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Wednesday, 16 July, 2025
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धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को दूसरों का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं समझा जा सकता: अदालत

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प्रयागराज (उप्र), 10 जुलाई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवैध रूप से धर्मांतरण कराने के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा है कि संविधान नागरिकों को अपने धर्म को स्वतंत्र रूप से मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे ‘‘धर्मांतरण कराने’’ या अन्य लोगों को अपने धर्म में परिवर्तित करने के ‘‘सामूहिक अधिकार के रूप में नहीं समझा जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश पारित करते हुए आरोपी श्रीनिवास राव नायक की जमानत की अर्जी खारिज कर दी। याचिकाकर्ता नायक के खिलाफ उत्तर प्रदेश अवैध धर्म परिवर्तन निषेध कानून, 2021 की धारा 3/5 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

अदालत ने कहा कि अंतरात्मा की आवाज पर धर्म अपनाने की स्वतंत्रता का अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति अपनी धार्मिक आस्थाओं को चुनने, उनका अनुसरण करने और उन्हें अभिव्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है।

उसने कहा कि हालांकि, अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार को धर्मांतरण के सामूहिक अधिकार के रूप में नहीं समझा जा सकता।

अदालत ने कहा, ‘‘धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति और धर्मांतरित होने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति दोनों का समान रूप से है।’’

आरोप है कि 15 फरवरी, 2024 को इस मामले के शिकायतकर्ता को विश्वनाथ के घर आमंत्रित किया गया जहां कई ग्रामीण एकत्रित थे। इनमें ज्यादातर अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे। विश्वनाथ का भाई बृजलाल, नायक और रवीन्द्र भी वहां मौजूद थे।

इन लोगों ने शिकायतकर्ता से हिंदू धर्म त्याग कर ईसाई धर्म अपनाने का कथित तौर पर आग्रह किया और वादा किया कि ईसाई बनने से उसके सभी दुख दर्द दूर हो जाएंगे। शिकायत के अनुसार, कुछ ग्रामीणों ने ईसाई धर्म अपनाकर प्रार्थना शुरू कर दी, लेकिन शिकायतकर्ता वहां से भाग निकला और उसने इस घटना की सूचना पुलिस को दी।

अदालत ने मंगलवार को दिए अपने निर्णय में कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ध्यान दें तो पता चलता है कि शिकायतकर्ता को दूसरा धर्म अपनाने के लिए राजी करने का प्रयास किया गया और जमानत से इनकार करने के लिए प्रथम दृष्टया यह पर्याप्त है क्योंकि यह तथ्य साबित हो गया है कि धर्म परिवर्तन कार्यक्रम चल रहा था और अनुसूचित जाति समुदाय से जुड़े कई ग्रामीणों का हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में परिवर्तन किया जा रहा था।

भाषा राजेन्द्र सिम्मी

सिम्मी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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