गुरुग्राम: हरियाणा के 24-वर्षीय युवक के परिवार को हाल ही में पता चला कि मार्च में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान कथित तौर पर रूसी सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किए जाने के बाद उनकी मृत्यु हो गई.
पांच महीने के कष्टदायक इंतज़ार के बाद, जिसके दौरान उन्होंने रूस में भारतीय दूतावास को पत्र लिखा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात की, अजय मटोर को अपने छोटे भाई रवि मटोर की मौत की खबर मिली.
अजय ने कहा, “रवि के पासपोर्ट की जांच करने के बाद, उन्होंने (दूतावास ने) जवाब दिया कि वे मर चुके हैं.” उन्होंने कहा कि एक अधिकारी ने आधिकारिक पुष्टि के लिए उनकी मां का डीएनए भी मांगा.
चूंकि, उनकी मां का 2018 में निधन हो गया था, इसलिए अजय ने अपना खुद का सैंपल (देने की पेशकश की). इसके बजाय उन्हें अपने पिता का डीएनए सैंपल भेजने के लिए कहा गया, जो वर्तमान में कांवड़ यात्रा में गए हुए हैं. अजय को पता चला है कि मार्च के मध्य में दूसरी बार अग्रिम मोर्चे पर जाने के तुरंत बाद रवि की मृत्यु हो गई थी और उनका शरीर एक विस्फोट में “टुकड़ों में तब्दील” हो गया था.
अब उन्हें उम्मीद है कि वे रवि की अस्थियां या कम से कम उनके कुछ कपड़े वापस पा सकेंगे. अजय ने कहा, “हम कम से कम उसकी मौत पर शोक मनाना चाहते हैं.”
‘रूस की सेना में शामिल हो जाओ या जेल जाओ’
हरियाणा के कलायत कस्बे के रवि और पांच अन्य बेरोज़गार युवकों को एक स्थानीय एजेंट ने रूस भेजा था, जिसने उन्हें देश की ट्रांसपोर्ट कंपनियों में नौकरी दिलाने का वादा किया था. रवि ने उस व्यक्ति को 11.5 लाख रुपये दिए थे.
अजय ने कहा, “पहुंचने के तुरंत बाद रवि ने कहा कि एजेंट ने उनके साथ धोखा किया है. लड़कों से रूसी भाषा में एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए गए और कहा गया कि या तो रूसी सेना में सेवा करो या 10 साल के लिए जेल जाओ.”
बड़े भाई ने कहा कि सभी छह युवकों के परिवारों — बलदेव सिंह (32), राजिंदर सिंह (30), मोहित कुमार (22), मंजीत कुमार (20) और साहिल मटोर (22) — ने पुलिस में शिकायत की और एजेंट सत्यवान को गिरफ्तार किया गया.
रवि ने अपने परिवार को बताया कि उसे पहली बार 3 मार्च को युद्ध के मैदान में भेजा गया था. तीन दिन बाद, उसने फोन करके बताया कि उसने देखा कि एक मिसाइल उनके आगे एक टैंक से टकराई, जिससे उसमें सवार लोग मारे गए. 3 मार्च को हुए हमले में मारे गए लोगों में अमृतसर के तेजपाल सिंह भी शामिल थे.
अजय ने बताया, “रवि और दूसरे सैनिक दूसरे टैंक से बाहर निकले और पीछे हटने लगे, लेकिन उन पर ड्रोन से हमला हो गया. उनका एक साथी, जिसे रवि ने बचाया था, बुरी तरह घायल हो गया. उसके बाद मेरा भाई उसके साथ अस्पताल में रहा. उसने हमें वीडियो भी दिखाए थे.”
रवि ने 12 मार्च को परिवार को बताया कि उसे वापस युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है. यह आखिरी बार था जब उन्होंने उससे बात की थी.
अजय ने आपबीती सुनाई, “हमने उस दिन रवि से पीछे रहने वाले अन्य लोगों से संपर्क बनाए रखा. उन्होंने हमें शुरू में बताया कि रवि लापता लोगों में से एक है, लेकिन अप्रैल में कहा कि वह मर चुका है. मैं रवि के ग्रुप के एक दक्षिण अफ्रीकी सैनिक से भी बात करने में कामयाब रहा, जिसने कहा कि रवि की मार्च में मृत्यु हो गई थी और उसका शरीर टुकड़ों में बिखर गया था. उसने बताया कि हमें कुछ भी मिलने की संभावना नहीं है.”
