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Saturday, 23 November, 2024
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नीति आयोग की बैठक से बाहर निकलीं ममता, बोलीं- ‘भाषण के 5 मिनट बाद बंद कर दिया गया माइक’

बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि या तो नीति आयोग का पुनर्गठन किया जाए या फिर योजना आयोग, जिसे मोदी सरकार ने भंग कर दिया था, उसे वापस लाया जाए.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक से बाहर निकलीं और दावा किया कि उनके भाषण शुरू करने के 5 मिनट बाद ही उनका माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था, जिसमें उन्होंने विपक्षी शासित राज्यों के साथ वित्तीय रूप से “भेदभाव” करने के लिए केंद्र पर हमला किया था.

बाद में, केंद्र ने उनके आरोप को “भ्रामक” करार देते हुए खारिज कर दिया. प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “घड़ी केवल यह दिखा रही थी कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था. यहां तक ​​कि घंटी भी नहीं बजाई गई.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शामिल होने वाली विपक्ष की एकमात्र मुख्यमंत्री ममता ने यह भी कहा कि या तो नीति आयोग का पुनर्गठन किया जाए ताकि वह राज्यों को वित्तीय मदद कर सके या फिर मोदी सरकार द्वारा भंग किए गए योजना आयोग को वापस लाया जाए.

बैठक से बाहर निकलने के बाद ममता ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने बैठक का बहिष्कार किया है. (आंध्र प्रदेश के सीएम) चंदाबाबू नायडू ने 20 मिनट तक बात की. असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने 10 से 12 मिनट तक बात की. लेकिन मुझे अपने भाषण के 5 मिनट बाद ही रोक दिया गया. मैंने कहा कि यह अनुचित है. बैठक में शामिल होने वाली विपक्ष की मैं अकेली हूं. मैंने इसे व्यापक हित के लिए किया क्योंकि मेरा मानना ​​है कि सहकारी संघवाद को मजबूत किया जाना चाहिए.”

पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वह भविष्य में नीति आयोग की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होंगी. उन्होंने 2023 और 2019 सहित नीति आयोग की संचालन परिषद की कई पिछली बैठकों को छोड़ दिया था और अतीत में इसे “दंतहीन” भी कहा था.

बाद में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने बंगाल की मुख्यमंत्री का समर्थन किया और कहा कि “सहकारी संघवाद का मतलब है कि सभी से संवाद किया जाए और सभी आवाजों का सम्मान हो”.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो बैठक में एकमात्र विपक्षी सीएम थीं. उनेक अलावा विपक्षी पार्टियों के बाकी सीएम जैसे कांग्रेस शासित कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले केरल व आप शासित पंजाब और दिल्ली व झारखंड राज्यों के सीएम ने इस बैठक में भाग नहीं लिया.

शनिवार को ममता ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन बैठक में शामिल होंगे. हालांकि, सोरेन भी बैठक में शामिल नहीं हुए. जेएमएम सूत्रों ने उनके इस फैसले को “गठबंधन धर्म” बताया क्योंकि राज्य में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है.

ममता ने कहा कि उनके भाषण को बीच में ही समाप्त करने के बजाय केंद्र को इस बात पर “खुश होना चाहिए था” कि विपक्ष की ओर से बैठक में केवल वही मौजूद थीं. शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ने स्पष्ट संकेत दिया था कि अगर थिंक टैंक की शीर्ष संस्था की बैठक में उन्हें अपनी बात कहने से रोकने की कोशिश की गई तो वह टकराव के लिए तैयार हैं. थिंक टैंक की सर्वोच्च संस्था में अन्य लोगों के अलावा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल शामिल हैं.

ममता ने कहा कि अचानक रोके जाने से पहले उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ उनके शासन वाले दलों के राजनीतिक समीकरण के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती. पिछले सप्ताह पेश किए गए वार्षिक बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार को दिए गए विशेष वित्तीय पैकेज का जिक्र करते हुए बंगाल की सीएम ने कहा कि उन्हें इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि कुछ राज्यों को केंद्र का “विशेष अटेंशन” मिले, जब तक कि अन्य वंचित न हों.

उन्होंने कहा, “मैंने इस मुद्दे को उठाया और समीक्षा की मांग की. मैंने कहा कि मैं सभी राज्यों की ओर से बोल रही हूं. योजना आयोग राज्यों के लिए योजना बनाता था. इस नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्ति नहीं है. या तो आप इसे वित्तीय शक्ति दें या योजना आयोग को वापस लाएं. मैंने बंगाल में मनरेगा, आवास योजना के फंड को भी कम करने का भी मुद्दा उठाया. जब आप सत्ता में होते हैं, तो आप भेदभाव नहीं कर सकते. फिर उन्होंने माइक बंद कर दिया,”

टीएमसी सूत्रों ने कहा कि शनिवार की बैठक में भाग लेने का उनका फैसला, भारतीय ब्लॉक द्वारा उन्हें मनाए जाने के प्रयासों के बावजूद, मूल रूप से कांग्रेस को यह संदेश देने का एक कदम था कि उनकी राजनीतिक गतिविधियां मुख्य विपक्षी दल द्वारा तैयार की गई रणनीतियों से निर्देशित नहीं होंगी.

लोकसभा में 29 सांसदों के साथ, टीएमसी 18वीं लोकसभा में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. इस महीने की शुरुआत में, अंबानी परिवार में एक शादी में भाग लेने के लिए मुंबई की यात्रा पर ममता ने एनसीपी (एसपी) नेता शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की.

पिछले हफ़्ते कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस की शहीद दिवस रैली में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उनके साथ मंच साझा किया था. शुक्रवार को उन्होंने जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता से उनके सरकारी आवास पर मुलाक़ात की.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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