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Thursday, 21 November, 2024
होमरिपोर्टक्या है सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर शेख हसीना ने अमेरिका पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया, क्या है इसका महत्व

क्या है सेंट मार्टिन द्वीप जिसे लेकर शेख हसीना ने अमेरिका पर कब्ज़ा करने का आरोप लगाया, क्या है इसका महत्व

अमेरिका द्वारा इस द्वीप पर नियंत्रण करने की अफ़वाहें कई सालों से चल रही हैं, यहां तक कि वाशिंगटन ने आधिकारिक तौर पर ऐसी योजनाओं का खंडन भी किया है.

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नई दिल्ली: बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में महज़ 3 वर्ग किलोमीटर में फैला सेंट मार्टिन द्वीप बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के साथ ही चर्चा का विषय बन गया है.

बर्खास्त प्रधानमंत्री ने रविवार को एक बयान जारी किया – वह भाषण जो वे इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होने से पहले देना चाहती थीं – जिसमें उन्होंने दावा किया कि अगर उन्होंने सेंट मार्टिन को अमेरिका को दे दिया होता तो वे सत्ता में बनी रह सकती थीं.

शनिवार को अपने अवामी लीग समर्थकों को दिए गए संदेश में उन्होंने कहा, “अगर मैंने सेंट मार्टिन और बंगाल की खाड़ी को अमेरिका को दे दिया होता तो मैं सत्ता में बनी रह सकती थी,”

यह दावा किया जाता है कि अमेरिका म्यांमार से मात्र आठ किलोमीटर दूर स्थित इस छोटे से द्वीप पर एक एयर बेस बनाना चाहता है, जबकि यह बांग्लादेशी क्षेत्र में आता है.

इस द्वीप पर नियंत्रण चाहने की अमेरिका की इच्छा की अफ़वाहें कई वर्षों से चल रही हैं, यहाँ तक कि वाशिंगटन ने आधिकारिक तौर पर ऐसी योजनाओं का खंडन भी किया है.

2003 में, बांग्लादेश में तत्कालीन अमेरिकी दूत मैरी एन पीटर्स ने कहा था कि उनके देश की “सेंट मार्टिन द्वीप, चटगाँव या बांग्लादेश में कहीं और सैन्य बेस बनाने की कोई योजना, कोई आवश्यकता या कोई इच्छा नहीं है”.

उन्होंने कहा था, “अमेरिका की दिलचस्पी केवल ढाका के साथ सैन्य संबंधों को मज़बूत करने में है.”

हालाँकि, इस साल जनवरी में बांग्लादेश में चुनाव से पहले, हसीना ने दावा किया था कि “एक श्वेत व्यक्ति” ने उन्हें एयरबेस के बदले में सत्ता में वापसी की पेशकश की थी.

पिछले साल, बांग्लादेश में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, हसीना ने कहा था, “मैं सेंट मार्टिन द्वीप को पट्टे पर देकर सत्ता में वापस नहीं आना चाहती”.

अपनी मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने की योजना के तहत सेंट मार्टिन को जब्त करने की कोशिश करने वालों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था, “बीएनपी 2001 में गैस बेचने का वचन देकर सत्ता में आई थी. अब वे देश को बेचना चाहते हैं. वे सेंट मार्टिन को बेचने के वचन के जरिए सत्ता में आना चाहते हैं.”

तब अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था कि द्वीप को लेकर कभी कोई बातचीत नहीं हुई.

सेंट मार्टिन से अमेरिका को क्या लाभ होगा

भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने अमेरिका द्वारा द्वीप को पाने की इच्छा होने की किसी भी प्रत्यक्ष जानकारी से इनकार किया और कहा कि वे हसीना द्वारा बार-बार कही गई बातों और वर्षों से इसके बारे में चल रही चर्चा पर विचार कर रहे हैं.

सूत्रों ने बताया कि सेंट मार्टिन में सैन्य अड्डा होने का सबसे बड़ा फायदा, इसके छोटे आकार के बावजूद, मलक्का जलडमरूमध्य पर इसकी रणनीतिक उपस्थिति होगी, जिसका इस्तेमाल चीनी अपने परिवहन के लिए मुख्य रूप से करते हैं.

सूत्रों ने यह भी बताया कि यह द्वीप बांग्लादेश में कॉक्स बाज़ार बंदरगाह के लिए भी एक बाधा साबित होगा जिसे चीनी बना रहे हैं. इस द्वीप को निगरानी गतिविधियों के लिए एक अच्छी निगरानी चौकी में बदला जा सकता है, जो न केवल चीन और म्यांमार की गतिविधियों पर बल्कि भारत की गतिविधियों पर भी केंद्रित होगी.

म्यांमार इस द्वीप को अपना बताता है

हालांकि हसीना ने दावा किया है कि अमेरिका इस द्वीप पर कब्ज़ा करना चाहता है, म्यांमार इस द्वीप पर अपना अधिकार जताता है.

इंटनेशनल ट्राइब्यूनल फॉर दि लॉ ऑफ दि सी (ITLOS) ने सेंट मार्टिन द्वीप को बांग्लादेश का हिस्सा माना है, लेकिन म्यांमार अभी भी इसे अपना क्षेत्र मानता है.

2018 में म्यांमार ने सेंट मार्टिन द्वीप को अपने आधिकारिक मानचित्र में शामिल किया था, जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. अंततः उस मानचित्र को हटा दिया गया और तत्कालीन म्यांमार के विदेश मंत्री ने दावा किया कि यह एक गलती थी.

हालांकि तत्कालीन सरकार ने इसे हटा दिया था, लेकिन बाद में इसे सैन्य जुंटा द्वारा अपदस्थ कर दिया गया और इस वर्ष द्वीप पर जाने वाले जहाजों पर गोलीबारी की गई.

इसके बाद बांग्लादेशी नौसेना को अपना जहाज़ तैनात करने पर मजबूर होना पड़ा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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