कोलकाता: 14 और 15 अगस्त की मध्य रात्रि में रात करीब 12.30 बजे कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हिंसक भीड़ ने धावा बोल दिया और तोड़फोड़ की. यह घटना उस समय हुई जब पूरे राज्य में ट्रेनी डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर रैलियां निकाली जा रही थीं, जिनका अस्पताल में बेरहमी से बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई. भीड़ ने बैरिकेड तोड़ दिए, गेट क्षतिग्रस्त कर दिए और कोलकाता पुलिस की एक चौकी और कई वाहनों को पलट दिया.
एसओएस प्राप्त करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि जब वह इमरजेंसी बिल्डिंग में दाखिल हुए, जिसमें उपद्रवियों द्वारा तोड़फोड़ की जा रही थी, तो वह “स्तब्ध” रह गए.
नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मैं 28 साल से इस पुलिस बल में हूं, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा. भीड़ नंगे हाथों से बिजली काटने के लिए तार तोड़ रही थी, उनके पास रॉड और तलवारें थीं और वे पुलिस की ओर बढ़ रहे थे. वहां इलाज करा रहे मरीज थे और पुलिस ने उन्हें प्राथमिकता देते हुए बचाया. पुलिस उस अस्पताल के अंदर लाठी लेकर नहीं जा सकती जहां छात्र मौजूद हों. पुलिस ने भीड़ का मुकाबला करने के लिए टहलने वाली स्टिक और बैनर के पोल्स का सहारा लिया.”
आपातकालीन भवन के अंदर लोहे के गेट उखाड़ दिए गए, लाइटें और पंखे तोड़ दिए गए, कांच के टुकड़ों के बीच चिकित्सा उपकरण और दवाएं फर्श पर बिखेर दिए गए थे, बिस्तरों और आईवी ड्रिप्स को पलट दिया गया था. एक भी कमरे को सही सलामत नहीं छोड़ा गया.
आरजी कर के रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. सौरव रॉय ने भीड़ के हमले के बाद दिप्रिंट से कहा, “यह आपातकालीन भवन मरीजों को सेवा प्रदान कर रहा था. वरिष्ठ डॉक्टरों ने सुनिश्चित किया कि किसी को भी वापस न भेजा जाए, लेकिन यह आपातकालीन कक्ष क्षतिग्रस्त है, यहां कोई सेवा प्रदान नहीं की जा सकती. इसलिए, यहां कोई चिकित्सा सेवा नहीं होगी. हमारा विरोध और भी ज़ोरदार होगा.”
व्यवस्था बहाल करने के लिए कोलकाता पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और आरजी कर अस्पताल के बाहर लोगों को हिरासत में लिया. स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के लिए शुरू में रेड रोड पर तैनात अतिरिक्त बलों को अस्पताल के आसपास स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण उत्तर कोलकाता की ओर मोड़ दिया गया. आरजी कर पर हमले के दौरान कई पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आईं.
कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल ने आरजी कर में करीब 2 बजे मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “जो मोटिवेटेड मीडिया कैंपेन चलाया जा रहा था, वह बेहद दुखद था और यह पूरे शहर के लिए दुखद था. इसने कोलकाता पुलिस की छवि खराब की है. हम हमेशा कोलकाता के लोगों के साथ हैं, हम हमेशा कोलकाता के लोगों के साथ रहेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से यह घटना नहीं होती अगर मीडिया द्वारा इस तरह का दुर्भावनापूर्ण अभियान नहीं चलाया जाता. मैं आपको अपने दिल की गहराइयों से और अपनी टीम के हर सदस्य से कह रहा हूं कि हमने कभी [दोषियों] को बचाने की कोशिश नहीं की. अगर सीबीआई यह साबित कर सकती है कि मैंने या मेरे किसी आदमी ने [दोषियों] को बचाने की कोशिश की है, तो हम जिम्मेदारी लेंगे.
सीबीआई से जांच
48 घंटे पहले, कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने आरजी कर अस्पताल के अंदर एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कोलकाता पुलिस और ममता बनर्जी सरकार पर कड़ी फटकार लगाई.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, “यह मामला एक अनोखा मामला है और तथ्य और परिस्थितियां बिना समय गंवाए उचित आदेश देने की मांग करती हैं. हम ऐसा कहने के लिए आश्वस्त हैं क्योंकि पांच दिन बीत जाने के बाद भी जांच में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है, जो अब तक हो जानी चाहिए थी और समय गंवाने से हम रिट याचिकाकर्ताओं, विशेष रूप से पीड़िता के माता-पिता द्वारा उठाई गई दलील को स्वीकार करना पूरी तरह से न्यायसंगत होगा कि इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत नष्ट कर दिए जाएंगे और गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है.”
इससे पहले बुधवार शाम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, “मैंने पुलिस से करीब 100 बार बात की होगी. मिनट-दर-मिनट विवरण साझा किए गए. मैं पूरी रात सोई नहीं. मैंने 2 बजे तक सीपी से बात की. पुलिस ने शव को अंतिम संस्कार तक साथ रखा. वे पूरी रात काम करने के लिए जागते रहे – जिसमें सीसीटीवी फुटेज खंगालना, न्यायिक मजिस्ट्रेट से संपर्क करना और [प्रक्रिया की] वीडियोग्राफी करना शामिल था. अगले दिन, डीएनए टेस्ट और सैंपल कलेक्शन भी किया गया.”
सीएम ने पिछले हफ्ते परिवार को न्याय का आश्वासन दिया था और यहां तक कहा था कि अगर परिवार सीबीआई जांच चाहता है तो राज्य को कोई समस्या नहीं है. “पुलिस ने पहले ही मामले में 34 लोगों से पूछताछ की थी, और उनकी सूची में और भी लोग थे जिनसे अगले चार से पांच दिनों में पूछताछ की जाएगी. लेकिन उन्हें ऐसा करने का मौका नहीं दिया गया. कुल मिलाकर, हमें कोई आपत्ति नहीं है कि हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. उन्होंने कहा, “अगर पुलिस इस मामले को सुलझा नहीं पाती तो मुझे यह मामला सीबीआई को सौंपना पड़ता.”
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