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Tuesday, 5 November, 2024
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उत्तर प्रदेश : भ्रष्टाचार की जंग में ‘एंटी करप्शन पोर्टल’ मजबूत योद्धा

योगी सरकार ने मार्च, 2018 में प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए 'एंटी करप्शन पोर्टल' जैसा योद्धा दिया था. जो अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में असरदार साबित हो रहा है. 

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार से लड़ने की मुहिम अब रंग लाने लगी है. योगी सरकार ने मार्च, 2018 में प्रदेश की जनता को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए ‘एंटी करप्शन पोर्टल’ जैसा योद्धा दिया था. जो अब भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में असरदार साबित हो रहा है.

लोग इस पर भ्रष्टाचार के प्रमाण के रूप में ऑडियो व वीडियो अपलोड कर सरकार से शिकायत कर सकते हैं. सरकार इस पर जांच-पड़ताल कर कार्रवाई करवाती है.

एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पोर्टल पर अब तक 2373 से अधिक शिकायतें की गई हैं. इनमें 1963 से अधिक शिकायतें ऐसी मिलीं जिनमें भ्रष्टाचार के बिंदु शामिल नहीं थे. कुछ लोगों ने गाने और परिवार में विवाद की बातचीत ही अपलोड कर दी थी. कुछ लोग इसमें मसखरी भी कर रहे हैं.

अधिकारी ने बताया कि 256 मामलों में से 117 में कार्रवाई पूरी हो चुकी है. एक मामले को विभाग ने कार्रवाई लायक नहीं माना. 138 शिकायतों पर कार्रवाई किसी न किसी स्तर पर चल रही है. अब भी रोजाना 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं.

सरकार ने ऑडियो-वीडियो की पड़ताल में 256 शिकायतों को प्रथम दृष्ट्या कार्रवाई के योग्य माना और विभागों को परीक्षण कर कार्रवाई के लिए भेजा. स्थानीय स्तर पर कार्रवाई योग्य मामले जिलाधिकारियों को भेज दिए गए.

उन्होंने बताया कि इस पर कभी-कभी छात्रवृत्ति की शिकायतें भी आती हैं. उन्हें वापस करना पड़ता है. पिछले एक साल में आम लोगों की शिकायत पर 100 से अधिक अफसरों-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है.

इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि शिकायतकर्ता की पहचान छुपी रहती है, ताकि उसे कोई खतरा न हो. इसमें आगे चलकर और कई परिवर्तन होने हैं.

पोर्टल पर आने वाली शिकायतों की मुख्यमंत्री कार्यालय नियमित देखरेख भी कर रहा है. कई मामलों में फील्ड या विभाग स्तर पर मामलों में लीपापोती की कोशिश हुई, लेकिन उसे फिर कार्रवाई के लिए भेजा गया और दोषी कर्मचारी दंडित किए गए. एक मामले में एक अधिकारी को तो निलंबित होना पड़ा है.

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में बांदा के तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी रमेश चंद्र के खिलाफ निर्माण कार्यो का भुगतान न करने, कमीशन मांगने, मनमाने व भ्रष्ट आचरण की शिकायत की गई थी. जांच में आरोप सही पाए जाने पर उन्हें निलंबित कर समादेश मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया.

इसके अलावा प्रतापगढ़ में ट्रांसफार्मर लगाने के एवज में पैसे मांगने की शिकायत की गई थी. इसकी जांच के आधार पर निविदा कर्मी को बर्खास्त होना पड़ा. एटा में तत्कालीन बीडीओ भगवान सिंह चौहान के खिलाफ घूस लेने की शिकायत हुई थी. मामले में संयुक्त विकास आयुक्त अलीगढ़ मंडल को जांच सौंपते हुए अनुशासनिक कार्यवाही शुरू कर दी गई है.

एटा के एक शिकायतकर्ता ने पोर्टल पर वरिष्ठ निरीक्षक विधिक माप विज्ञान सुनील कुमार के खिलाफ पेट्रोल पंप से अवैध वसूली और न देने पर काम रोकने की धमकी की शिकायत की थी. इस मामले में वरिष्ठ निरीक्षक को निलंबित किया गया और जांच के बाद भर्त्सना प्रविष्टि के साथ एक वेतन वृद्धि अस्थायी रूप से रोक दी गई.

उन्होंने बताया कि अभी यह दो प्रकार से संचालित किया जा रहा है. एक शासन स्तर और दूसरा जनपद स्तर पर चल रहा है. आगे आने वाले समय में इसे गृह विभाग से संबद्ध किया जाएगा, ताकि अपराध के मामलों पर भी अंकुश लगाया जा सके.

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने आईएएनएस से कहा कि सरकार जनता के लिए बहुत अच्छे टूल्स का प्रयोग कर रही है. इससे अच्छी पहल भला क्या हो सकती है. इसमें जनता को अब भ्रष्टाचार से आसानी से मुक्ति मिल सकेगी. सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत हथियार दिया है.

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मार्च, 2018 में एंटी करप्शन पोर्टल की शुरुआत की थी. इसके जरिए आम लोग भ्रष्ट नौकरशाहों और कर्मचारियों के खिलाफ सीधी शिकायत करने का प्रावधान है. इस पोर्टल के माध्यम से स्टिंग ऑपरेशन कर भ्रष्ट नौकरशाहों और कर्मचारियों की शिकायत सरकार से की जा सकती है. इसके लिए भ्रष्ट और अकर्मण्य अधिकारियों के खिलाफ किसी भी तरह का ऑडियो-वीडियो बनाकर पोर्टल पर शिकायत की जा सकती है. शिकायत करने वालों की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाती है.

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