एच डी कुमारस्वामी ने उन लोगों की मदद से इंकार कर दिया. जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के लिए मत दिया था. ये न केवल उनके सांमती और अलोकतांत्रिक सोच को परिलिक्षित करता है कि राज्य के संसाधन उनकी निजी संपत्ति नहीं है. कुमारस्वामी और मेनका गांधी जैसे नेताओं को याद रखने की ज़रूरत है कि वोट पर स्वामित्व नहीं होता है. उसे कमाना पड़ता है.
ममता राजनीति के अपने ब्रांड पर ध्यान केंद्रित करें, न की कांग्रेस, वाम से मौकापरस्त गठबंधन करने की सोचें
ममता बनर्जी का वाम और कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा का मुकाबला करना उनकी हताशा और विश्वास की कमी दर्शाता है. बनर्जी को अपनी राजनीति के बारे में आत्म मंथन और सरकारी नीतियों का आंकलन करना चाहिए. बनिस्पद इसके की वो ऐसे गठबंधनों की तलाश करे जिनको जनता लगातार नकार चुकी है.