नई दिल्ली: केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर कम से कम 158 हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हैं, जिससे मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है.
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि भूस्खलन के बाद मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में 180 से अधिक लोग लापता हैं और 300 से ज्यादा मकान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. मृतकों में से 75 की शिनाख्त की गई है और 123 शवों का पोस्टमार्टम किया गया है.
यहां एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि बरामद शवों को मेप्पडी स्वास्थ्य केंद्र और नीलमबुर सरकारी अस्पताल में रखा जा रहा है.
थलसेना, नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दल मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं. सैन्य कर्मियों ने बुधवार को तलाश एवं बचाव अभियान तेज कर दिया. भारी इंजीनियरिंग उपकरण तथा खोजी श्वान दलों को हवाई मार्ग से लाया गया है और भारतीय तट रक्षक (आईसीजे) ने मंगलवार को आपदा राहत दलों को भेजा.
भारतीय सेना त्वरित एवं प्रभावी राहत कार्यों के लिए राज्य प्राधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है.
भारतीय सेना ने बुधवार को भूस्खलन प्रभावित मुंडक्कई गांव से दूर स्थित ईला रिजॉर्ट और वन रानी रिजॉर्ट में फंसे 19 नागरिकों को बचाया.
बुधवार सुबह 122 इन्फैन्ट्री बटालियन के जवानों को मुंडक्कई गांव में मलबे से दो शव भी मिले.
एक रक्षा बयान के अनुसार, सेना की टुकड़ियों ने मंगलवार रात तक प्रभावित इलाकों से करीब 1,000 लोगों को निकाला. इसके अलावा वायुसेना खोज एवं बचाव अभियान में समन्वय करने के लिए प्रभावित इलाकों की हवाई गश्त कर रही है.
भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार को तड़के दो बजे से चार बजे के बीच हुईं, जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को जान बचाने का मौका तक नहीं मिल सका.
बुधवार सुबह भूस्खलन से तबाह मुंडक्कई गांव में बचाव अभियान फिर से शुरू होने पर जमींदोज हुए मकानों के अंदर बैठे और लेटे हुए मुद्रा में शवों के भयावह दृश्य देखने को मिले.
बचावकर्मी कई अंदरुनी इलाकों तक नहीं पहुंच पाए हैं जिनका संपर्क बुधवार सुबह पूरी तरह से टूट गया.
टीवी चैनलों पर प्रसारित दृश्यों में देखा जा सकता है कि एक स्थान पर सेना के जवान पूरी तरह से कीचड़ में डूबे एक घर की टिन की छप्पर को तोड़ रहे हैं. वे रस्सियों का उपयोग करके अंदर पहुंच कर वहां दबे शवों को निकाल रहे थे.
ऐसे ही एक मकान में अंदर गए एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया कि उसने कुर्सियों पर बैठे हुए और चारपाई पर लेटी हुई मुद्राओं में मिट्टी में आंशिक रूप से दबे शव देखे.
इस बीच, वायनाड जिला प्राधिकारियों ने इस भीषण त्रासदी के बाद लापता हुए लोगों की संख्या का पता लगाने के लिए आंकड़ें एकत्र करना शुरू कर दिया है. कई परिवारों के सदस्यों ने अपने प्रियजनों के लापता होने की सूचना दी है.
केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की स्थिति पर करीबी नज़र रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने बचाव प्रयासों के लिए राज्य को हरसंभव सहायता देने का वादा किया है.
कुरियन ने वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों से मुलाकात की.
बुधवार को यहां एक प्रेस विज्ञप्ति में कुरियन के हवाले से कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार स्थिति पर नज़र रख रही है. माननीय प्रधानमंत्री स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उन्होंने मुझे प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए भेजा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष 24×7 घंटे स्थिति पर नज़र रख रहे हैं और राज्य को हरसंभव सहायता मुहैया करा रहे हैं.’’
अल्पसंख्यक कार्य, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी उद्योग राज्य मंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ के दो दल, भारतीय सेना की दो टुकड़ियों और भारतीय वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर को खोज एवं बचाव अभियान में तैनात किया गया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि सेना वायनाड के चूरलमाला में बचाव कार्यों के लिए एक बेली पुल का निर्माण करेगी.
राज्य सरकार ने 690 फुट के बेली पुल का अनुरोध किया है. अभी 330 फुट का पुल सड़क मार्ग से बेंगलुरु से लाया जा रहा है. पुल का बाकी का हिस्सा दिल्ली छावनी से हवाई मार्ग से लाया जा रहा है.
सेना ने बुधवार को कहा, ‘‘मेप्पडी-चूरलमाला रोड पर एक पुल का निर्माण किया जाएगा.’’
इस बीच, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को देशभर के लोगों से राज्य के इस पर्वतीय जिले में बड़े पैमाने पर भूस्खलन के पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आने की अपील करते हुए कहा कि यह एक ‘‘बहुत बड़ी त्रासदी’’ है.
खान ने कहा कि वह उसी बात को दोहरा रहे हैं जो मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एक दिन पहले कही थी कि 2018 और 2019 में जब केरल में बाढ़ आयी थी, तो राज्य के लोग उस मौके पर खड़े हुए थे और मदद के लिए आगे आए थे.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘इस तरह की भीषण त्रासदी से निपटने के लिए हमें हर किसी की मदद की ज़रूरत है. इसलिए, मैं उम्मीद करता हूं कि लोग वायनाड में भी इन पीड़ितों के प्रति वही उदारता, चिंता और संवेदनशीलता दिखाएंगे.’’
वायनाड में मंगलवार तड़के मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में मूसलाधार बारिश के बाद बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हुई थीं.