नई दिल्ली: भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक मुकाबले से पहले अयोग्य ठहराये जाने के बाद अपनी मां को संबोधित एक भावुक संदेश में कुश्ती को अलविदा कहने की घोषणा की और कहा कि अब आगे खेलने की ताकत नहीं है.
विनेश को बुधवार को महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग के फाइनल से पहले 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अयोग्य ठहराया गया था.
उन्होंने एक्स पर संन्यास की घोषणा की.
अपनी मां प्रेमलता को संबोधित करते हुए 29-वर्षीय विनेश ने लिखा, ‘‘मां, कुश्ती मेरे से जीत गई, मैं हार गई. माफ करना. आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके.
दो बार की विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता ने कहा, ‘‘अलविदा कुश्ती 2001-2024. मैं आप सभी की हमेशा ऋणी रहूंगी. मुझे माफ कर दीजिए.’’
माँ कुश्ती मेरे से जीत गई मैं हार गई माफ़ करना आपका सपना मेरी हिम्मत सब टूट चुके इससे ज़्यादा ताक़त नहीं रही अब।
अलविदा कुश्ती 2001-2024 🙏
आप सबकी हमेशा ऋणी रहूँगी माफी 🙏🙏
— Vinesh Phogat (@Phogat_Vinesh) August 7, 2024
विनेश ने दिन का एक बड़ा हिस्सा खेल गांव के अंदर पॉलीक्लिनिक में बिताया, क्योंकि वजन कम करने के उपाय के कारण उनके शरीर में पानी की कमी हो गई. इन उपायों में भूखा रहना, तरल पदार्थों से परहेज करना और पसीना बहाने के लिए पूरी रात जागना शामिल था.
सेमी फाइनल में विनेश से हारने वाली क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गुज़मैन लोपेज़ ने फाइनल में भारतीय खिलाड़ी की जगह ली जहां वह अमेरिका की सारा एन हिल्डेब्रांट से हार गईं. विनेश अब लोपेज़ के साथ संयुक्त रजत पदक विजेता बनने के लिए खेल पंचाट पर भरोसा कर रही हैं.
कुश्ती की अंतरराष्ट्रीय संचालन संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने हालांकि, स्पष्ट कर दिया है कि वजन से जुड़े वर्तमान नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
विश्व संस्था ने अपने अध्यक्ष नेनाद लालोविच के भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा से मुलाकात के बाद बुधवार देर रात जारी बयान में कहा, ‘‘आईओए को हमने सुझाव दिया किसी दिन खिलाड़ी के वजन की ज़रूरत को पूरा किया जाता है उस दिन के पहलवान के परिणाम को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए.’’
यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने कहा, ‘‘यूडब्ल्यूडब्ल्यू भी उचित मंच पर इस सुझाव पर चर्चा करेगा, लेकिन यह पूर्व के नियमों पर लागू नहीं किया जा सकता.’’
विनेश ने ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा था. सुबह तक उनका कम से कम रजत पदक पक्का लग रहा था.
हरियाणा की इस धाकड़ का पेरिस तक का सफर आसान नहीं रहा और बहुत कुछ दांव पर था. पेरिस ओलंपिक में उन्हें अपने पसंदीदा 53 किग्रा की बजाय 50 किग्रा में उतरना पड़ा. ओलंपिक क्वालीफायर से पहले कई ट्रायल मुकाबले हुए और इस बीच उन्हें घुटने की सर्जरी भी करानी पड़ी.
भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर प्रदर्शन की अगुवाई करने पर उनकी काफी आलोचना हुई और यह मामला पुलिस और अदालत तक पहुंचा.
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