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Saturday, 16 November, 2024
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हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण 280 सड़कें बंद

वर्षा से संबंधित घटनाओं में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और राज्य को 27 जून से 9 अगस्त के बीच लगभग 842 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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शिमला: अधिकारियों के अनुसार पिछले दो दिनों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ की वजह से हिमाचल प्रदेश में 280 से अधिक सड़कें बंद हो गई हैं. इनमें से 150 तो शनिवार को बंद हुई हैं.

उन्होंने कहा कि ऊना में उफनती नदियों का पानी कई घरों में घुस गया है, जबकि लाहौल और स्पीति पुलिस ने निवासियों और यात्रियों को अत्यधिक सावधानी बरतने और जाहलमान नाले को पार न करने की सलाह जारी की है क्योंकि इसका जल स्तर “तेजी से” बढ़ रहा है.

कुल्लू, मंडी और शिमला जिले में 31 जुलाई को अचानक आई बाढ़ के बाद लापता हुए लगभग 30 लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. अधिकारियों ने कहा कि अब तक 28 शव बरामद किए गए हैं.

उन्होंने बताया कि बारिश से जुड़ी घटनाओं में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और 27 जून से 9 अगस्त के बीच राज्य को करीब 842 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

अधिकारियों ने बताया कि 288 सड़कों में से 138 शुक्रवार को और 150 शनिवार को बंद हो गई थीं.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार मंडी में 96, शिमला में 76, कुल्लू में 37, सिरमौर में 33, चंबा में 26, लाहौल और स्पीति में सात, हमीरपुर में पांच और कांगड़ा और किन्नौर में चार-चार सड़कें बंद हैं.

पूह और कौरिक के बीच अचानक आई बाढ़ और नेगुलसरीन के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर भूस्खलन के बाद किन्नौर जिला राज्य की राजधानी शिमला से कट गया है.

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 458 बिजली और 48 जलापूर्ति योजनाएं भी प्रभावित हैं.

क्षेत्रीय मौसम विभाग ने रविवार को पांच जिलों बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सोलन, सिरमौर और ऊना में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी देते हुए ‘ऑरेंज’ अलर्ट जारी किया.

कहा गया है कि भारी गरज और बिजली गिरने के साथ बारिश की संभावना है.

मौसम विभाग ने चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, मंडी, सिरमौर और शिमला जिलों के अलग-अलग हिस्सों में कम से मध्यम बाढ़ के खतरे की भी चेतावनी दी.

इसने कहा कि निचले इलाकों में तेज हवाओं और जलभराव के कारण बागानों, फसलों, कमजोर संरचनाओं और ‘कच्चे’ घरों को नुकसान हो सकता है.

1 जून से शुरू हुए मानसून के दौरान हिमाचल प्रदेश में बारिश की कमी 10 अगस्त तक 28 प्रतिशत रही और हिमाचल प्रदेश में औसत 455.5 मिमी के मुकाबले 328.8 मिमी बारिश हुई.


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