नई दिल्ली: उत्तराखंड में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त रास्तों को देखते हुए गुरुवार को केदारनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई, जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों पर पिछले 24 घंटे में वर्षा संबंधी घटनाओं में 14 लोगों की मौत हो गई और 10 अन्य घायल हो गए.
यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, नैनीताल जिले के हल्द्वानी में एक बच्चे के नाले में बहने की भी सूचना है जिसकी तलाश की जा रही है.
बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे भारी बारिश से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भीमबली में 20-25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए.
पुलिस ने बताया कि इस दौरान केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे 1500 से अधिक यात्रियों को सेना के चिनूक विमान के जरिए सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अब तक करीब 425 यात्रियों को लिंचोली और भीमबली से हेलीकॉप्टर के माध्यम से सुरक्षित स्थान पर लाया गया जबकि 1100 अन्य लोगों को राज्य आपदा प्रतिवादन बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल सहित अन्य बचाव दलों के सहयोग से वैकल्पिक रास्तों से पैदल बाहर लाया गया.
केदारनाथ पैदल रास्ते में कई जगह भूस्खलन होने से यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ यात्रा फिलहाल स्थगित कर दी गई है. इस संबंध में रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन की ओर से यात्रियों को एक परामर्श जारी कर कहा गया है कि केदारनाथ दर्शनों के लिए रुद्रप्रयाग तक पहुंचे तीर्थयात्री फिलहाल जहां हैं, वहीं सुरक्षित रुके रहें और फिलहाल अपनी केदारनाथ धाम यात्रा को स्थगित कर दें.
परामर्श में कहा गया है कि इस समय सोनप्रयाग से आगे मोटरमार्ग और पैदल मार्ग की स्थिति बिल्कुल भी सही नहीं है और मार्ग सही होने व यात्रा के सुचारू होने की सूचना बाद में दी जाएगी.
राज्य में अतिवृष्टि की स्वयं निगरानी कर रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेशवासी और राज्य में आने वाले यात्रियों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में धामी ने कहा कि प्रदेश में बुधवार रात हुई भारी बारिश के कारण कई स्थानों पर जनजीवन प्रभावित होने की सूचना मिली तथा बचाव दलों ने रात भर अभियान चलाकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.
मुख्यमंत्री ने यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र पहुंचकर बारिश की स्थिति की समीक्षा की और आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन को जिलाधिकारियों से समन्वय बनाए रखने के निर्देश दिए.
उन्होंने सचिव से यह भी कहा कि अतिवृष्टि के कारण राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता मांगे जाने पर उन्हें तुरंत उपलब्ध कराई जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से राहत और बचाव कार्यों के लिए सभी जिलों को इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 315 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं.
मुख्यमंत्री ने टिहरी और रुद्रप्रयाग के आपदा ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई और स्थलीय निरीक्षण भी किया. इस दौरान वह आपदा प्रभावितों से भी मिले और उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। धामी ने इस दौरान राहत व बचाव शिविरों की व्यवस्थाओं को भी परखा.
मुख्यमंत्री धामी मोर्चे पर डटे तो उनकी पूरी टीम भी पूरी ताकत के साथ बचाव और राहत कार्यों में जुट गई. रुद्रप्रयाग जिले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने देर रात से ही रेस्क्यू अभियान की कमान संभाल ली.
आपदा की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रात से ही सक्रिय हो गए और रात्रि में ही राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर राज्य भर में अतिवृष्टि से हुए नुकसान की जानकारी ली.