीटर नीचे तक मंगल की पूरी क्रस्ट पूरी तरह से सूखी है. इससे यह विचार और भी पुष्ट होता है कि पानी के गहरे भंडार तक पहुंचने की बात करना जितना आसान है, वहां तक पहुंचना उतना ही मुश्किल.

हालांकि, यह नई खोज वैज्ञानिकों को ग्रह के भूवैज्ञानिक इतिहास, इसकी ऊपरी परत की संरचना और इस पर उपस्थित खनिज के बारे में जानने में मदद कर सकती है. ग्रह की जलवायु, सतह और आंतरिक भाग के विकास को समझने के लिए मंगल ग्रह के जल चक्र को समझना महत्वपूर्ण है.

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