बड़े भाई ने कहा कि वह जयशंकर से मिले जिन्होंने उनकी बात सुनी और हरसंभव मदद का वादा किया. अजय ने कहा, “लेकिन ज़मीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ.”
21 जुलाई को उन्होंने मास्को में भारतीय दूतावास को एक ईमेल भेजा जिसमें रवि के बारे में कुछ जानकारी देने का अनुरोध किया गया.
अजय ने कहा, “रवि के पासपोर्ट की जांच करने के बाद, उन्होंने जवाब दिया कि वह मर चुका है.”
उन्होंने कहा कि परिवार को मुआवज़ा मिल सकता है, लेकिन तभी जब वह मास्को जाए. उन्होंने कहा, “मैं छह लोगों के परिवार के लिए कमाने के लिए टैक्सी चलाता हूं. मैं उन्हें छोड़कर रूस जाने का जोखिम नहीं उठा सकता, खासकर तब जब युद्ध अभी भी जारी है.”
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‘मोदी के दौरे के बाद भी कोई उम्मीद नहीं’
करनाल के एक युवक, जो रूसी सेना के साथ युद्ध की अग्रिम पंक्ति में भी डटा हुआ है, ने दिप्रिंट को भेजे गए वॉयस मैसेज में कहा कि वहां भारतीयों की स्थिति बहुत खराब है.
19-वर्षीय हर्ष सरोहा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जुलाई में अपनी यात्रा के दौरान व्लादिमीर पुतिन के समक्ष रूसी सेना में भारतीयों का मुद्दा उठाए जाने के बाद भी उन्हें भारत वापस आने की कोई उम्मीद नहीं है.
सरोहा ने कहा, “हमारे परिवार के सदस्यों ने अखबारों की कतरनें साझा कीं, जिसमें दावा किया गया था कि रूस मोदी के अनुरोध पर भारतीय सैनिकों को रिहा करने के लिए सहमत हो गया है, जिसके बाद हमने अपने कमांडरों से बात की. हमें बताया गया कि ऐसा कोई निर्देश नहीं है. न ही हमें अग्रिम पंक्ति से हटाया जाएगा. हम नियमित रूप से अग्रिम पंक्ति में जा रहे हैं. मैं चार दिन बाद आज वापस आया हूं.”
मार्च में हर्ष ने दिप्रिंट को बताया था कि वे पिछले दिसंबर में पर्यटक वीजा पर रूस गए थे, लेकिन उन्हें पुलिस ने बेलारूस में पकड़ लिया और रूसी सेना को सौंप दिया, जहां उनसे रूसी भाषा में लिखे एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए गए.
इस बीच, कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला, जिन्होंने अप्रैल में जयशंकर को इस बारे में पत्र लिखा था, ने एक्स पर हरियाणा की भाजपा सरकार की “अक्षमता” और मोदी सरकार की “आपराधिक उपेक्षा” की निंदा की.
उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी और शीर्ष नेता मनोहर लाल खट्टर “चुप” और “बेकार” बैठे रहे, जबकि “हरियाणा के बच्चे” रूस में मर गए.
उन्होंने लिखा, “क्या हरियाणा सरकार, खट्टर और सैनी की कोई जिम्मेदारी नहीं है? क्या भाजपा विधायकों और सांसदों की कोई जवाबदेही नहीं है? क्या हरियाणा सरकार और नायब सैनी अब रवि मटोर के पार्थिव शरीर को कैथल वापस लाने की व्यवस्था करेंगे? क्या वे परिवार के आंसू पोंछेंगे? क्या वे परिवार को वित्तीय सहायता और राहत प्रदान करेंगे? क्या वे रवि को वापस लाने के लिए अपने मंत्री को रूस भेजेंगे? या वे अखबारों के विज्ञापनों में अपनी अल्पकालिक सरकार का बखान करते रहेंगे? जान लें कि जनता आपको माफ नहीं करेगी.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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